Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण मुहावरे

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण मुहावरे Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण मुहावरे

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण मुहावरे Questions and Answers

मुहावरे-जब कोई पद या पदबंध अपना साधारण (कोशीय) अर्थ न देकर विशेष अर्थ देता है तो उसे मुहावरा कहते हैं। जैसे “सिर हथेली पर रखना’ का सामान्य अर्थ सम्भव नहीं है क्योंकि कोई भी अपना सिर हथेली पर नहीं रखता। अतः इसका लाक्षणिक (रूढ़) अर्थ लिया जाता है-बड़े से बड़े बलिदान के लिए प्रस्तुत होना। मुहावरे मौखिक और लिखित अभिव्यक्ति को अधिक चुस्त, सशक्त, आकर्षक और प्रभावी बनाते हैं।

लोकोक्ति-यह ‘लोक + उक्ति’ से बना है जिसका अर्थ है-जनसाधारण में प्रचलित कथन। लोकोक्तियों का निर्माण जीवन के अनुभवों के आधार पर होता है। अपने कथन की पुष्टि करने के लिए उदाहरण देने या अभिव्यक्ति को अधिक प्रभावी बनाने के लिए लोकोक्तियों का प्रयोग किया जाता है।

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण मुहावरे

यहाँ यह बात ध्यान रखने की है कि मुहावरा वाक्य का अंग बनकर आता है किन्तु लोकोक्ति का स्वतंत्र प्रयोग होता है। दूसरे शब्दों में इस प्रकार भी कह सकते हैं कि मुहावरे का वाक्य-प्रयोग होता है, लोकोक्ति वाक्य के अंत में प्रयुक्त होती हैं।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर-बहुत-से लोग मुहावरे तथा लोकावित में कोई अंतर ही नहीं समझते। दोनों का अंतर निम्नलिखित बातों से स्पष्ट है-

क) लोकोक्ति लोक में प्रचलित उक्ति होती है जो भूतकाल का लोक-अनुभव लिए हुए होती है, जबकि मुहावरा अपने रूढ अर्थ के लिए प्रसिद्ध होता है।
(ख) लोकोक्ति पूर्ण वाक्य होती है, जबकि मुहावरा वाक्य का अंश होता है।
(ग) पूर्ण वाक्य होने के कारण लोकोक्ति का प्रयोग स्वतंत्र एवं अपने-आप में पूर्ण इकाई के रूप में होता है, जबकि मुहावरा किसी वाक्य का अंश बनकर आता है।
(घ) पूर्ण इकाई होने के कारण लोकोक्ति में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता, जबकि मुहावरे में वाक्य के अनुसार परिवर्तन होता है।

मुहावरे

1. अँगूठा दिखाना (साफ इनकार कर देना)-जब मैंने मंदिर के लिए सेठ जी से दान माँगा तो उन्होंने अंगूठा दिखा दिया।
2. अपना उल्लू सीधा करना (स्वार्थ सिद्ध करना)-आजकल अधिकांश राजनेता गद्दी मिलते ही अपना उल्लू सीधा करने लगते हैं।
3. अगर-मगर करना (टाल-मटोल करना)-जब भी मैं अपने मित्र से पुस्तक वापस माँगता हूँ तो वह अगर-मगर करने लगता है।
4. अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भ्रष्ट होना)-तुम्हारी अक्ल पर तो पत्थर पड़ गए हैं, बार-बार समझाने पर भी तुम नहीं मातने।
5. अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना (स्वयं अपनी हानि करना)-दुष्ट से झगड़ा मोल लेकर मैंने अपने पाँव पाप कुल्हाड़ी मार ली।
6. अपनी खिचड़ी अलग पकाना (साथ मिलकर न रहना)-भारत के मुसलमान व राजपूत अपनी खिचड़ी अलग पकाते रहे, इसीलिए विदेशी लोग यहाँ शासन करने में सफल हो गए।
7. अक्ल का दुश्मन (मुर्ख)-हो तुम अक्ल के दुश्मन ही, जो थोड़ी-सी पैतृक-संपत्ति के लिए भाई के प्राण लेने की सोच रहे हो।
8. अंधेरे घर का उजाला (इकलौता पुत्र, जिस पर आशाएँ टिकी हों)-मोहन की मृत्यु उसके पिता से सही नहीं जाएगी। वह उनके अंधेरे घर का उजाला था।
9. अड़ियल टटू (हठी)-वत्सराज को समझाना बहुत कठिन है, वह अड़ियल टटू है।
10. अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा)-सेठ जी के मरने के पश्चात् अब यह लड़का ही सेठानी जी के लिए अंधे की लकड़ी है।
11. अपने मुँह मियाँ मिठू बनना (अपनी प्रशंसा स्वयं करना)-आजकल के नेता अपने मुँह मिठू बनने में तनिक संकोच का अनुभव नहीं करते। 12. अपने पैरों पर खड़ा होना (आत्म-निर्भर रहना)-लालबहादुर शास्त्री ने बाल्यावस्था से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीख लिया था। ।
13. अपना ही राग अलापना (अपनी ही बात करते होना)–तुम सदैव अपना ही राग अलापते रहते हो, कभी दूसरों की भी सुन लिया करो।
14. अठखेलियाँ सूझना (मजाक करना)-मैं संकटों के जाल में फँसा हूँ और तुम्हें अठखेलियाँ सूझ रही हैं।
15. आँख दिखाना (गुस्से से देखना)-जो मुझे आँख दिखाएगा, मैं उसकी आँख फोड़ दूंगा।
16. आँखें खुलना (होश आना)-जब सभी कुछ जुए में लुट गया, तब कहीं, जाकर उसकी आँखें खुली।
17. आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)-शिवाजी औरंगजेब की आँखों में धूल झोंककर उसके चंगुल से बच निकले।
18. आँखों का तारा (बहुत प्यारा)-श्याम अपनी माँ की आँखों का तारा है।
19. आँखें बंद करना (अनदेखा करना)-विदेशी शक्तियाँ देश को लूटे जा रही हैं, तो भी हमारे नेता आँखें बंद करके अपनी राजनीति का खेल खेल रहे हैं।
20. आँखें फेर लेना (प्रतिकूल होना, पहले-सा प्रेम न रखना)-जब सेमेरी नौकरी छूटी है, दोस्तों-मित्रों की तो क्या; घरवालों ने भी मुझसे आँगने फेर
ली हैं।
21. आँखें नीली-पीली करना (नाराज होना)-तुम व्यर्थ ही आँखें नीली-पीली कर रहे हो, मैंने कोई अपराध नहीं किया है।
22. आँखें चुरा लेना (अनदेखा करना)-ऋणी सदा ऋणदाता से आँखें चुराने का प्रयास करता है।
23. आँखों से गिरना (सम्मान नष्ट होना)–अपराधी व्यक्ति समाज की नहीं स्वयं अपनी आँखों से भी गिर जाता है।
24. आँखें बिछाना (बहुत आदर करना)- श्रद्धालु जन अपने नेता की राह में आँखें बिछाए बैठे हैं और नेताजी जनता को उल्लू बनाने के चक्कर में हैं।
25. आँसू पोंछना (सांत्वना देना)-कश्मीर से लाखों हिन्दूजन उजड़कर बर्बाद होने के बावजूद कोई भी नेता उनके आँसू तक पोंछने नहीं गया। 26. आँसू पीकर रह जाना (दुख को चुपचाप सहना)-अपने बंधु-बांधवों को इस प्रकार काल का ग्रास बनते देखकर आँसू पीकर रह जाने के अतिरिक्त उसके पास चारा भी क्या था ?
27. आँच न आने देना (तनिक भी कष्ट न होने देना)-तुम निर्भय होकर अपने कर्तव्य का पालन करो, मैं तुम पर आँच न आने दूंगा।
28. आसमान पर चढ़ना (बहुत अभिमान करना)-रमेश परीक्षा में प्रथम क्या आया, उसका दिमाग आसमान पर चढ़ गया है।
29. आकाश के तारे तोड़ना (असम्भव काम करना)-शादी से पहले जो प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए आकाश के तारे तोड़ने को तैयार था, वह अब उसे काटने दौड़ता है।
30. आकाश-पाताल का अन्तर (बहुत अन्तर)-महात्मा गाँधी और सुभाषचन्द्र बोस के स्वभाव में आकाश-पाताल का अन्तर था।
31. आकाश से बातें करना (बहुत ऊँचा होना)-कुतुबमीनार आकाश से बातें करती है।
32. आग बबूला होना (गुस्से से भर जाना)-इस समय आग बबूला होने बजाय शांति से इस समस्या का समाधान ढूँढने का प्रयत्न करो।
33. आकाश को छूना (बहुत ऊँचा होना)-दिल्ली की भव्य अट्टालिकाएँ आकाश को छूती-सी नजर आती हैं।

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34. आसमान सिर पर उठाना (बहुत शोर करना)-शिक्षक के वर्ग से प्रस्थान करते ही बच्चों ने आसमान सिर पर उठाना शुरू कर दिया।
35. आकाश-पाताल एक करना (बहुत परिश्रम करना)-परीक्षा का समय समीप आने पर छात्र आकाश-पाताल एक कर देते हैं।
36. आग में घी डालना (क्रोध को बढ़ाना)-वह पहले ही क्रोध से लाल हो रहा है, उसे छेड़कर तुम आग में घी डाल रहे हो।
37. आटे-दाल का भाव मालूम होना (कष्ट अनुभव होना)-पिता ने पुत्र से कहा कि जब अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा तब तुझे आटे-दाल का भाव मालूम होगा।
38. आपे से बाहर होना (बहुत क्रोधित होना)-बच्चे की साधारण-सी भूल पर आपे से बाहर होना उचित नहीं।
39. आगे-पीछे फिरना (चापलूसी करना)-अफसरों के आगे-पीछे फिर कर अपना काम निकालने में रामलाल बड़ा दक्ष है।
40. आस्तीन का साँप (धोखा देने वाला साथी)-सुभाष से सावधान रहना, वह आस्तीन का साँप है। तुम्हें मीठी-मीठी बातों में डस लेगा।
41. ओखली में सिर देना (जानबूझ कर विपत्ति में पड़ना)-मैंने उसे चलती बस में चढ़ने से खूब रोका परन्तु कोई ओखली में सिर देना ही चाहे तो मैं क्या कर सकता हूँ।
42. इधर-उधर की हाँकना (गप्पें मारना)-इधर-उधर की हाँकने से काम नहीं चलता, काम तो करने से ही होता है।
43. ईंट का जवाब पत्थर से देना (दुष्टता का उत्तर और अधिक दुष्टता से देना)-यदि पाकिस्तान ने पुनः हमारे देश पर आक्रमण करने का दुस्माहस किया ‘ तो हम ईंट का जवाब- पत्थर से देंगे।
44. ईद का चाँद (बहुत कम दिखाई देने वाला)-मित्र, आजकल तो तुम ईद के चाँद हो गए हो; कभी मिलते तक नहीं। ‘
45. ईंट से ईंट बजाना (समूल नष्ट-भ्रष्ट कर देना)-शिवाजी ने मुगलों की ईंट से ईंट बजाने की प्रतिज्ञा की थी।
46. ऊँगली उठाना (लाँछन लगाना)-सीता-सावित्री जैसी देवियों के चरित्र पर ऊँगली उठाना अनुचित है।
47. ऊँगली पर नाचना (वश में रखना)-आजकल की पलियाँ अपने पतियों को ऊँगली पर नचाती हैं।
48. उल्टी गंगा बहाना (विपरीत कार्य करना)-लोग प्रातः जल्दी उठकर पढ़ते हैं, तुम रात-भर पढ़कर प्रातः सोते हो; यह उल्टी गंगा बहाने की क्या सूझी?
49. एड़ी चोटी का जोर लगाना (बहुत प्रयत्न करना)-तुम एड़ी चोटी का जोर लगाकर भी परीक्षा में मुझसे अधिक अंक नहीं पा सकते।।
50. कंठ का हार होना (बहुत प्रिय होना)-राजा दशरथ कैकेयी को कंठ का हार समझते थे, परन्तु उसी ने उनकी पीठ में छरा घोंप दिया।
51. कंगाली में आटा गीला होना (अभाव में अधिक हानि होना)-उस दुखिया विधवा के घर पर चोरी होना तो कंगाली में आटा गीला होना है।
52. कमर कसना (तैयार होना)-कमर कस लो; पता नहीं, कब शत्रुओं से लोहा लेना पड़े।
53. कफन सिर पर बाँधना ( मरने के लिए तैयार होना)-वीर सिर पर कफन बाँधकर युद्ध की आग में कूद पड़ते हैं।
54. कठपुतली होना (पूर्णत: किसी के वश में होना)-प्राय: अच्छे-से-अच्छे पुरुष शादी के बाद पत्नी के हाथों की कठपुतली हो जाते हैं।
55. कलई खुलना (भेद खुल जाना)-यदि एक भी अपराधी हाथ में आ जाएगा तो मुम्बई बम-कांड की कलई खुल जाएगी।
56. कलेजे का टुकड़ा (बहुत प्रिय होना)-माँ बच्चे को अपने कलेजे का टुकड़ा मानती है, फिर भी बच्चे माँ का सम्मान नहीं करते।
57. कलेजा फटना (बहुत दुख होना)-पत्नी की मृत्यु का समाचार सुनकर । पति का कलेजा फट गया।
58. कलेजे पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जलना)-जब से मेरे लड़के की नौकरी लगी है, तब से मोहन की माँ के कलेजे पर साँप लोटने लगा है।
59. कलेजा मुँह को आना (अत्यधिक व्याकुल होना)-लक्षमण तथा सीता सहित श्रीराम को वन में जाते देखकर अयोध्यावासियों का कलेजा मुँह को आ गय था।

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60. कलेजा ठंडा होना (संतोष होना)-जिस दिन तुमसे मैं अपनी पराजय का बदला ले लूँगा, उस दिन मेरा’ कलेजा ठंडा होगा।
61. कमर टूटना (निराश होना)-व्यापार में लाखों रुपये की हानि का समाचार पाकर सेठ घसीटामल की कमर टूट गई।
62. कान का कच्चा होना (बिना सोचे समझे बात पर विश्वास करना)-भई, घीसू की बात प्रमाणिक नहीं हो सकती।
63. काम आना (वीरगति प्राप्त करना)-गुरु गोविन्द सिंह के चारों पुत्र युद्ध में काम आ गए तो भी उनका उत्साह मंद नहीं हुआ।
64. कान पर जूं न रेंगना (बार-बार कहने पर भी असर न होना)-बार- बार पढ़ने के लिए कहने पर भी तुम्हारे कान पर जूं नहीं रेंगती।
65. कान भरना (चुगली करना)-किसी ने मेरे विरुद्ध मालिक के कान भर दिए, अत: मुझे नौकरी से निकाल दिया गया है।
66. कानों-कान खबर न होना (बिल्कुल खबर न होना)-नेताजी सुभाषचन्द्र बोस घर छोड़कर चले गए परन्तु किसी को कानों-कान खबर न हुई।
67. काया पलट होना (बिल्कुल बदल जाना)-घर के वातावरण से निकलकर छात्रावास का नियमित जीवन जीने से छात्रों की काया पलट हो जाती है।
68. कोल्हू का बैल (लगातार काम में लगे रहना)-कोल्हू का बैत बनने पर भी मजदूर को पेट भर भोजन नहीं मिल पाता।
69. किताब का कीड़ा (हर समय पढ़ते रहना)-किताब का कीड़ा बनने से स्वास्थ्य नष्ट हो जाता है, तुम्हें थोड़ा खेलना भी चाहिए।
70. किरकिरा होना (मजा बिगड़ जाना)-तुम्हारे विवाह में अचानक मेरी तबियत बिगड़ जाने से सारा मजा किरकिरा हो गया।
71. खरी-खोटी सुनाना (बुरा-भला कहना)-खरी-खोटी सुनाने से क्या लाभ, शांति से समझौता कर लो।
72. खटाई में पड़ना (काम में अड़चन आना)-बिजली न होने के कारण कारखानों का उत्पादन-कार्य खटाई में पड़ गया है।
73. खाक में मिल जाना (नष्ट हो जाना)-हिन्दू जाति की गरिमा उसके असंगठित होने के कारण खाक में मिल गई।
74. खाला जी का घर (आसान काम)-एम.ए. की परीक्षा पास करना कोई खाला जी का घर नहीं है।
75. खून खौलना (जोश में आना)-निर्दोष को पिटते देखकर मेरा खून खौल उठा।

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76. खून का यूंट पीना (अपने क्रोध को भीतर ही भीतर सहना)-पुलिस के द्वारा अपमानित होने पर राम खून का चूंट पीकर रह गया।
77. खिल्ली उड़ाना (हँसी उड़ाना)-अपंग को देखकर खिल्ली उड़ाना भले लोगों का काम नहीं
78. गड़े मुर्दे उखाड़ना (पिछली बातें याद करना)-अगर गड़े मुर्दे उखाड़ोगे तो घर में शांति नहीं रह पाएगी।
79. गुलछर्रे उड़ाना (मौज उड़ाना)-वह अपने पिता के परिश्रम से अर्जित की हुई सम्पत्ति के बलबूते पर गुलछर्रे उड़ा रहा है।
80. गर्दन पर सवार होना (पीछा न छोड़ना)-जब तक उसका काम नहीं। कर दोगे, वह तुम्हारी गर्दन पर सवार रहेगा।
81. गले पड़ना (मुसीबतें पीछे पड़ना)-जब से यह दूरदर्शन की बीमारी हमारे गले पड़ी है, तब से बच्चे इसी से चिपके रहते हैं।
82. गागर में सागर भरना (बड़ी बात को थोड़े शब्दों में कहना)-बिहारी के संबंध में वह उक्ति पूर्णतया उचित है कि उन्होंने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।
83. गाल बजाना (बढ़ा-चढ़ाकर अपनी प्रशंसा करना)-गाल बजाने के बजाय कुछ करके दिखाओ।
84. गिरगिट की तरह रंग बदलना (सिद्धान्तहीन होना)-आजकल के नेता इतने गिर चुके हैं कि वे नित्य गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं।
85. गुस्सा पीना (क्रोध को रोकना)-उस समय गुस्सा पीकर मैंने स्थिति को संभाल लिया अन्यथा झगड़ा बढ़ जाता।
86. गुदड़ी का लाल (निर्धन परिवार में जन्मा गुणी व्यक्ति)-‘जय जवान, जय किसान’ का उद्घोप करने वाले हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री वास्तव में गुदड़ी के लाल थे।
87. गुड़ गोबर का देना (बनी बात बिगाड़ देना)-लेट-लतीफ व्यक्ति महत्वपूर्ण कार्य का भी गुड़ गोबर कर देते हैं।
88. घड़ों पानी पड़ जाना (बहुत शर्मिंदा होना)-अपनी ईमानदारी की बातें करने वाले नेताजी को जब मैंने रिश्वत लेते हुए पकड़ा तो उन पर घड़ों पानी पड़ गया।
89. घर का चिराग (घर की आशा)-बच्चे ही घर का चिराग होते हैं।
90. घाव पर नमक छिड़कना (दुखी को और दुखी करना)-वह अनुत्तीर्ण होने के कारण पहले से ही दुखी है, तुम जली-कटी सुनाकर उसके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।
91. घाट-घाट का पानी पीना (अत्यन्त अनुभवी होना)-तुम क्या उसे अनाड़ी समझते हो ? उसने भी घाट-घाट का पानी पी रखा है। ।
92. घुटने टेकना (हार मान लेना)-महाराणा प्रताप ने जंगलों में भटकना स्वीकार किया, किन्तु शत्रु के सम्मुख घुटने टेकना स्वीकार नहीं किया।
94. घोड़े बेचकर सोना (निश्चित होना)-दिर-भर थकने के बाद मजदूर रात को घोड़े बेचकर सोते हैं।
95. चल बसना (मर जाना)-मेरे दादा जी कल चल बसे थे।

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96. चाँद पर थूकना (निर्दोष पर दोष लगाना)-अरे, उस संत-महात्मा पर व्यभिचार का आरोप लगाना चाँद पर थूकना है।
97. चादर से बाहर पैर पसारना (आमदनी से अधिक खर्च करना)-चादर से बाहर पैर पसारोगे तो कष्ट पाओगे।
98. चिराग तले अँधेरा (महत्वपूर्ण स्थान के समीप अपराध या दोष पनपना)-महात्मा जी के साथ रहकर भी चोरी करना वस्तुतः चिराग तले अँधेरा का होना है।
99. चिकना घड़ा (बेअसर)-अक्सर इकलौते लड़के लाड़-प्यार में बिगड़कर चिकने घड़े हो जाते हैं।
100. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना (घबड़ा जाना)-जब चोर ने सामने से आते थानेदार को अपनी ओर लपकते देखा तो उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ गईं।
101. चैन की वंशी बजाना (आनन्द से रहना)-राम के राज्य में इतनी जन-सुविधाएँ थीं कि प्रजाजन चैन की वंशी बजाया करते थे।
102. छक्के छुड़ाना (हराना)-भारत ने युद्ध में पाक के छक्के छुड़ा दिए।
103. छठी का दूध याद आना (बहुत दुखी होना)-पुलिस ने चोर की ऐसी पिटाई की कि उसे छठी का दूध याद आ गया।
104. छाती पर साँप लोटना (जलना)-मझे प्रथम आया देखकर मेरी पडोसिन की छाती पर साँप लोट गया।
105. छाती से लगाना (बहुत प्यार करना)-सुदामा को देखते ही श्रीकृष्ण ने उसे छाती से लगा लिया।
106. छाती पर मूंग दलना (कष्ट पहुँचाना, सम्मुख अनुचित कार्य करना)-पिता ने नालायक पुत्र को घर से निकाल दिया, फिर भी वह उसी मुहल्ले में रहकर उनकी छाती पर मूंग दलता रहता है।
107. छिपा रुस्तम (देखने में साधारण, वास्तव में गुणी)-अरी संतोष ! तू तो छिपी रुस्तम निकली। तू इतना अच्छा गा लेती है, यह मैंने कभी सोचा भी न था।
108. छोटा मुँह बड़ी बात (अपनी सीमा से बढ़कर बोलना)-उस भ्रष्टाचारी लाला द्वारा आदर्शों पर दिया गया भाषण छोटा मुँह बड़ी बात है और कुछ नहीं।
109. जहर का यूंट पीना (अपमान सहन करना)-मेरे जीजा ने मुझ निरपराध को बुरी तरह पिटवाया परन्तु मैं अपनी बहन के हित में जहर की चूंट पीकर रह गया।
110. जान पर खेलना (जोखिम उठाना)-आजादी प्राप्त करने के लिए क्रांतिकारी वीर जान पर खेल जाते थे।
111. जूती चाटना (खुशामद करना)-अस्थायी नौकरी वालों को अपने उच्चाधिकारियों की जूतियाँ चाटनी पड़ती हैं, अन्यथा नौकरी से हाथ धो बैठने का खतरा रहता है।

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112. टका-सा जवाब देना (साफ इनकार करना)-मुसीबत पड़ने पर मैंने उससे थोड़ी-सी सहायता माँगी तो उसने टका-सा जवाब दे दिया।
113. टाँगे पसार कर सोना (निश्चित सोना)-परीक्षा देने के बाद छात्र टाँगे । पसार कर सोते हैं।
114. टाँग अड़ाना (व्यर्थ में दखल देना)-अपना काम करो, दूसरों के मामलों में क्यों टाँग अड़ाते हो ?
115. टालमटोल करना (बहाने बहाना)-कुछ लोगों का टालमटोल करने का स्वभाव बन जाता है।
116. टोपी उछालना (अपमानित करना)-बड़े बूढ़ों की टोपी उछालना भले लोगों का काम नहीं है।
117. ठोकरें खाना (धक्के खाना)-स्नातक होते हुए भी नौकरी के लिए ठोकरे खा रहा हूँ।
118. डींगें हाँकना (शेखियाँ जमाना)-उसे आता-जाता कुछ है नहीं, व्यर्थ में डींग हाँकता रहता है।
119. ढाक के तीन पात (कोई सुखद परिवर्तन न होना)-मैंने सोचा था कि अब जवानी में तुम्हारा स्वभाव कुछ मधुर हो गया होगा, किन्तु में देख रहा हूँ कि वही ढाक के तीन पात हैं।
120. तारे गिनना (व्यग्रता से प्रतीक्षा करना)-प्रेमी अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए दिन में तारे गिन रहा है और प्रेमिका को श्रृंगार से फुरसत नहीं।
121. तिल का ताड़ बनाना (छोटी-सी बात को बढ़ा देना)-बिना कारण माँ की तो तिल का ताड़ बनाने की आदत है।
122. तिल रखने की जगह न रहना (ज्यादा भीड़ होना)-शादी के अवसर पर घर-भर में इतने लोग इकट्ठे हो गए थे कि घर में तिल रखने की जगह नहीं रह गई थी।
123. तूती बोलना (बहुत प्रभाव होना)-स्वतंत्रता आंदोलन के समय सारे देश में महात्मा गाँधी की तूती बोलती थी।
124. थाली का बैंगन (सिद्धान्तहीन व्यक्ति)-उसे तुम अपनी पार्टी का । विश्वस्त कार्यकर्ता मत मानो, वह थाली का बैंगन है।
125. दाँतों तले अंगुली दबाना (आश्चर्यचकित होना)-भारतीय सैनिकों की वीरता के कारनामे सुनकर संसार दाँतों तले अंगुली दबाने लगा। 126. दाँत काटी रोटी होना (पक्की दोस्ती होना)-तुम मोहन और सोहन में फूट नहीं डाल सकते उनकी तो दाँत काटी रोटी है।
127. दाँत खट्टे करना ( हराना)-भारतीय सेना ने पाक सेना के दाँत खट्टे कर दिए।
128. दाल में कुछ काला (‘कुछ रहस्य होना)-दाल में कुछ काला है, तभी तो मरे समीप पहुँचते ही उन्होंने बातें करनी बंद कर दी।
129. दाल न गलना (सफल न होना)-अकबर ने अनेक चालें चलीं, परन्तु राणा प्रताप के सामने उसकी दाल न गल सकी।
130. दाहिना हाथ (बहुत बड़ा सहायक)-पंडित जवाहरलाल नेहरू । महात्मा गाँधी के दाहिने हाथ थे।
131. दिन फिरना (भाग्य पलटना)-मोहन, निराश होने की आवश्यकता नहीं है। दिन फिरते तनिक देर नहीं लगती।
132. दिन दुनी रात चौगुनी उन्नति करना ( अधिकाधिक उन्नति करना)-प्रत्येक माँ अपने बेटे को यही आशीर्वाद देती है कि बेटा दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करे।
133. दनिया से कच कर जाना (मर जाना)-संसार का प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि उसे इस दुनिया से कूच कर जाना है, फिर भी धन-संग्रह की लालसा समाप्त नहीं होती।

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134. दुम दबाकर भागना (डरकर भाग जाना)-पुलिस को आते देखकर चोर दुम दबाकर भाग गया।
135. दूध का दूध पानी का पानी (ठीक-ठीक न्याय करना)-सच्चा न्यायाधीश वही है, जो दूध का दूध पानी का पानी कर दे।
136. दूर के ढोल सुहावने लगना (पूरे परिचय के अभाव में कोई वस्तु आकर्षक लगना)-अपने देश को छोड़कर विदेशों में मत भागो। वहाँ भी कम कष्ट नहीं हैं। याद रखो, दुर के ढोल सुहावने गलते हैं।
137. दो नावों पर पैर रखना (एक साथ दो लक्ष्यों को प्राप्त करने की । चेष्ट करना)-दो नावों पर पैर रखने वाला कभी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता है।
138. धज्जियाँ उड़ाना (खंड-खंड कर देना)-सरोजिनी नायडू ने अपने वक्तव्य से अंग्रेजी के थोथे तर्कों की धज्जियाँ उड़ा डालीं।
139. धरती पर पाँव न पड़ना (अभिमान से भरा होना)-जब से सुबोध मंत्री बना है, तब से उसके पाँव धरती पर नहीं पड़ते।
140. धाक जमाना (रौब जमाना)-सरदार पटेल ने अपने परिश्रम और दृढ़ चरित्र से ऐसी धाक जमा रखी थी कि अंग्रेज सरकार भी उनका लोहा मानती थी।
141. नमक हलाल होना (कृतज्ञ होना)-राम नमक हलाल नौकर है।
142. नमक-मिर्च लगाना (बढ़ा-चढ़ाकर)-आजकल समाचार-पत्रों में नमक-मिर्च लगी हुई बातें छपी होती हैं जिससे साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठने की संभावना बनी रहती है!
143. नानी याद आना (संकट में पड़ना)-भारत-पाक युद्ध में पाक सेना को नानी याद आ गई।
144. नाक में दम करना (बहुत तंग करना)-राणा प्रताप ने अकबर की नाम में दम कर दिया।
145. नाक रखना (मान रखना)-कठिन समय में सहायता कर उसने समाज में मेरी नाक रख ली।
146. नाकों चने चबाना (बहुत तंग करना)-शिवाजी ने मुगल-सेना को अनेक बार नाकों चने चबवाए।
147. नाक कटना (इज्जत जाना)-चोरी के अपराध में अदालत की ओर से दण्डित होने पर उसकी नाक कट गई।
148, नाक-भौं चढ़ाना (घृणा प्रकट करना)-जब भी बहू घर का कोई काम करती है सास नाक-भौं चढाकर उसकी टियाँ निकालना शरू कर देती है।
149. नाक पर मक्खी न बैठने देना (अपने पर आक्षेप न आने देना):- ‘अफसर लोग चाहे कितने ही आरोपों से घिरे हों, पर वे अपनी नाक पर
मक्खी नहीं बैठने देते।

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण मुहावरे

150. नाक रगड़ना (गिड़गिड़ाकर क्षमा माँगना)-मोहन थोड़ी देर पहले
अकड़ रहा था, अब नाक रगड़ रहा है।
151. नाक में नकेल डालना (अच्छी तरह नियंत्रण में रखना)-रामलाल की पत्नी उसकी नाक में नकेल डालकर रखती है, परन्तु वह उसकी तनिक चिंता नहीं करता।
152. निन्यानवे के फेर में पड़ना (धन-संग्रह की चिंता करना)-निन्यानवे के फेर में पड़कर मैंने अनेकानेक चिंताओं को मोल ले लिया तथा समाज में बनी अपनी प्रतिष्ठा को गँवा दिया।
153. नीचा दिखाना ( पराजित करना)-पाकिस्तान ने जब कभी हमारी सीमाओं का उल्लंघन कर हम पर आक्रमण किया, हमने सदैव उसे नीचा दिखाया।
154. नौ दो ग्यारह होना (भाग जाना)-बिल्ली को देखते ही चूहे नौ दो ग्यारह हो गए।
155. पहाड़ टूटना (बहुत भारी कष्ट आ पड़ना)-अरे, जरा-सी खरोंच आने पर तुम तो ऐसे रो रहे हो जैसे पहाड़ टूट गया हो।
156. पर निकलना (स्वच्छंद हो जाना)-कॉलेज-जीवन में जाते ही प्रत्येक बच्चे के पर निकल आते हैं।
157. पत्थर की लकीर (पक्की बात)-मैंने जो कुछ भी कहा है, उसे पत्थर की लकीर समझना।
158. पलकें बिछाना (प्रेमपूर्वक स्वागत करना)-नेहरू जी के सोनीपत आने पर नगरवासियों ने उनके स्वागत में पलकें बिछा दी।
159. पाँव उखड़ जाना (स्थिर न रहना, युद्ध में हार जाना)-शिवाजी की छापमार रणनीति से औरंगजेब की सेना के पाँव उखड़ जाते थे।
160. पाँचों ऊँगली घी में होना (बहुत लाभ होना)-जब से मेरा भाई उपमंत्री बना है, मेरी तो पाँचों ऊँगलियाँ घी में हैं।
161. पारा उतरना (क्रोध शांत होना)-मैं जानता हूँ कि माँ का पार तभी उतरेगा जब वह अपने एकाध बच्चे पर गरज-बरस लेंगी।
162. पानी-पानी होना (लज्जित होना)-पर्स खोलते हुए माँ के द्वारा देख लिए जाने पर पुत्र पानी-पानी हो गया।
163. पापड़ बेलना (कष्ट उठाना)-नौकरी पाने के लिए मैंने कितने ही पापड़ बेले परन्तु मुझे सफलता नहीं मिली।
164. पानी का बुलबुला (शीघ्र नष्ट हो जाने वाला)-साधु-संतों ने मानव-जीवन को पानी का बुलबुला बतलाकर उसकी वास्तविकता पर प्रकाश डाला है।

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165. पीठ दिखाना (हार कर भागना)-भारतीय वीरों ने युद्ध में मरना सीखा है, पीठ दिखाना नहीं।
166. पेट में चूहे कूदना (जोर की भूख लगना)-जब मैं निरन्तर तीन किलोमीटर की यात्रा तय करने के पश्चात घर पहुँचा, उस समय मेरे पेट में चूहे कूद रहे थे।
167. पैरों तले से जमीन निकल जाना (स्तब्ध रह जाना)-अपने भाई की हृदय-गति रूकने से मृत्यु हुई जानकर उसके पैरों तले से जमीन निकल गई।
168. प्राणों की बाजी लगाना (किसी कार्य के लिए प्राण देना)-अमर शहीद भगतसिंह ने देश की बलिवेदी पर हँसते-हँसते प्राणों की बाजी लगा दी।
169. फंक-फूंक कर कदम रखना (बड़ी सावधानी से काम करना)-व्यक्ति लाख फूंक-फूंक कर कदम रखे, परन्तु जो होनी में लिखा है; वह होकर रहता है।
170. फूटी आँख का सुहाना (जरा भी अच्छा न लगना)-जब से मुझे उसकी चुगली करने की आदत का पता चला है, वह मुझे आँख नहीं सुहाता।
171. फला न समाना (बहत खश होना)-परीक्षा में सफल होने का समाचार सुनकर कार फूला न समाया।
172. बगला भगत (धर्त आदमी)-यह साधु बगला भगत है।
173. बंदर घुड़की ( थोथी धमकी)-भारत चीन की बंदर घुड़कियों से डरने वाला नहां, सैनिक दृष्टि से अब हमारी पूर्ण तैयारी है।
174. बगलें झाँकना (निरुत्तर हो जाना)-जब मैंने रहस्य जानने के लिए उसमें घूमा-फिराकर प्रश्न पूछे, तो वह बगलें झाँकने लगा।

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175. बहती गंगा में हाथ धोना (अवसर का लाभ उठाना)-1977 के चुनावों में सरकार के विरोध की ऐसी लहर थी कि उस बहती गंगा में जो भी हाथ धो गया, वह मंत्री या नेता बन गया।