Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 11 कबीर के पद Text Book Questions and Answers, Summary.
BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 11 कबीर के पद
Bihar Board Class 8 Hindi कबीर के पद Text Book Questions and Answers
प्रश्न-अभ्यास
Kabir Ke Pad Class 8 Bihar Board Chapter 11 प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों को पूरा कीजिए।
(क) मेरा तेरा मनुआँ ………….
मैं कहता सुरझावनहारी …………
………… तु रहता है सोई रे।
उत्तर:
मेरा तेरा मनुआँ कैसे इक होई रे।
मैं कहता हौं आँखिन देखी, तू कहता कागद को लेखी।
मैं कहता सुरावानहारी, तू राख्यो उरझाई रे।।
मैं कहता तू जागत रहियो, तू रहता है सोई रे ॥
(ख) ना तो कौनों क्रिया करम में …………………… पलभर की तलास में।
उत्तर:
ना तो कौनों क्रिया करम में नहिं जोग बैराग में। ………… खोजी होय तो तुरतहि मिलिहौ, पलभर की तलाश में।
कबीर के पद के प्रश्न उत्तर Bihar Board Chapter 11 प्रश्न 2.
इन पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) मैं कहता निर्मोही रहियो, तू जाता है मोही रे।
उत्तर:
कबीर के अनुसार मनुष्य को अनुरागहीन (निर्मोही) होना चाहिए क्योंकि अनुरागहीन होने से ही मनुष्य का कल्याण होता है। इसके विपरीत मनुष्य अनुराग में पड़ता।
(ख) मोको कहाँ ढूंढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में।
उत्तर:
मानव ईश्वर को यत्र-तत्र मंदिर-मस्जिद में ढूँढ़ते-फिरते हैं लेकिन ईश्वर तो मनुष्य के पास ही हृदय में निवास करते हैं।
Class 8 Hindi Chapter 11 Bihar Board प्रश्न 3.
“मोको” शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है ?
उत्तर:
“मोको” शब्द ईश्वर/अल्लाह के लिए किया गया है।
पाठ से आगे
कबीर के पद प्रश्न उत्तर Bihar Board Chapter 11 प्रश्न 1.
कबीर की रचनाएँ आज के समाज के लिए कितनी सार्थक/उपयोगी हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कबीर की रचनाएँ आज के समाज के लिए अत्यन्त सार्थक/उपयोगी है। जहाँ आज भी बाह्य आडम्बर की मान्यता दी जा रही है। आज के समय में जबकि मनुष्य के पास समयाभाव है। अत्यन्त भाग-दौड़ के बाद मनुष्य अपने कर्तव्य को पूरा कर पाता है।
ऐसे काल में भी मनुष्य यदि तीर्थ यात्रा आदि में समय नष्ट कर रहा है तो भूल है क्योंकि ईश्वर तो हरेक प्राणियों के हृदय में ही निवास करते हैं । मनुष्य के लिए सच्ची भक्ति तो मानव सेवा ही है। इन सब बातों की सीख कबीर के पद से मिलते हैं। अत: कबीर की रचनाएँ आज के समाज के लिए उपयोगी एवं अत्यन्त सार्थक सिद्ध है।
कबीर पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 11 Bihar Board प्रश्न 2.
सगुण भक्तिधारा–जिसमें ईश्वर के साकार रूप की आराधना की जाती है। निर्गुण भक्तिधारा–जिसमें ईश्वर के निराकार (बिना आकार के). स्वरूप की आराधना की जाती है।
इस आधार पर कबीर को आप किस श्रेणी में रखेंगे? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
कबीरदास निर्गुण भक्ति धारा के भक्त कवि थे। क्योंकि उन्होंने ईश्वर को मानव हृदय में ही रहने वाला बताया है। उनके अनुसार मंदिर-मस्जिद या कैलाश आदि तीर्थ स्थान में सकार रूप स्थित देवताओं की मूर्ति में ईश्वर नहीं रहते हैं।
कबीर के पद Bihar Board Chapter 11 प्रश्न 3.
सगुन भक्तिधारा एवं निर्गुण भक्ति धारा के दो-दो कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सगुन भक्ति धारा में तुलसीदास एवं सूरदास प्रमुख हैं।
निर्गुण भक्ति धारा में – कबीरदास एवं रैदास प्रमुख हैं।
Ch 11 Hindi Class 8 Bihar Board प्रश्न 4.
वैसी पंक्तियों को खोजकर लिखिए जिसमें कबीर ने धार्मिक आडम्बरों पर कुठाराघात किया है।
उत्तर:
मोको कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में।
- ना मैं …………………… कैलास में।
- ना तो कौनो क्रिया …………… बैराग में।
- खोजी होय तो ……………….. तलास में।
- कहै कबीर ……………….. साँस में। ।
गतिविधि
Class 8 Hindi Chapter 11 Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
अपने स्कूल या गाँव/शहर के पुस्तकालय में जाकर ‘कबीर ग्रंथावली’ या अन्य पुस्तकों से कबीर के बारे में विस्तृत जानकारी हासिलकर
मित्रों तथा अपने शिक्षकों से चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
Hindi Class 8 Chapter 11 Bihar Board प्रश्न 2.
सगुण भक्ति एवं निर्गुण भक्ति के एक-एक कविताओं को वर्ग कक्ष में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
Class 8 Hindi Chapter 11 Questions And Answers Bihar Board प्रश्न 3.
कबीर के पदों से संबंधित अनेक कैसेट्स बाजार में उपलब्ध हैं। उन
कैसटों को संग्रह कर सुनिए तथा उस पद को लय के साथ कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
कबीर के पद Summary in Hindi
मेरा तेरा मनुआँ कैसे इक ……………… तब ही वैसा होई रे।
अर्थ-मेरा और तेरा मन कैसे एक हो सकता है। अर्थात् सब के विचार एक नहीं हो सकते हैं। मैं कहता हूँ आँख से देखा सत्य समझना चाहिए तो तुम कहते हो कागज पर लिखा (शास्त्र-पुराण की) बात सत्य है । मैं किसी काम को सुलझाने की बात करता हूँ तो तुम उलझाने की बात करता है। जब मैं जगने की बात कहता हूँ तो सोने की बात करता है।
मैं निर्मोही (अनुरागहीन) बनने की बात करता हूँ तो मोही (अनुरागी होने) की बात करता है। – मैं जुगों-जुगों तक समझाता हूँ लेकिन कोई मानने वाला नहीं है । सत्गुरु ‘के ज्ञान की धारा बह रही है। उसमें कोई भी अपना शरीर धो सकता है।
कबीर का कहना है कि तभी वैसा हो सकता है । अर्थात् तभी हम सबों का मन एक हो सकता है जब सत्गुरु के ज्ञान रूपी जल धारा में हम सभी स्नान करें।
मोको कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो …………….. साँसों की साँस में।
अर्थ-ईश्वर का कहना है हे मेरे भक्त मुझे तुम कहाँ ढूँढ रहे हो । मैं __ तो तेरे पास ही हूँ। न मैं मंदिर में और न मस्जिद में रहता हूँ। किसी कर्मकाण्ड से भी मैं नहीं मिल सकता हूँ और न योग-वैराग से प्राप्त हो सकता हूँ। यदि तुम मुझे खोजो तो मैं पल भर में ही मिल जाऊँगा । कबीर का कहना है कि ईश्वर या अल्लाह तो हरेक प्राणियों के आत्मा में ही निवास करते हैं।