Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 10 अधिनायक

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Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 10 अधिनायक

 

अधिनायक वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

Adhinayak Kavita Ka Saransh Bihar Board Class 12th Chapter 10 प्रश्न 1.
रघुवीर सहाय किस काल के कवि हैं?
(क) आधुनिक काल
(ख) आदिकाल
(ग) रीतिकाल
(घ) छायावाद
उत्तर-
(क)

अधिनायक कविता का सारांश Bihar Board Class 12th Chapter 10 प्रश्न 2.
‘अधिनायक’ शीर्षक कविता के कवि कौन है?
(क) नागार्जुन
(ख) शमशेर
(ग) रघुवीर सहाय
(घ) त्रिलोचन
उत्तर-
(ग)

रघुवीर सहाय का जन्म कब हुआ था?
(क) 9 दिसम्बर, 1929 ई.
(ख) 10 दिसम्बर, 1930 ई.
(ग) 15 दिसम्बर, 1935 ई.
(घ) 20 सितम्बर, 1936 ई.
उत्तर-
(क)

Adhinayak Kavita Ka Bhavarth Bihar Board Class 12th Chapter 10 प्रश्न 4.
इनमें से रघुवीर सहाय की कौन–सी रचना है?
(क) पद
(ख) हार–जीत
(ग) अधिनायक
(घ) छप्पय
उत्तर-
(क)

Adhinayak Sirsa Kavita Ka Saransh Bihar Board Class 12th Chapter 10 प्रश्न 5.
पाठ्यपुस्तक में रघुवीर सहाय की संकलित ‘अधिनायक’ कविता कैसी कविता है?
(क) व्यंग्य प्रधान
(ख) हास्य प्रधान
(ग) वीररस प्रधान
(घ) रोमांस प्रधान
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

Adhinayak Sirsak Kavita Ka Saransh Bihar Board Class 12th Chapter 10  प्रश्न 1.
फटा सुथन्ना पहने जिसका गुन………. गाता है।
उत्तर-
हरचरन

Adhinayak Kavita Bihar Board Class 12th Chapter 10 प्रश्न 2.
राष्ट्रगीत में भला कौन वह भारत………. विधाता है।
उत्तर-
भाग्य

प्रश्न 3.
मखमल, टमटम बल्लम तुरही………… छत्र चँवर के साथ ताव छुड़ाकर ढोल बजाकर जय–जय कौन करात है।
उत्तर-
पगड़ी

प्रश्न 4.
पूरब–पश्चिम से आते हैं नंगे–बूचे नरकंकाल सिंहासन पर बैठा, उनके………. लगाता है।
उत्तर-
तमगे कौन

प्रश्न 5.
कौन–कौन है वह जन–गन–मन–अधिनायक वह………….. डरा हुआ मन बेमन जिसका बाजा रोज बजाता है।
उत्तर-
महाबली

प्रश्न 6.
राष्ट्रगीत में भला कौन वह भारत राष्ट्रात म भला कान वह भारत………….. विधाता है।
उत्तर-
भाग्य

अधिनायक अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रघुवीर सहाय की कविता है।
उत्तर-
अधिनायक।।

प्रश्न 2.
अधिनायक कैसी कविता है?
उत्तर-
समकालीन राजनीति पर व्यंग्य कविता।

प्रश्न 3.
अधिनायक कौन है?
उत्तर-
सत्ताधारी वर्ग।

प्रश्न 4.
हरचरना कौन है?
उत्तर-
एक आम आदमी।

अधिनायक पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
हरचरना कौन है? उसकी क्या पहचान है?
उत्तर-
हरचरना ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता में एक आम आदमी का प्रतिनिधित्व करता है। वह एक स्कूल जानेवाला बदहाल गरीब लड़का है। राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में राष्ट्रगान दुहराता है।।

हरचरना की पहचान ‘फटा सुथन्ना’ पहने एक गरीब छात्र के रूप में है।’

प्रश्न 2.
हरचरना ‘हरिचरण’ का तद्भव रूप है। कवि ने कविता में ‘हरचरना’ को रखा है, हरिचरण को नहीं, क्यों?
उत्तर-
‘हरचरना’ हरिचरण का तद्भव रूप है। कवि रघुवीर सहाय ने अपनी कविता ‘अधिनायक’ में ‘हरचरना’ शब्द का प्रयोग किया है, ‘हरिचरण नहीं। यहाँ कवि ने लोक संस्कृति की पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए ठेठ तद्भव शब्दों का प्रयोग किया है। इससे कविता की लोकप्रियता बढ़ती है। कविता में लोच एवं उसे सरल बनाने हेतु ठेठ तद्भव शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
अधिनायक कौन है? उसकी क्या पहचान है?।
उत्तर-
कवि के अनुसार ‘अधिनायक’ आज बदले हुए तानाशाह हैं। वे राजसी ठाट–बाट में रहते हैं। उनका रोब–दाब एवं तामझाम भड़कीला है। वे ही अपना गुणगान आम जनता से करवाते हैं। आज उनकी पहचान जनप्रतिनिधि की जगह अधिनायक अर्थात् तानाशाह बन गये हैं। यह उनकी पहचान बन गई है।

प्रश्न 4.
‘जय–जय कराना’ का क्या अर्थ है?
उत्तर-
कवि के अनुसार सत्ता पक्ष के जन प्रतिनिधियों आज अधिनायक का रूप ले लिए हैं। वे ही आज राष्ट्रीय गान के समय आम आदमी को जुटाकर अपनी जय–जयकार मनवाते हैं। माली पहनते हैं और जन–जन के प्रतिनिधि होने अपने को जनता का भाग्य विधाता मानते हैं।

प्रश्न 5.
‘डरा हुआ मन बेमन जिसका/बाजा रोज बजाता है, यहाँ ‘बेमन’ का क्या अर्थ है?
उत्तर-
कविता की इस पंक्ति में ‘बेमन’ का अर्थ बिना रूचि से है। आज राष्ट्रीय गान गाने में आम जनता में कोई रूचि नहीं है। वे बिना मन के एक चली आती हुई परम्परा का निर्वहन करते हैं।

प्रश्न 6.
हरचरना अधिनायक के गुण क्यों गाता है? उसके डर के क्या कारण हैं?
उत्तर-
‘अधिनायक’ शीर्षक कविता में ‘हरचरना’ एक गरीब विद्यार्थी है। राष्ट्रीय गान वह गाता है, लेकिन उसे यह पता नहीं कि वह राष्ट्रीय गान क्यों गा रहा है। इस गान को वह एक सामान्य प्रक्रिया मानकर गाता है। एक गरीब व्यक्ति के लिए राष्ट्रीय गान का क्या महत्व। देशभक्ति, आजादी आदि का अर्थ वह नहीं समझ पाता। उसकी आजादी और देशभक्ति का दुश्मन तो वे व्यक्ति हैं जो गरीबों की कमाई पर आज शासक बने हुए हैं। वे तानाशाह बन गये हैं। आम जनता उनसे डरती है। कोई उनके खिलाफ मुँह नहीं खोलता। हरचरना के डरने का कारण यही सभी विषय है। मुँह खोलेगा तो उसे दंड भोगना होगा।

प्रश्न 7.
‘बाजा–बजाना’ का क्या अर्थ है?
उत्तर-
कविता ‘अधिनायक’ में कवि रघुवीर सहाय ने ‘बाजा–बजाना’ शब्द का प्रयोग गुण–गान करने के अर्थ में किया है। आम जनता जो गरीब एवं लाचार है, बाहुबली राजनेताओं के भय से उनके गुणगान में बेमन के लगी रहती है। यहाँ पर कवि ने आधुनिक राजनेताओं पर कठोर व्यंग्य किया है।

प्रश्न 8.
“कौन–कौन है वह जन–गण–मन अधिनायक वह महाबली” कवि यहाँ किसकी पहचान कराना चाहता है?
उत्तर-
कवि रघुवीर सहाय अपनी कविता ‘अधिनायक’ में प्रस्तुत पंक्ति की रचना कर उन सत्ताधारी वर्ग के जन प्रतिनिधियों की पहचान चाहता है जो राजसी ठाट–बाट में जी रहे हैं। गरीबों पर, आम आदमी पर उनका रोब–दाब है। वह ही अपने को जनता का अधिनायक मानते हैं। वे बाहुबली हैं। लोग उनसे डरे–सहमे रहते हैं। कवि उन्हीं की पहचान उक्त पंक्तियों में कराना चाहता है।

प्रश्न 9.
“कौन–कौन” में पुनरुक्ति है। कवि ने यह प्रयोग किसलिए किया है?
उत्तर-
कवि रघुवीर सहाय ने अपनी कविता ‘अधिनायक’ के अन्तिम पद में कौन–कौन का प्रयोग किया है। यह ‘कौन’ पुनरुक्ति है। यहाँ कवि यह बताना चाहता है कि आज देश में अधिनायकों एवं तानाशाहों की संख्या अनेक है। अनेक बाहुबली आज जनता के भाग्यविधाता बने हुए हैं। इसीलिए कविता के अन्तिम भाग में कौन–कौन’ पुनरुक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया।

प्रश्न 10.
भारत के राष्ट्रगीत ‘जन–गण–मन अधियानक जय हे’ से इस कविता का क्या संबंध है? वर्णन करें।
उत्तर-
विद्वान कवि रघुवीर सहाय द्वारा रचित ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता एक व्यंग्यात्मक कविता है। इस कविता में कवि ने सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों को आधुनिक भारत के अधिनायक अर्थात् तानाशाह के रूप में चित्रित किया है। आज राष्ट्रीय गान के समय इन्हीं सत्ताधारियों का गुणगान किया जाता है। जब भी राष्ट्रीय त्योहारों पर “जन–गण–मन–अधिनायक जय हे” का राष्ट्रीय गान गाया जाता है तो आम आदमी जो गरीब और लाचार, जो फटेहाल जीवन बिता रहा है इस राष्ट्रगीत का अर्थ नहीं समझता। वह उसी राजनेता को अधिनायक मानकर इस राष्ट्रगीत को गाता है। वह समझता है कि वह उन्हीं राजनेताओं का गुणगान कर रहा है।

कवि का यह तर्क सही भी है। वास्तव में आज राष्ट्रगीत का महत्व राष्ट्रीयता से नहीं आंका जाता। कौन नेता कितना बड़ा बाहुबली है, कितना प्रभावशाली है उसी आधार पर उस राष्ट्रगीत के महत्व को आंका जाता है। कवि की यह सोच युक्तिसंगत और समसामयिक है। आज राष्ट्रगान की केवल खानापूर्ति होती है। देशभक्ति से इसका कोई संबंध नहीं है।

प्रश्न 11.
कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
कविता का सारांश देखें।

प्रश्न 12.
व्याख्या करें
पूरब पश्चिम से आते हैं
नंगे–बूचे नर–कंकाल,
सिंहासन पर बैठा, उनके
तमगे लौन लगाता है।
उत्तर-
व्याख्या–प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग–2 के रघुवीर सहाय विरचित ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने सत्तावर्ग के द्वारा जनता के शोषण का जिक्र किया है। यह एक व्यंग्य कविता है।

अधिनायक भाषा की बात

प्रश्न 1.
अधिनायक में ‘अधि’ उपसर्ग में पांच अन्य शब्द बनाएँ।
उत्तर-
‘अधि’–अधिकरण, अधिकार, अधिपति, अधिराज, अधिभार।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों का विग्रह करें और समास बताएं–राष्ट्रगीत, बेमन, पूरब–पश्चिम, महाबली, नरकंकाल।
उत्तर-
Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 10 अधिनायक 1

प्रश्न 3.
कवि ने ‘गुन’ और ‘पच्छिम’ जैसे प्रयोग क्यों किये हैं, जबकि इनका शुद्ध रूप क्रमशः ‘गुण’ और ‘पश्चिम’ हैं।
उत्तर-
‘गुन’ और ‘पच्छिम’ शब्द क्रमशः ‘गुण’ एवं ‘पश्चिम’ का तद्भव रूप है। लोक संस्कृति का. प्रयोग कर कवि अपनी कविता को लोकप्रिय एवं सुगम बनाने का प्रयास किया है। इसलिए कवि ने अपनी कविता में तद्भव शब्दों का प्रयोग किया है।

प्रश्न 4.
तमगे, रोज, बेमन के समानार्थी शब्द क्या होंगे?
उत्तर-

  • शब्द – समानार्थी शब्द
  • तमगे – तगमा, मेडल, पदक
  • रोज – प्रतिदिन, दैनन्दिन
  • बेमन – अनिच्छा, अमन से

प्रश्न 5.
‘कौन–कौन है वह जन–गण–मन’–अर्थ की दृष्टि से यह किस प्रकार का वाक्य है?
उत्तर-
प्रश्नबोधक वाक्य।

प्रश्न 6.
कवि की काव्य–भाषा पर अपनी टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
कवि रघुवीर सहाय की अपनी काव्य–शैली है। इनकी भाषा सरल, साफ–सुथरी एवं सधी हुई है। ये ‘नई कविता’ के समर्थ कवियों में से एक है जो रोजमर्रा के प्रसंगों को उठाकर उसे अपनी कविता में विशिष्ट शैली में प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त हैं। ज्यादातर बातचीत की सहज शैली में उन्होंने लिखा और खूब लिखा। उनकी कविता की व्यंग्यात्मक शैली उनके साहित्य की विशेषता है। वे आधुनिक काव्य भाषा के मुहावरे को पकड़ने में भी अधिक कुशल है।

अधिनायक कवि परिचय रघुवीर सहाय (1929–1990)

जीवन–परिचय–
नई कविता के प्रमुख कवि रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसम्बर, 1929 को लखनऊ, उत्तरप्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री हरदेव सहाय था, जो पेशे से शिक्षक थे। रघुवीर सहाय की सम्पूर्ण शिक्षा लखनऊ में ही हुई। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. किया। संगीत सुनने और फिल्में देखने में उनकी विशेष अभिरुचि थी। उन्होंने ‘कौमुदी’ कविता केन्द्र की स्थापना की और उसका संचालन किया।

रघुवीर सहाय पेशे से पत्रकार थे। उन्होंने पत्रकारिता का आरंभ ‘नवजीवन’ लखनऊ से किया। इसके बाद ‘समाचार विभाग’ आकाशवाणी, नई दिल्ली और फिर नवभारत टाइम्स (नई दिल्ली) में विशेष संवाददाता के रूप में काम किया। उन्होंने 1979 से 1982 तक ‘दिनमान’ के प्रधान संपादक के रूप में भी काम किया। उनका निधन 30 दिसम्बर, 1990 को हुआ।

रचनाएँ–रघुवीर सहाय अज्ञेय द्वारा संपादित ‘दूसरा सप्तक’ के माध्यम से कवि रूप में लोगों के सामने आए। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं

कविताएँ–सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो–हँसो जल्दी हँसो, लोग भूल गए हैं, कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ।

काव्यगत विशेषताएँ–रघुवीर सहाय नई कविता के कवि हैं। नई कविता के माध्यम से कविता की अग्रगति तथा विकास के लिए नई रचना भूमि, नई–नई भाषा, मुहावरा और रचनातंत्र की उद्भावना की शुरुआत हुई। श्री सहाय दूसरा सप्तक के सात कवियों में शामिल थे। उनकी कविताएँ संवेदना, सरोकार विषयवस्तु, अनुभव, भाषा, शिल्प आदि अनेक तलों पर अपने संकल्प और व्यवहार में नई थी। उनकी विशिष्ट मनोरचना और व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति कहानियों तथा पत्रकारिता में भी हुई। उनकी पत्रकारिता उनकी कविता को प्रासंगिक एवं प्रभावी बना देती है। उनकी कविताओं में व्याप्त तथ्यात्मकता मात्र तथ्य न रहकर ‘सत्य’ बन जाता है।

रघुवीर सहाय की कविताओं में परिवेश की सच्चाई की साहसपूर्ण प्रतिक्रिया मिलती है। यह प्रतिक्रिया तीखी, दाहक और निर्मम हो उठती है। वे अपनी कविता में व्यंग्य–कटाक्ष, घृणा और क्रोध का सार्थक प्रयोग करते हैं जिसका उद्देश्य परपीड़न का सुख नहीं, सच्ची रचनात्मकता या अर्थपूर्ण नई सामाजिकता होती है।

अधिनायक कविता का सारांश

‘अधिनायक’ शीर्षक कविता रघुवीर सहाय द्वारा लिखित एक व्यंग्य कविता है। इसमें आजादी के बाद के सत्ताधारी वर्ग के प्रति रोषपूर्ण कटाक्ष है। राष्ट्रीय गीत में निहित ‘अधिनायक’ शब्द को लेकर यह व्यंग्यात्मक कटाक्ष है। आजादी मिलने के इतने वर्षों के बाद भी आदमी की हालत में कोई बदलाव नहीं आया। कविता में ‘हरचरना’ इसी आम आदमी का प्रतिनिधि है।

हरचरना स्कूल जाने वाला एक बदहाल गरीब लड़का है। कवि प्रश्न करता है कि राष्ट्रगीत में वह कौन भारत भाग्य विधाता है जिसका गुणगान पुराने ढंग की ढीली–ढाली हाफ पैंट पहने हुए गरीब हरचरना गाता है। कवि का कहना है कि राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में वह ‘फटा–सुथन्ना’ पहने वही राष्ट्रगान दुहराता है जिसमें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने किस ‘अधिनायक’ का गुणगान किया गया है।

कवि प्रश्न करता है कि वह कौन है जो मखमल टमटम वल्लभ तुरही के साथ माथे पर पगड़ी एवं चँवर के साथ तोपों की सलामी लेकर ढोल बजाकर अपना जय–जयकार करवाता है। अर्थात्, सत्ताधारी वर्ग बदले हुए जनतांत्रिक संविधान से चलती इस व्यवस्था में भी राजसी ठाठ–बोट वाले भड़कीले रोब–दाब के साथ इस जलसे में शिरकत कर अपना गुणगान अधिनायक के रूप में करवाये जा रहा है।

कवि प्रश्न करता है कि कौन वह सिंहासन (मंच) पर बैठा जिसे दूर–दूर से नंगे पैर एवं नरकंकाल की भाँति दुबले–पतले लोग आकर उसे (अधिनायक) तमगा एवं माला पहनते हैं। कौन है वह जन–गण–मन अधिनायक महावली से डरे हुए लोग से मन के रोज जिसका गुणगान बाजा बजाकर करते हैं।

इस प्रकार इस कविता में रघुवीर सहाय ने वर्तमान जनप्रतिनिधियों पर व्यंग्य किया है। कविता का निहितार्थ यह है मानो इस सत्ताधारी वर्ग की प्रच्छन्न लालसा ही सचमुच अधिनायक अर्थात् तानाशाह बनने की है।

कविता का भावार्थ 1.
राष्ट्रगीत में भला कौन वह
भारत–भाग्य–विधाता है
फटा सुथन्ना पहने जिसका
गुन हरचरना गाता है।

व्याख्या–प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्य पुस्तक दिगंत भाग–2 के रघुवीर सहाय विरचित “अधिनायक” शीर्षक कविता से उद्धृत है। इन पंक्तियों में कवि ने उन जनप्रतिनिधियों पर व्यंग्यात्मक कटाक्ष किया है जो इतने दिनों की आजादी के बाद भी आम आदमी की हालत में कोई बदलाव नहीं ला पाये हैं।

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि जानना चाहता है कि वह कौन भाग्य विधाता है जिसका गान हरचरना नाम का एक गरीब विद्यार्थी कर रहा है। वह गरीब विद्यार्थी है। अपनी लाचारी का प्रमाण लिए हुए वह राष्ट्रीय गीत गाता है। कवि का यह कटु व्यंग्य बड़ा ही उचित एवं सामयिक है। सचमुच, आज लाखों गरीब छात्र अपने विद्यालयों में बिना मन के राष्ट्रीय गीत का गान करते हैं। उन्हें नहीं पता कि वे किसका गान कर रहे हैं।

इस प्रकार प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने आज के सत्ताधारी नेताओं पर कटाक्ष किया है। ये सत्ताधारी नेता आज तानाशाह बने हुए हैं।

2. मखमल टमटम बल्लभ तुरही
पगड़ी छत्र–चवर के साथ
तोप छुड़ाकर ढोल बजाकर
जय जय कौन कराता है।

व्याख्या–प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत, भाग–2 के रघुवीर सहाय रचित ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता से ली गई है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बदली हुई जनतांत्रिक व्यवस्था में भी सत्ताधारी वर्ग के राजसी ठाट–बाट एवं रोब–दाब का वर्णन किया है। कवि प्रश्न पूछता है कि वह कौन व्यक्ति है जो मखमल, टमटम, बल्लभ, तुरही, पगड़ी छतरी एवं चैवर लगाकर तोप के गोले दागकर, ढोल नगाड़ा बजाकर जय–जयकार करवाता है। इसका अर्थ है कि अभी जनप्रतिनिधि अधिनायकवादी की भूमिका निभा रहे हैं। वे जनता का सेवक नहीं, राजसी। ठाट–बाट में लिप्त तानाशाह है। यह आजाद देश के लिए एक चिन्ता का विषय है। कवि व्यंग्य करते हुए एक कटु सत्य का वर्णन करता है कि क्या वे सच्चे जनप्रतिनिधि हैं। अर्थात् नहीं हैं।

3. पूरब–पश्चिम से आते हैं
नंगे–बूचे नरकंकाल
सिंहासन पर बैठा, उनके
तमगे कौन लगाता है।

व्याख्या–प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग–2 के रघुवीर सहाय विरचित ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने सत्तावर्ग के द्वारा जनता के शोषण का जिक्र किया है। यह एक व्यंग्य कविता है।

कवि के अनुसार राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर सभी दिशाओं से जो जनता आती है वह नंगे पांव है। वह इतनी गरीब है कि केवल नरकंकाल का रूप हो गयी है। उसकी गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा सिंहासन पर बैठा जनप्रतिनिधि हड़प लेता है। गरीब जनता के पैसे से ही वह मेडल पहनता है। मंच पर फूलों की माला पहनता है। वह राज–सत्ता का भोग करता है। शेष जनता गरीबी को मार से परेशान है।

कवि रघुवीर सहाय ने उक्त पंक्तियों में सत्ता–वर्ग के तानाशाहों का व्यंग्यात्मक चित्रण बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है। स्वतंत्र देश की यह दुर्दशा राजनेताओं की ही देन है। वे स्वयं राज–योग में लिप्त हैं और जनता गरीबी और लाचारी की मार झेल रही है।

4. कौन–कौन वह जन–गण–मन
अधिनायक वह महाबली
डरा हुआ मन बेमन जिसका
बाजा रोज बजाता है।

व्याख्या–प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्य पुस्तक दिगंत भाग–2 के रघुवीर सहाय विरचित “अधिनायक” शीर्षक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने राष्ट्रीय गान में निहित ‘अधिनायक’ शब्द पर कटाक्ष किया है।

कवि ने कविता के अन्तिम पद में कौन–कौन दो बार प्रयोग कर यह बताने का प्रयास किया है कि जन–गण–मन अधिनायक एक नहीं अनेक हैं। आज देश में तानाशाहों की संख्या बढ़ गई है। वे अब महाबली का रूप धारण कर लिया है। अर्थात् देश की सम्पूर्ण शक्ति इन कुछ गिने–चुने अधिनायकों के हाथों में सीमित हो गई है। बाकी जनता डरी हुई है। सहमी हुई है और बिना इच्छा के राष्ट्रीय गान रूपी बाजा बजाती रहती है।

अतः अब इस राष्ट्रीय गान में आम आदमी की कोई रुचि नहीं रह गई है। राष्ट्रीय त्योहार पर वे केवल खानापूर्ति करते हैं। बेमन से वे राष्ट्रीय गान गाते हैं। उन्हें वास्तविक आजादी नहीं मिली है। आजादी का सुख उन्हें नहीं मिला। यह सुख मुट्ठी भर लोगों में सिमट कर रह गया है। देश के लिए यह अच्छा संदेश नहीं।