Bihar Board Class 7 English Book Solutions Pandit Chandrashekhar Dharmishra

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Pandit Chandrashekhar Dharmishra Summary in English

Know for writing poems spontaneously, the great scholar, Pandit Chandrashekhardhar Mishra was a great poet. He could write poem then and there on the spot-both in Hindi and Sanskrit. He was the first poet to write poems in ‘Khadi Boli’. A reputed scholar and Vaidya, Shri Mishra was a close friend of the great Hindi poet Bharatendu Harishchandra. He used to run two schools on his own expenses, a general school and another school on Ayurvedic medicine. Dr. Rajendra Prasad, the first President of India too appreciated Mr. Mishra quoting him a noble person and a high scholars.

Pandit Chandrashekhar Dharmishra Summary in Hindi

फौरन ही कहीं पर भी, किसी भी विषय पर कविता रच देने की क्षमता सम्पन्न पण्डित चन्द्रशेखर धर मिश्र एक महान कवि और विद्वान थे। हिन्दी और संस्कृत दोनों भाषाओं पर उनका समान अधिकार था । ‘खादी बोली’ जैसी अनूठा विषय पर कविता रचने वाले वह सर्वप्रथम कवि थे। एक प्रतिष्ठित विद्वान होने के साथ-साथ श्री मिश्र वैद्य भी थे। हिन्दी के महान् कवि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के वे घनिष्ठ मित्र भी थे। अपने खर्चे पर वह दो स्कूल चलाया करते थे-एक सामान्य स्कूल बच्चों के लिए और दूसरा स्कूल था आयुर्वेदिक दवाओं से सम्बन्धित । भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भी उनकी व्यक्तित्व की सराहना करते हुए उन्हें भारत का एक रत्न घोषित करते उनके प्रति अपना सम्मान समर्पित किया था।

Pandit Chandrashekhar Dharmishra Hindi Translation of The Chapter

पंडित चंद्रशेखर धर मिश्र अचानक ही कभी भी, कहीं भी कविताएँ लिख देने की अपनी खासियत के लिए मशहूर थे । संस्कृत हिन्दी के विद्वान श्री मिश्र दोनों ही भाषाओं पर कहीं पर भी किसी भी समय कविताएँ लिख दे सकते थे। एक राजा ने सन् 1904 में उनकी इस योग्यता की परीक्षा ली थी। विद्वान लोगों की एक बड़ी भीड़ के समक्ष पंडित मिश्र ने फौरन ही एक. मिनट में तीन-तीन कविताएँ लिखकर सघको चकित कर दिया।

“हिन्दी साहित्य का इतिहास” के लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार, पंडित मिश्र ‘खादी बोली’ जैसे अनूठे विषय पर कविताएँ लिखने वाले पहले कवि थे। पंडित मिश्र का जन्म 1845 में रत्नमाला बाघा में हुआ था जो पश्चिम चम्पारण में है। पंडित मिश्र एक प्रतिष्ठित विद्वान ही नहीं एक सफल वैद्य भी थे। हिन्दी के कवि भारतेन्द हरिश्चन्द्र के वे घनिष्ठ मिश्र थे।

बाबू अयोध्या प्रसाद खत्री एक दिन पंडित मिश्र के पास आये और उनसे निवेदन किये कि वे ‘खादी बोली’ विषय पर कुछ कविताएँ लिख दें। उन्होंने कहा कि “वे कहते हैं कि ‘खादी बोली’ पर अच्छी कविताएँ लिखना संभव नहीं है। क्या आप उनकी बातों से सहमत हैं? यदि नहीं तो कृपा करके मेरी सहायता करें।”

पंडित मिश्र ने इस विषय पर फौरन ही कुछ कविताएँ लिख दी । बाबू अयोध्या प्रसाद ने उनकी कविताओं को अपनी ‘पोथी’ में शामिल कर लिया कि ‘खादी बोलो’ विषय पर अपने ढंग की पहली अनूठी पुस्तक थी।

पंडित मिश्र ने मासिक पत्रिकाओं ‘विद्या धाम’ और ‘दीपिका’ के सम्पादन का भी कार्य किया था। इन पत्रिकाओं को वह गरीबों के बीच मुफ्त में बाँट’ दिया करते थे। साथ ही वे एक साप्ताहिक पत्रिका ‘चम्पारण चन्द्रिका’ का भी सम्पादन-कार्य करते थे।

श्री मिश्र ने संस्कृत भाषा में कविताओं, आचार-संहिता, धर्म, आयुर्वेदिक दवाओं (वैद्यक) पर 10-12 पुस्तकों की रचना की। हिन्दी भाषा में कविताओं की 30 पुस्तकों की भी उन्होंने रचना की। साथ ही उन्होंने एक नाटक, 4-5 उपन्यास, कई जीवनियाँ और अन्य पुस्तकें और लेख आदि की भी रचना की । उनके स्कूल और पुस्तकालय में लगी आग में उनकी कई पुस्तकें व रचनाएँ जलकर स्वाहा हो गयीं।

पंडित चन्द्रशेखर धर मिश्र दो स्कूलों को चलाते थे। इन स्कूलों को वह अपने स्वयं के खर्चे पर चलाया करते थे। इनमें से एक स्कूल तो बच्चों के पढ़ने की पाठशाला थी और दूसरा स्कूल आयुर्वेदिक दवाओं की पढ़ाई से सम्बन्धित था।

गरीब जनता के लिए वे एक आयुर्वेदिक अस्पताल भी चलाते थे। वे अपने स्कूल के बच्चों और अपने अस्पताल के रोगियों को रहना-खाना मुफ्त में उपलब्ध कराते थे। यह वे अपने खर्च पर करते थे। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने उनके सम्मान में कहा था, “पंडित श्री चन्द्रशेखर मिश्र ने आयुर्वेद के अध्ययन के क्षेत्र में पुनः संशोधन व पुनर्मूल्यांकन आदि द्वारा आयुर्वेद के उत्थान के पुनीत कार्य के लिए जो कीमती योगदान दिया है वह प्रशंसनीय व आदरणीय हैं।”

श्री मिश्र संस्कृत, दर्शनशास्त्र और साहित्य के प्रकाण्ड पण्डित होने के साथ-साथ अपना काफी समय आयुर्वेद के उत्थान हेतु समर्पित किये। अपने इस शौक – के लिए व एक महान कार्य को सम्पन्न करने के लिए श्री मिश्र ने अपना बहुत सारा धन खर्च जिस हेतु उन्हें सम्मानपूर्वक स्मरण किया जाता है।

Pandit Chandrashekhar Dharmishra Glossary

[नोन] = प्रसिद्ध, ख्यात । Spot [स्पॉट] = स्थान | Then and there [देन एण्ड देयर] = तुरंत । Spontaneously [स्पॉनटेनिअसली] = इच्छानुरूप, फौरन, तुरंत । Ability (एबिलिटी] = योग्यता, कुशलता, अधिकार । Gathering [गैदरिंग] = जन-समूह, जमावड़ा । Scholar [स्कॉलर] = विद्वान । According [अकार्डिंग] = अनुसार

Reputed रेप्यूटेड] = प्रतिष्ठित । Verse विर्स) = छन्द । Close [क्लोज] = नजदीकी, निकट का | Agree (एग्री] = सहमत अथवा राजी होना | Include [इनक्लूड] = शामिल करना । Edit [एडिट) = संपादन करना । Collection [कलेक्शन= संग्रह । Journal (जर्नल) = ‘पत्रिका । Monthly [मंथली] = मासिक । Weekly [वीकली) = साप्ताहिक । Poet [पोएट] = कवि ! Few [फ्यू] = कुछ। Approach [अप्रोच] = पास जाना | Code of conduct [कोड ऑफ कन्डक्ट] = आचार संहिता | Religion [रिलीजन] = धर्म । Altogether [ऑलटुगेदर] = कुल मिलाकर।

Distribute [डिस्ट्रीब्यूट] = बाँटना ! Free of cost [फ्री ऑफ कॉस्ट] = बिना किसी कीमत के, मुफ्त । Several |सेवरल] = विभिन्न, अनेक । Biography [बायोग्राफी = जीवनी ! Burnt (बर्नट् = जलाये गये। Caught fire [कॉट फायर] = आग पकड़ लिया। Writings [राइटिंग्स) – लेख। Expenses [एक्सपेन्सेस] = खर्चे । Masses [मासेस] = जनता। Board and lodge jबोर्ड एण्ड लॉज) = रहना और खाना । Board (बोर्ड) = ” भोजन | Lodge [लॉज] = रहना, निवास ।

Appreciating (एप्रिशिएटिंग] = प्रशंसा करते हुए। Services [सर्विसेस] = सेवाएँ। Invaluable . [इनवैल्युएबल) = अमूल्य | Rendered [रेन्डर्ड] = दिया । Revive[रिवाइव] = पुनः संशोधन करना, पुनर्निरीक्षण करना। Veneration [वेनरेशन] = सत्कार, मानव पूजा | Noted [नोटेड] = प्रसिद्ध । Devoted (डिवोटेड] = समर्पण किया, समर्पित किया । Cause [कॉज] = कारण | Even [इवन = भी। Sacrifice [सैक्रिफाइस] = त्याग करना । Noble cause [नॉबल कॉज) = महान् कारण | Utmost [अटमोस्ट] = परम, सर्वाधिक ।

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