Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 4 समाज में लिंग भेद

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions Civics Samajik Aarthik Evam Rajnitik Jeevan Bhag 2 Chapter 4 समाज में लिंग भेद Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 4 समाज में लिंग भेद

Bihar Board Class 7 Social Science समाज में लिंग भेद Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
अगर आप श्यामा की जगह पर होते तो क्या करते?
उत्तर-
अगर मैं श्यामा की जगह पर होती तो अपने परिवार को मनाने की कोशिश करती की वह मुझे भी पढ़ाई के लिए स्कूल जाने दें। मुझे भी पढ़ने-लिखने में सहयोग करें और मुझे भी दौड प्रतियोगिता आदि में भाग लेने दें और इनकी इस सोच को बदलने की कोशिश करती की लड़कियाँ सिर्फ घर के ही कार्य कर सकती है और पढ़-लिखकर वे क्या करेंगी, उन्हें तो बड़ी होकर चूल्हा ही फूंकना है।

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प्रश्न 2.
श्यामा के परिवार की सोच का श्यामा के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं?
उत्तर-
श्यामा के परिवार की सोच की लडकियाँ तो बडी होकर चल्हा ही फूंकेंगी। इससे श्यामा की जिंदगी बिल्कुल घर में कैद हो गयी है। उसे पढ़ाई नहीं करने दिया जाने से वह कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाएगी और जिंदगी को अपने ढंग से नहीं जी पाएगी। उसे हमेशा दूसरों पर आश्रित रहना पड़ेगा। वह कभी बाहर की दुनिया को नहीं देख पाएगी, कभी आत्मनिर्भर नहीं हो पाएगी। उसकी जिंदगी घर के अंदर चहारदीवारी में ही बंद होकर रह जाएगी।

प्रश्न 3.
शबाना, जावेद, श्यामा और गोविन्द के जीवन में किस तरह का फर्क है?
उत्तर-शबाना, जावेद, श्यामा और गोविन्द जिस तरह के माहौल में बडे हए हैं, उसमें बहुत अंतर है। शबाना और जावेद बहुत ही खले माहौल के बीच

बडे हए हैं। उनके घर में उनके माता-पिता दोनों काम करते हैं, इसलिए उन्हें  ज्यादा समय नहीं मिल पाता । इस कारण घर के कार्यों को सभी मिल-जुलकर

कार्य करते हैं। शबाना, जावेद अपनी पढ़ाई के साथ ही घर का कार्यों को करने में भी अपने माता-पिता का सहयोग करते हैं। वे दोनों बड़े होकर देश की ओर से क्रिकेट खेलना चाहते हैं और उनके माता-पिता इस सपने को पूरा करने में उनका पूरा सहयोग करते हैं।

श्यामा के साथ ऐसा नहीं हैं। उसके घर का माहौल ऐसा नहीं है। उसके यहाँ लड़के और लड़कियों में भेद किया जाता है। उसे पढ़ने नहीं दिया जाता, किसी प्रतियोगिता में भाग नहीं लेने दिया जाता है। उसे आत्मनिर्भर बनने का। मौका नहीं दिया जा रहा है।

गोविन्द के घर में उसके माता-पिता दोनों मजदूरी करते हैं। उसकी माँ थक जाने के कारण कभी-कभी घर का काम नहीं कर पाती है। जिस कारण उसके माता-पिता के बीच झगड़ा भी होता है। गोविन्द को ये सब पसंद नहीं है, इसलिए वह घर का कुछ काम जैसे – बरतन साफ करना, जलावन की लकड़ी लाना, झाडू लगाना आदि वह खुद ही कर लेता है । जिस कारण उसके दोस्त उसका मजाक भी उड़ाते हैं।

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प्रश्न 4.
गोविन्द के दोस्त उसे क्यों चिढ़ाते हैं? क्या उनका चिढाना उचित है?
उत्तर-
गोविन्द के दोस्त उसे इसलिए चिढ़ाते हैं, क्योंकि वो अपने घर का कार्य जैसे झाड़ लगाना, बरतन साफ करना, जलावन की लकड़ी लाना आदि करता है। गोविन्द के दोस्तों को गोविन्द का चिढाना सही नहीं है। क्योंकि अपने घरों के कार्य दरने में कोई बुराई नहीं है। अगर लड़कियाँ घर के कामों में अपनी माँ का हाथ बँटा सकती है, तो फिर लड़के क्यों नहीं।

प्रश्न 5.
आप गोविन्द के दोस्त होते तो क्या करते?
उत्तर-
अगर हम गोविन्द के दोस्त होते तो उसे चिढ़ाते नहीं बल्कि उसकी तरह ही हम भी अपने घरों में अपने माँ की कामों में हाँथ बँटाते । घर के छोटे-मोटे कामों को कर देते जिससे हमारी माँ को थोड़ा आराम मिलता। घर के छोटे-मोटे कामों को करने में कोई बुराई नहीं है। जिस तरह बेटियाँ अपने घरों के काम में माँ का हाथ बँटाती है, उसी तरह बेटों को उनके काम में हाथ बँटाना चाहिए।

प्रश्न 6.
पीछे दिए गए उदाहरणों के आधार पर आप किस रूप में बड़ा होना पसंद करेंगे और क्यों?
उत्तर-
पीछे दिए गए उदाहरणों के आधार पर मैं “जावेद और शबाना’ की तरह बड़ा होना चाहूँगी।
‘जावेद और शबाना’ के घर का माहौल बहुत ही खला है। वहाँ बच्चों – को घर के कार्य करने के साथ-साथ पढ़ने-लिखने का छूट भी दिया गया है।

वे लोग पढ़ाई के साथ-साथ अपनी माँ का घर के कामों में हाथ बँटाते हैं। उन लोगों का सपना है कि बड़े होकर वे लोग देश की तरफ से क्रिकेट खेलें।

उनके माता-पिता भी उनके इस सपने को पूरा करने में उनका सहयोग करते हैं। ऐसा नहीं है कि उनके घर में बेटा होने के कारण जावेद को पढ़ने का

हक है और शबाना बेटी है इसलिए उसकी पढ़ाई बंद करवाकर उसे घर का काम करने को कहा जाए। उनके घर में बेटे और बेटियों के समान रूप से व्यवहार किया जाता है और दोनों के सपनों की कद्र की जाती है।

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प्रश्न 7.
लड़के एवं लड़कियों के पहनावे और खिलौने में फर्क क्यों हैं? चर्चा करें।
उत्तर-
लड़के एवं लड़कियों के पहनावे और खिलौने में फर्क समाज के लोगों की सोच के कारण है। समाज ही लड़के और लड़कियों में अंतर करता है। समाज के द्वारा ही यह तय किया जाता है लड़कियों और लड़कों के कपड़े और खिलौने कैसे होंगे। बचपन से लडके और लड़कियों के खिलौनों में भी फर्क किया जाता है जैसे-लड़के को खेलने के लिए कारें दी जाती है और लड़कियों की गुड़िया ।

इन खिलौनों के माध्यम से यह दर्शाने के कोशिश की जाती है कि जब वे बड़े होकर स्त्री या पुरुष होंगे तो उनके जीने का तरीका अलग-अलग होगा। बचपन से इस तरह की बातों को देखते हए उन्हें ऐसा लगने लगता है कि स्वी व पुरुष की भूमिकाओं को निभाना उनका प्राकृतिक गुण है और उन्हें जीवन भी उसी आधार पर जीना चाहिए।

प्रश्न 8.
आपके घर के ज्यादातर काम कौन करता है, और क्यों ?
उत्तर-
मेरे घर के ज्यादातर काम मेरी माँ करती है। क्योंकि मेरे पिताजी सुबह में ही ऑफिस चले जाते । मेरी माँ एक गृहणी हैं। वह घर के सारे काम को बहुत ही अच्छे ढंग से करती हैं। वह घर की देखभाल करती है, हमारी सेहत का भी ध्यान रखती है। वह सबसे पहले रसोई घर के कामों को निपटाती हैं, फिर घर के झाडू-पोंछा करती हैं बिस्तर ठीक करती है। इन सारे कार्यों

के अलावा वह हमारे पढ़ाई का भी ध्यान रखती है। हमारे होमवर्क पूरा करने में भी हमारी मदद करती है। इसके अलावे वे घर के बाहर का सारा कार्य भी करती है, जैसे-घर के लिए कुछ सामान लाना, बैंक का कार्य, बिजली का बिल आदि। मेरे पिताजी सुबह ऑफिस जाते हैं और रात आते हैं। उनके

ऑफिस जाते वक्त दुकानें बंद रहती है और उनके आते वक्त आधे से अधिक दुकानें बंद हो जाती हैं। इसलिए मेरी माँ को ये सारे कार्य करने पड़ते हैं।

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अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सामान्यतः एक घर में ‘लड़का’ और ‘लड़की’ के रूप में कौन ये काम करेगा ?

  1. मेहमान के लिए एक गिलास पानी लाना ।
  2. माँ के बीमर होने पर डॉक्टर को बुलाना।
  3. घर के खिड़की दरवाजे की सफाई करना।
  4. पिताजी की मोटर साइकिल साफ करने में मदद करना।
  5. बाजार से चीनी खरीदना।
  6. किसी आगंतुक के आने पर दरवाजा खोलना।

उत्तर-

  1. लड़का
  2. लड़का
  3. लड़की
  4. लड़का
  5. लड़का
  6. लड़की।

प्रश्न 2.
आपके परिवार या पास-पड़ोस में क्या लड़कियों और लड़कों में भेद होता है ? आपकी समझ में से यह भेद किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-
हाँ, मैंने अपने घर के आस-पड़ोस में लड़के और लड़कियों में भेद होते देखा है। लोग अपने लडकियों और लडकों में भेद करते हैं। वे उनके पहनावे, खान-पान, खेल-कूद आदि में भेद भाव करते हैं। वे अपने बेटों के ऊपर ज्यादा ध्यान देते हैं। वे अपने लड़के को अपने हैसियत के हिसाब से हर खुशी देने की कोशिश करते हैं। वे अपने लडकों को पढ़ाई भी कराते हैं। उन्हें घर का कोई भी काम नहीं करने देते, क्योंकि उनका मानना होता है कि ।

स्कूल से पढ़ाई कर के आया है, थक गया होगा। उसे बिल्कल ताजा खाना दिया जाता है, उसके खाने में मौसमी फल होने चाहिए। खाने में दूध का भी होना जरूश्री होता है। खाली समय में उन्हें पढ़ाई के अलावा खेल-कूद में भी आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उनके सारे फरमाइशों को तुरंत पूरा किया जाता है। अगर कुछ गलत भी करता है तो टाल दिया जाता है।

लड़कियों के ऊपर इतना ध्यान नहीं दिया जाता है। उनकी पसंद-नापसंद का कुछ खास ध्यान नहीं दिया जाता हैं। उन्हें बहुत ज्यादा पढ़ाई भी नहीं करवाई जाती। उनसे घर के कार्यों को कहा जाता है। उनके खान-पान पर भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। उनके खाने में फल-फूल, दूध आदि का होना न होना कुछ खास मायने नहीं रखता ।

खाली समय में भी कुछ समय ही पढाई कर पाती हैं, बाकी के समय में कछ न काम करने को बोल दिया जाता है। लड़कों की तरह उनको किसी बात को तुरंत पूरा नहीं किया जाता है। लड़कियों को हमेशा यह सिखाया जाता है कि उन्हें बड़े होकर दूसरे के घर जाना है, इसलिए उन्हें घर के सारे काम-काज आने चाहिएं।

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प्रश्न 3.
महिलाओं की तुलना में पुरुषों का काम, क्या ज्यादा मूल्यवान होता है ? अगर नहीं तो क्यों?
उत्तर-
मेरे हिसाब से महिलाओं की तुलना में पुरुषों का काम ज्यादा मूल्यवान नहीं होता है। हमारे समाज में पुरुषों के काम को ज्यादा मूल्यवान इसलिए माना जाता है, क्योंकि वे घर से बाहर जाकर काम करते हैं इसके लिए उन्हें पढ़ाई करनी पड़ती है, काम को सीखना पडता है जिसमें पैसा भी खर्च होता है।

पर महिलाएँ घर का काम करती है. इसके लिए उनका ज्यादा पढ़ा-लिखा होना भी जरूरी नहीं होता है। घरेलू कार्यों को सीखने के लिए उन्हें पैसे खर्च नहीं करने पड़ते । इन कामों को करना तो महिलाओं का स्वाभाविक गुण होता है। इसलिए महिलाओं का कार्य मूल्यवान नहीं माना।।

पर आज के समय में महिलाएं पुरुषों की तरह पढ़ाई भी करती है, कामों को सीखती भी है और उन्हीं तरह घर से बाहर जाकर काम भी करती है और पैसे भी कमाती है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर कार्य करती है। आज के समय ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहाँ सिर्फ पुरुष ही काम करते हैं, महिलाएँ नहीं।

इन सारे कार्यों के साथ-साथ वे घर के कार्यों को भी संभालती है और अपने परिवार को भी। इसलिए मेरे हिसाब से पुरुषों से ज्यादा महिलाओं का कार्य मूल्यवान होता है।

प्रश्न 4.
घरेलू मजदूरी करने वाली महिलाओं से बातचीत कर उनके कार्यों का विवरण काम के घंटे,समस्याएँ एवं मजदूरी आदि की सूची तैयार करें।
उत्तर-
छात्र इसे स्वयं करें

प्रश्न 5.
अगर आपकी माँ घर का काम दो दिनों के लिए आपको सौंप दे तो उन कार्यों को करने में क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर-
अगर मेरी माँ घर का काम दो दिनों के लिए मुझे सौंप दे, तो उन कार्यों करने में सबसे बड़ी समस्या है कि माँ की तरह जल्दी-जल्दी सारा काम नहीं कर पाती हूँ। मैं माँ की तरह स्वादिष्ट खाना नहीं बना पाती हूँ और घर की सफाई भी अच्छे से नहीं कर पाते हैं।

Bihar Board Class 7 Social Science समाज में लिंग भेद Notes

पाठ का सार संक्षेप

हमारी पहचान आमतौर पर एक स्त्री या एक पुरुप के रूप में होती है। इस अध्याय में यह पढ़ना की हमारे समाज में स्त्री और पुरुष की भूमिका कैसे तय होती है।

लिंग मनुष्य की जैविक संरचना है। किसी मनुष्य में प्रजनन अंग यह निर्धारित करता है कि मनुष्य स्त्री है या पुरुष । महिलाओं के कुछ गुण जैसे बच्चे को जन्म देना और उसे स्तनपान कराना उनके विशिष्ट एवं प्रकृतिक गुण है। मनुष्यों में यह फर्क जैविक संरचना के कारण होती है। हमारे समाज में ज्यादातर लोग ‘जेंडर’ शब्द का अर्थ लिंग यानी स्त्रीलिंग व पुलिंग के लिए करते हैं, जो कि एक गलत धारणा है। ‘जेंडर’ से हमारी सामाजिक व्यवहार को दर्शाया जाता है।

Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 4 समाज में लिंग भेद

किसी महिला या किसी पुरुष को क्या पहनना चाहिए.. क्या काम करना चाहिए, कैसा व्यवहार करना चाहिए यह सभी सामाजिक रूप से तय होते हैं। ये बातें लिंग भेद, जेण्डर या सामाजिक लिंग कहलाते हैं। लेकिन समय के साथ-साथ समाज बदल रहा है और साथ ही सामाजिक लिंग की परिभाषा बदल रही है। जैसे- कुछ वर्ष पहले तक लड़कियों को स्कूल नहीं जाने दिया जाता था। लेकिन समय के साथ लोगों को इस सोच में भी बदलाव आया है और अब लोग लड़कियों को भी स्कूल जाने की आजादी देने लगे हैं।