Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल

Bihar Board Class 11 Geography महासागरीय जल Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल

(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
उस तत्त्व की पहचान करें जो जलीय चक्र का भाग नहीं है ……………..
(क) वाष्पीकरण
(ख) वर्षन
(ग) जलयोजन
(घ) संघनन
उत्तर:
(ग) जलयोजन

प्रश्न 2.
महाद्वीपीय ढाल की औसत गहराई निम्नलिखित के बीच होती है ……………….
(क) 2-20 मीटर
(ख) 20-200 मीटर
(ग) 200-2,000 मीटर
(घ) 2,000-20,000 मीटर
उत्तर:
(ग) 200-2,000 मीटर

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन की लघु उच्चावच आकृति महासागरों में नहीं पाई जाती है?
(क) समुद्री टीला
(ख) महासागरीय गंभीर
(ग) प्रवाल द्वीप
(घ) निमग्न द्वीप
उत्तर:
(ग) प्रवाल द्वीप

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सा सबसे छोटा महासागर है?
(क) हिंद महासागर
(ख) अटलांटिक महासागर
(ग) आर्कटिक महासागर
(घ) प्रशांत महासागर
उत्तर:
(ग) आर्कटिक महासागर

प्रश्न 5.
लवणता को प्रति समुद्री जल में घुले हुए नमक (ग्राम) की मात्रा से व्यक्त किया जाता है ………………..
(क) 10 ग्राम
(ख) 100 ग्राम
(ग) 1,000 ग्राम
(घ) 10,000 ग्राम
उत्तर:
(ग) 1,000 ग्राम

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
हम पृथ्वी को नीला ग्रह क्यों कहते हैं?
उत्तर:
जल हमारे सौरमंडल का दुर्लभ पदार्थ है। पृथ्वी को छोड़कर और किसी भी ग्रह – पर जल उपलब्ध नहीं है। पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में जल उपलब्ध है। इसलिए पृथ्वी को ‘नीला ग्रह’ (Blue Planet) कहा जाता है।

प्रश्न 2.
महाद्वीपीय सीमांत क्या होता है?
उत्तर:
महाद्वीपीय सीमा प्रत्येक महादेश का विस्तृत किनारा होता है जो कि अपेक्षाकृत छिछले समुद्रों तथा खाड़ियों का भाग होता है। यह महासागर का सबसे छिछला भाग होता है, जिसकी औसत प्रवणता 1 डिग्री या उससे भी कम होती है। इस सीमा का किनारा बहुत ही खड़े ढाल वाला होता है।

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प्रश्न 3.
विभिन्न महासागरों के सबसे गहरे गर्तों की सूची बनाइए।
उत्तर:
ये महासागरों के सबसे गहरे भाग होते हैं। अभी तक लगभग 57 गतों को खोजा गया है, जिसमें से 32 प्रशांत महासागर में, 19 अंध महासागर में एवं 6 हिंद महासागर में हैं।

प्रश्न 4.
ताप प्रवणता क्या है?
उत्तर:
महासागर के सतहीय एवं गहरी परतों वाले जल के बीच विभाजक रेखा होती है। विभाजक रेखा के इस क्षेत्र से जहाँ तापमान में तीव्र कमी आती है, उसे ताप प्रवणता कहा जाता है।

प्रश्न 5.
समुद्र में नीचे जाने पर आप ताप की किन परतों का सामना करेंगे? गहराई के साथ तापमान में भिन्नता क्यों आती है?
उत्तर:
महासागरीय जल की सबसे ऊपरी परत का तापमान 20 डिग्री से. से 25 डिग्री से. के बीच होता है। गहराई के बढ़ने के साथ इसके तापमान में तीव्र गिरावट आती है। क्योंकि समुद्रीय जल के कुछ आयतन का लगभग 90% भाग गहरे महासागर में ताप प्रवणता (थर्मोक्लाईन) के नीचे पाया जाता है।
बढ़ता हुआ तापमान = बढ़ती हुई गहराई

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प्रश्न 6.
समुद्री जल की लवणता क्या है?
उत्तर:
लवणता या खारापन वह शब्द है जिसका व्यवहार समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा को परिभाषित करने में किया जाता है। 1,000 ग्राम (1 किलोग्राम), समुद्री जल में घुले हुए नमक (ग्राम में) की मात्रा के द्वारा इसकी गणना की जाती है। यह प्रायः प्रति PPT के रूप में व्यक्त की जाती है। खारापन समुद्री जल का महत्त्वपूर्ण गुण है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जलीय चक्र के विभिन्न तत्त्व किस प्रकार अंतर-संबंधित हैं?
उत्तर:
जल एक चक्रीय संसाधन है। इसका प्रयोग बार-बार किया जा सकता है। जल एक चक्र के रूप में महासागर से धरातल पर और धरातल से महासागर तक पहुंचता है। जलीय चक्र पृथ्वी की सतह के ऊपर, सतह पर एवं सतह के भीतर जल की गति की व्याख्या करता है। पृथ्वी पर जल का वितरण असमान है। जलीय चक्र जल का वह चक्र है जो पृथ्वी के जलमण्डल से गैस, तरल व ठोस-विभिन्न रूपों में प्राप्त होता है। यह जल के लगातार आदान-प्रदान से भी संबंधित है। यह आदान-प्रदान महासागर, धरातल, वायुमण्डल, अधःस्तल व जीवों के बीच लगातार होता रहता है।

पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल का लगभग 71% भाग महासमुद्रों में पाया जाता है। शेष जल हिमानियों, हिमछत्रों, भूमिगत जल, झीलों, आई मृदा, वायुमण्डल सरिताओं और जीवन में ताजा/मीठे जल के रूप में संग्रहित है। चूंकि धरातल पर गिरने वाले जल का लगभग 59 प्रतिशत भाग वाष्पीकरण के द्वारा वायुमण्डल में चला जाता है। शेष भाग धरातल पर बह निकलता है; कुछ भूमि में रिस जाता है और कुछ भाग हिमानी का रूप ले लेता है।

प्रश्न 2.
महासागरों के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का निरीक्षण कीजिए।
उत्तर:
महासागरीय जल के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारक है –
(क) अक्षांश (Latitude) – महासागरों के ऊपरी जल का तापमान विषुवत् रेखा से ध्रुवों की तरफ विकिरण की मात्रा में कमी के कारण घटता जाता है।

(ख) स्थल एवं जल का असमान वितरण (Unequal Distribution of Land and Water) – उत्तरी गोलार्द्ध के महासागर दक्षिणी गोलार्ड के महासागरों की अपेक्षा स्थल के बहुत बड़े भाग से जुड़े होने के कारण अधिक मात्रा में ऊष्मा प्राप्त करते हैं।

(ग) प्रचलित हवाएँ (Prevailing Winds) – स्थलों से महासागरों की तरफ बहने वाली. हवाएँ समुद्र की तरफ से गर्म जल को तट के दूर धकेल देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप नीचे का ठंडा जल ऊपर की ओर आ जाता है। परिणामस्वरूप तापमान में देशांतरीय अंतर आता है। इसके विपरीत, समुद्र से तट की ओर बहने वाली हवाएँ गर्म जल को तट पर जमा कर देती हैं एवं इसके कारण तापमान बढ़ जाता है।

(घ) समुद्री जलधाराएँ (Ocean Currents) – गर्म महासागरीय जलधाराएँ ठंडे क्षेत्रों में तापमान को बढ़ा देती हैं, जबकि ठंडी धाराएँ गर्म समद्री क्षेत्रों के तापमान को घटा देती है। गल्फ स्ट्रीम (गर्म धारा) उत्तरी अमरीका के पूर्वी किनारे तथा यूरोप के पश्चिमी तट के तापमान को बढ़ा देती हैं, जबकि लेब्रोडोर जलधारा (ठंडी धारा) उत्तरी अमेरिका के उत्तर:पूर्वी किनारे के नजदीक के तापमान को कम कर देती है। .

(घ) परियोजना कार्य (Project Work)

प्रश्न 1.
विश्व की एटलस की सहायता से महासागरीय नितन के उच्चावच्चों को विश्व के मानचित्र पर दर्शाइए।
उत्तर:
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A. स्थलजात् निक्षेप
B. टैरोपोड सिंधुपक
C. ग्लोबीजेराइना सिंधुप
D. डायटम सिंधुपंक
E. रेडियोलेरियन सिंधुपंक
F. लाल मृत्तिका R= लाल पंक
G. G= हरी पंक
H. C = प्रवाल बालू एवं पंक

नोट – नीली पंक स्थलजात् निक्षेपों में विस्तृत रूप से तट के साथ-साथ महाद्वीपीय शेल्फ तथा महाद्वीपीय ढाल पर लगभग सभी स्थानों पर मिलती है। अत: मानचित्र पर इसको दर्शाया नहीं गया है।

प्रश्न 2.
एटलस की सहायता से हिन्द महासागर में महासागरीय कटकों के क्षेत्रों को पहचानिए।
उत्तर:
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A – सोकोत्रा चैगोस कटक
B – चैगोस कटक
C – सेचलीस कटक
D – चैगोस सेण्ट पाल कटक,
E – अमस्टरडम सेण्ट पाल कटक
F – भारत अण्टार्कटिका कटक
G – करगलेन गासबर्ग कटव
H – मैडागास्कर कटक
I – अटलांटिक-अण्टार्कटिका कटक

Bihar Board Class 11 महासागरीय जल Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वाष्यन-वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुछ जल का वाष्पन एवं अवशोषण पौधों की जड़ों द्वारा किया जाता है, परंतु इसका वाष्पोत्सर्जन पौधों की पत्तियों द्वारा कर दिया जान वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन कहते हैं।

प्रश्न 2.
पृथ्वी पर शुद्ध जल की प्राति कहाँ से होती है?
उत्तर:
पृथ्वी पर शुद्ध जल की प्राप्ति का मंडल, नदी तथा झरनों के ताजा जल, समुद्री जल (लवण घुला जल) तथा लवणीय झीलों से संघनित हुई सूक्ष्म बूंदों से होती है।

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प्रश्न 3.
‘थर्मोक्लाइन’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
महासागरीय जल की तापमान संरचना का द्वितीय स्तर थर्मोक्लाइन या ताप प्रवणता कहलाता है। इसकी विशेषता गहराई बढ़ने के साथ तीव्र गति से तापमान का घटना है।

प्रश्न 4.
महासागरीय जल के तापमान को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
तापमान को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-अक्षांश, स्थल एवं जल का असमान वितरण, प्रचलित पवनें, महासागरीय धाराएँ तथा अन्य गौण कारक, जैसे अंत: समुद्री कटक, स्थानीय मौसमी दशाएँ तथा समुद्र
की आकृति एवं आकार।

प्रश्न 5.
रेजिडेंस या आवास काल किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह औसत समय जिसमें एक तत्त्व महासागरीय जल में वहाँ से बाहर निकलने से पहले घुला रहता है, उसे रेजिडेंस अथवा आवास काल कहते हैं।

प्रश्न 6.
कैनियन का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
जब जल का प्रवाह महासागरीय शेल्फ को काट देता है तब इससे अंतः समुद्री कैनियन का निर्माण होता है।

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प्रश्न 7.
तट की परिभाषा बताइए।
उत्तर:
तट चौरस सतह वाला ऊँचा क्षेत्र है, जो अपेक्षाकृत कम गहराई होने के कारण मछली पकड़ने के लिए उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 8.
महासागरीय कटक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अंतः समुद्री पर्वत श्रृंखला जिसकी लंबाई लगभग 64000 किमी. है। महासागरीय कटक कहलाती है। इसकी खोज 20वीं शताब्दी में की गई।

प्रश्न 9.
महासागरीय खाई क्या होती है?
उत्तर:
महासागर के वे भाग, जो 6000 मी. से अधिक गहरे हैं, महासागरीय खाई कहलाते हैं। ये महासागरों में यत्र-तत्र पाए जाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
जलमंडल किसे कहते हैं? हिन्द महासागर को आधा महासागर क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी के तल के जल से डूबे हुए भाग को जलमंडल कहते हैं। यह घरातल पर लगभग 361,059,000 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं। जो पृथ्वी के धरातल के कुल क्षेत्र का 71% भाग है। उत्तरी गोलार्द्ध का 61% भाग तथा दक्षिणी गोलार्द्ध का 81% भाग महासागरों से घिरा हुआ है। उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा दक्षिणी गोलार्द्ध में जल का विस्तार अधिक है, इसलिए इसे वाटर हेमिस्फेयर (Water Hemisphere) कहते हैं।

अन्ध महासागर तथा प्रशांत महासागर उत्तर:दक्षिण में दोनों ओर खुले हैं। ये भूमध्य रेखा के दोनों ओर समान रूप से फैले हुए हैं, परंतु हिन्द महासागर उत्तर की ओर बंद है। एशिया महाद्वीप इसके विस्तार को रोकता है। एक प्रकार से इसका विस्तार अधिकतर दक्षिण की ओर है। इसलिए इसे आधा महासागर कहते हैं।

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प्रश्न 2.
गम्भीर समुद्री उद्रेरव (Submarine Ridges) किसे कहते हैं तथा गम्भीर समुद्री पहाड़ियों (कटकों) का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर:
महासागरीय तल पर ऊँचे उठे हुए भाग को गम्भीर उद्रेरव कहते हैं। यह प्रायः 60 हजार किलोमीटर लम्बे और 100 किमी चौड़े हो सकते हैं। इनकी विश्वव्यापी स्थिति किसी भूमंडलीय हलचल का संकेत देती है। प्रायः यह महासागरों के मध्य में या धरती पर पाई जाती है। इनकी रचना के कई कारण हैं –

  • दरारों के साथ बेसाल्ट का फैलना।
  • संवाहिक धाराओं द्वारा भूपटल का ऊँचा उठना तथा नीचे फँसना ।

कटकों का निर्माण – गम्भीर समुद्री तल पर कई पहाड़ियों, टीले तथा निमग्न द्वीप पाए जाते हैं। ये प्रायः 300 मीटर तक ऊँचे हैं। इनकी रचना ज्वालामुखी क्रिया तथा भूपटल में विरूपण से होती है। समुद्री टीले और द्वीप प्रशांत महासागर में काफी पाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
महासागरीय नितलों पर पाए जाने वाली सबसे अधिक सामान्य आकृतियों के नाम लिखो।
उत्तर:
महासागरीय तली पर महाद्वीपीय मग्नतट, महाद्वीपीय ढाल, महासागरीय मैदान तथा गर्त के अतिरिक्त निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं –

  1. उद्रेरव (Ridges)
  2. पहाड़ियाँ (Hills)
  3. टीले (Sea mounts)
  4. निमग्न द्वीप (Guyots)
  5. खाइयाँ (Trenches)
  6. 4641 (Canyons)
  7. ware fuferet (Coral reefs)
  8. 1747 (Canyons)

प्रश्न 4.
महासागरीय खाइयों तथा गों को विवर्तनिक उत्पत्ति वाला क्यों समझा जाता है?
उत्तर:
महासागरों में लम्बे, गहरे तथा संकरे खड्डों को महासागरीय गर्त कहा जाता है। इनकी उत्पत्ति भूतल एवं दरारें पड़ने तथा मोड़ पड़ने की हलचल के कारण हुई है। ये अधिकतर उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ भूकंप आते हैं तथा ज्वालामुखी स्थित हों। ये अधिकतर बलित पर्वतों तथा द्वितीय चापों के समानान्तर स्थित होते हैं। इसलिए इनका सम्बन्ध भूगर्मिक हलचलों से है। महासागरीय खाई का भाग 6000 मी. से अधिक गहरा होता है। अधिकांश खाइयाँ प्रशांत महासागर की सीमाओं के समीप स्थित हैं।

प्रश्न 5.
महाद्वीपीय शेल्फ किसे कहते हैं तथा विभिन्न प्रकारों के नाम बताएँ?
उत्तर:
महाद्वीपों के किनारे का विस्तृत क्षेत्र, जिसकी चौड़ाई कुछ किलोमीटर से 300 किमी. तक है, महासागरीय शेल्फ कहलाता है। यह महाद्वीपों के चारों ओर मंद ढाल वाला जलमग्न धरातल है। वास्तव में यह महाद्वीपीय खंड का ही जलमग्न किनारा हैं जो 150 से 200 मीटर तक गहरा होता है। प्रमुख नदियाँ समुद्र में पहुंचने के पश्चात् समुद्री जल से मिलते हुए अपने प्रवाह को महाद्वीपीय शेल्फ पर जारी रखती है। महाद्वीपीय शेल्फ निम्न प्रकार के हैं –

  1. हिमानीकृत शेल्फ
  2. बड़ी नदियों के मुहानों पर शेल्फ
  3. प्रवाल भित्ति शेल्फ
  4. द्रुमाकृतिक घाटियों से युक्त शेल्फ
  5. नवीन वलित पर्वत के पार्श्व शेल्फ

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प्रश्न 6.
महासागरीय नितल की गहराई कैसे मापी जाती है तथा संसार में सबसे गहरा स्थान कौन-सा है?
उत्तर:
महासागरीय नितल की गहराई गम्भीरता मापी यंत्र से मापी जाती है। इस यंत्र से ध्वनि तरंगें महासागरीय नितल को प्रतिध्वनि के रूप में वापस आती हैं। इनकी गति व समय से गहराई ज्ञात की जाती है। संसार में सबसे गहरा स्थान प्रशांत महासागर में गुआम द्वीपमाला के समीप मेरिआना गर्त है। इसकी गहराई 11022 मीटर है। यदि ऐवरेस्ट पर्वत को इस गर्त में डुबो दिया जाए तो इसकी चोटी समुद्री जल से 2 किलोमीटर नीचे रहेगी।

प्रश्न 7.
समुद्री खाई तथा समुद्री कैनियन में अंतर बताओ –
उत्तर:
समुद्री खाई तथा समुद्री कैनियन में अंतर –
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प्रश्न 8.
महासागरों का आर्थिक महत्त्व क्या है? वर्णन करें।
उत्तर:

  1. समुद्री पर्यावरण पौधों तथा पशु जीवन के बहुत समृद्ध स्रोत हैं।
  2. तटीय क्षेत्रों के निवासी मुख्य रूप से अपने निर्वाह तथा व्यापार के लिए समुद्रों पर ही निर्भर करते हैं।
  3. महाद्वीपीय सीमांतों का दोहन खनिज उत्पादन के लिए भी किया जा रहा है।
  4. उथले महाद्वीपीय शेल्फ तथा आंतरिक समुद्र प्लैटिनम, सोने तथा टिन के प्लेसर निक्षेप के लिए जाने जाते हैं।
  5. पेट्रोलियम संसाधनों के लिए भी महाद्वीपीय शेल्फ का दोहन किया जा रहा है।
  6. समुद्री सतह पर मैंगनीज की ग्रंथिकाएँ पाई गई हैं। ये ग्रंथिकाएँ, निकिल, ताँबा तथा कोबाल्ट के स्रोत भी हो सकते हैं।

प्रश्न 9.
प्रति ध्रुवीय स्थिति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
धरती पर जल और स्थल का वितरण प्रति ध्रुवीय है। महाद्वीपों और महासागर एक-दूसरे के विपरीत स्थित हैं। यह संयोजन इस प्रकार है कि जल और स्थल एक-दूसरे से एक व्यास के विपरीत कोनों पर (Diametrically opposite) स्थित हैं, जैसे आर्कटिक महासागर अण्टार्कटिक महाद्वीप के विपरीत स्थित है। यूरोप तथा अफ्रीका प्रशांत महासागर के विपरीत स्थित हैं। उत्तरी अमेरिका हिन्द महासागर के विपरीत स्थित है।

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प्रश्न 10.
समुद्री कैनियन की विशेषताओं एवं निर्माण को स्पष्ट करें।
उत्तर:
महासागरीय निमग्न तट तथा ढाल पर तंग, गहरी तथा ‘V’ आकार की घाटियों को कैनियन कहा जाता है। ये घाटियाँ विश्व के सभी तटों पर नदियों के मुहानों पर पाई जाती हैं। जैसे-हडसन, सिन्धु, गंगा, कांगो नदी। यह कैनियन नदी द्वारा अपरदन तथा सागरीय अपरदन से बनी हैं।

कैनियनों के प्रकार (Types of Conyons) – ये घाटियाँ मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं –

  1. वे कैनियन, जो छोटे, गार्ज के रूप में महाद्वीपीय शेल्फ से शुरू होकर ढाल पर काफी गहराई तक विस्तृत होते हैं। जैसे न्यू इंग्लैण्ड तट पर ओशनोग्राफर कैनियन ।
  2. वे कैनियन, जो नदियों के मुहानों से शुरू होकर कंवल शेल्फ तक ही पाए जाते हैं जैसे-मिसीसिपी तथा सिन्धु नदी के कैनियन, हडसन कैनियन ।
  3. वे कैनियन, जो तट व ढाल पर काफी कटे-फटे होते हैं, जैसे दक्षिणी कैलिफोर्निया के तट पर, बेरिंग कैनियन तथा जेम चुंग कैनियन ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पर टिप्पणियों लिखिए –

  1. महाद्वीपीय उत्थान
  2. मध्य महासागरीय कटक
  3. महासागरीय द्रोण
  4. अंतः समुद्री कैनियन

उत्तर:
1. महाद्वीपीय उत्थान – महाद्वीपीय शेल्फ के बाद महाद्वीपीय ढाल स्थित होता है, जो अचानक महाद्वीपीय उत्थान में प्रतिस्थापित हो जाता है, जिसका ढाल पर्याप्त मंद होता है। सामान्यतः महाद्वीपीय उत्थान मध्यम से निम्न उच्चावच का होता है। महासागरीय उत्थान सैकड़ों किलोमीटर चौड़ाई का क्षेत्र है, जिसका धरातल समीप के वितलीय मैदान से सैकड़ों मीटर ऊपर उठा होता है। महासागरीय उत्थान का उच्चावच अल्प से अत्यधिक असम हो सकता है। बरमूडा महासागरीय उत्थान का एक अच्छा उदाहरण है।

2. मध्य महासागरीय कटक – महासागरीय कटक एक अंत:समुद्री पर्वत श्रृंखला है। इसकी लम्बाई लगभग 64,000 किमी. है तथा इसकी खोज बीसवीं शताब्दी में महासागरीय खोजों के दौरान हुई । यह कटक उत्तरी एवं दक्षिणी अटलांटिक महासागरीय द्रोणियों के मध्य से गुजरता हुआ हिंद महासागरीय द्रोण और फिर आस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका के बीच से दक्षिणी प्रशांत द्रोणी में प्रवेश करता है। यह कटक एक पट्टी की भाँति फैला हुआ है। इसकी चौड़ाई 2000 से 2400 किमी है। वितलीय मैदान से यह सीढ़ियों के क्रम में ऊपर उठता है।

3. महासागरीय द्रोणी – महासागरीय द्रोणी महासागरीय सतह का एक विशाल क्षेत्र है जो सामान्यत: 2500 से 6000 मीटर की गहराई तक स्थित होता है। यह महासागरीय क्षेत्रफल के लगभग 76.2 प्रतिशत भाग पर विस्तृत है। महासागरीय द्रोणी सतह पर तीन प्रकार के लक्षण पाए जाते हैं –

  • वितलीय मैदान एवं पहाड़ियाँ
  • महासागरीय उत्थान
  • समुद्री टीला

वितलीय मैदान गहरे महासागरीय सतह का एक भाग है, जिनकी तली सपाट और ढाल पर्याप्त मंद होता है । यह महाद्वीपीय उत्थान के आधार तल पर स्थित होता है और सभी महासागर द्रोणियों में पाया जाता है। इनकी रचना लम्बे समय तक जमने वाले अवसाद के कारण हुई है। वितलीय पहाड़ियाँ महासागरीय द्रोणी सतह से ऊपर उठी हुई छोटी-छोटी पहाड़ियाँ हैं, जिनकी ऊँचाई कुछ मीटर से लेकर सैकड़ों मीटर तक होती है। समुद्री टीला एक शिखर है, जो समुद्र सतह से 1000 मीटर अथवा इससे अधिक ऊँचे होते हैं।

अनेक समुद्री टीलों का ऊपरी भाग आश्चर्यजनक रूप से सपाट तथा अत्यधिक तीव्र ढाल वाला होता है। महासागरीय उत्थान सैकड़ों किलोमीटर चौड़ाई का क्षेत्र है, जिसका धरातल समीप के वितलीय मैदान से सैकड़ों मीटर ऊपर उठा होता है। महासागरीय उत्थान का उच्चावच अल्प से अत्यधिक असम हो सकता है।

4. अंतः समुद्री कैनियन – जल का प्रवाह महाद्वीपीय शेल्फ को काट देता है, जिससे अंतः समुद्री कैनियन का निर्माण होता है। इनकी तुलना स्थलीय धरातल पर बनी गहरी अवनलिकाओं से की जा सकती है। अंतः समुद्री कैनियन महाद्वीपीय शेल्फ एवं ढाल के प्रमुख लक्षण हैं। ये
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खड़ी ढाल वाली गहरी घाटियाँ हैं जो लम्बी अवतल परिच्छेदिका बनाती हैं। कुछ कैनियन देखने में द्रुमाकृतिक होते हैं। महाद्वीपीय सीमाओं की विशेषता कुछ छोटे-छोटे समुद्री लवण, जैसे तट, शेल्फ तथा भित्ति हैं। तट एक चौरस सतह वाला ऊँचा क्षेत्र है, जो अपेक्षाकृत कम गहराई होने के कारण मत्स्य पालन के लिए उपयोग किया जाता है। भित्ति एक जैविक निक्षेप है, जो मृत अथवा जीवित प्रवाल द्वारा बनाया जात है।

प्रश्न 2.
अंटलांटिक महासागरीय सतह का मानचित्र बनाइए और उसमें महासागरीय द्रोणियाँ तथा मध्य अटलांटिक कटक दिखाइए।
उत्तर:
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प्रश्न 3.
हिन्द महासागरीय सतह के उच्चावच का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिन्द महासागर की औसत गहराई 4000 मीटर है। हिंद महासागर के महाद्वीपीय शेल्फ में बड़ा भिन्नता है। यह प्रशांत एवं अटलांटिक महासागर से छोटा है। अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी के सीमांतों पर यह बड़ी विस्तार वाली है। अफ्रीका के पूर्वी तट तथा मैडागास्कर में यह लगभग 640 किमी. चौड़ी है, लेकिन जावा एवं समात्रा के तट के साथ यह संकीर्ण हैं। अंटार्कटिका के उत्तरी तट के पास भी यह संकीर्ण है। हिन्द महासागर में सीमांत सागरों की संख्या कम है। यहाँ कुछ महत्त्वपूर्ण सीमांत सागर, जैसे-मोजाविक चैनल, लाल सागर, ईरान की खाडी, अंडमान सागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी आदि मौजूद हैं।

मध्य हिन्द महासागरीय कटक उत्तर में भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी सिरे से दक्षिण में अंटार्कटिका तक फैला है। यह कटक उच्च भूमियों के एक अविच्छिन्न श्रृंखला का निर्माण। करता है। हिन्द महासागर के प्रमुख कटक हैं-सोकोत्राचागोस, मालदीव, चागोस-सेंटपॉल, इंडियन-अंटार्कटिक, मैडागास्कर, अटलांटिक तथा अंटार्कटिका कटक।

मध्य हिन्द महासागरीय कटक तथा अन्य कटक हिन्द महासागर को नेक महासागरीय द्रोणियों में विभक्त करती हैं। इनके नाम हैं-ओमान द्रोणी, अरेबियन द्रोणी, सोमाली द्रोणी, अगुल्हास-नटाल द्रोणी, अटलांटिक-हिन्द-अंटार्कटिक द्रोणी, पूर्वी हिन्द-अंटार्कटिक द्रोणी तथा पश्चिमी आस्ट्रेलिया द्रोणी।

हिन्द महासागर में बहुत कम महासागरीय खाइयाँ हैं। जावा तथ सुंडा खाई (7450 मी.) सबसे गहरी है। हिन्द महासागर के प्रमुख गहरे वितलीय मैदान हैं-सोमाली. श्रीलंका तथा हिन्द वितलीय मैदान । हिन्द महासागर में मैदानों की ऊंचाई 3600 मी से 5400 मी है।

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प्रश्न 4.
अंतर स्पष्ट कीजिए –

  1. महाद्वीपीय शेल्फ एवं महाद्वीपीय ढाल
  2. तट एवं भित्ति
  3. महासागरीय जल के प्रथम एवं तृतीय स्तर
  4. थर्मोक्लाइन एवं हैलोक्लाइन

उत्तर:
1. महाद्वीपीय शेल्फ एवं महाद्वीपीय ढाल में अंतर –
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2. तट एवं भित्ति में अंतर –
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3. महासागरीय जल के प्रथम एवं तृतीय स्तर में अंतर –
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल

4. थर्मोक्लाइन एवं हैलोक्लाइन में अंतर –
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 5.
अन्ध महासागर की स्थल रूपरेखा के प्रमुख लक्षणों का वर्णन करो।
उत्तर:
अन्ध महासागर –

विस्तार तथा आकार – यह महासागर पृथ्वी के 1/6 भाग को घेरे हुए है। इसका आकार ‘S’ अक्षर की तरह है। यह महासागर भूमध्य रेखा पर लगभग 2560 किमी चौड़ा है, परंतु दक्षिण में इसकी चौड़ाई 4800 किलोमीटर है।

समुद्रतली – इस महासागर के तटों पर चौड़ा महाद्वीपीय निमग्न तट पाया जाता है। यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका के तटों पर इसकी चौड़ाई 400 किलोमीटर है। यहाँ प्रसिद्ध मछली क्षेत्र पाये जाते

उद्रेरव (Ridges) –

  • मध्य एटलांटिक उद्रेरव उत्तर से दक्षिण तक ‘S’ आकार में फैला हुआ है। यह उद्रेरव 14 हजार किलोमीटर लम्बा है, जिसकी
  • ऊंचाई लगभग 4 हजार मीटर है।
  • डालफिन उद्रेरव तथा वेलविस उद्रेरव उत्तरी भाग में।
  • दक्षिण भाग में चेलेंजर उद्रेव।
  • उत्तरी भाग में टेलीग्राफ पठार।

सागरीय बेसिन – अन्ध महासागर में कई छोटे-छोटे बेसिन पाए जाते हैं, जैसे –

  • लेब्रेडोर बेसिन
  • स्पेनिश बेसिन
  • उत्तरी अमेरिकन बेसिन
  • कोपवर्ड बेसिन
  • गिन्नी बेसिन
  • ब्राजील बेसिन

सागरीय गर्न – मोटे तौर पर अन्ध महासागर में गर्त कम हैं। मुख्य गर्त निम्नलिखित हैं –

  • प्यूटोरिको गर्त-जो इस सागर का सबसे गहरा स्थान है तथा 4812 फैदम गहरा है।
  • रोमाशे गर्त-4030 फैदम गहरा है।
  • दक्षिणी सेण्डविच गर्त-जो फाकलैंड द्वीप के निकट 4575 फैदम गहरा है।

तटीय सागर – उत्तरी भाग में कई छोटे सागर पाये जाते हैं, जैसे-बाल्टिक सागर, उत्तरी सागर, हडसन खाड़ी, बेफिन खाड़ी, मेक्सिको तथा कैरेबियन सागर।

द्वीप – इस महासागर में ग्रेट ब्रिटेन तथा न्यू फाउंडलैंड जैसे महाद्वीपीय द्वीप हैं। निमग्न तट पर पश्चिमी द्वीप समूह आइसलैंड आदि द्वीप पाए जाते हैं। मध्य उद्रेव पर ए|स द्वीप, सेन्टहेलना, बरमूदा द्वीप स्थित हैं। अफ्रीका तट पर कई ज्वालामुखी द्वीप केपवर्ड द्वीप तथा कमेरी द्वीप स्थित हैं।

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प्रश्न 6.
महासागरों की तली के उच्चावच के सामान्य लक्षणों का वर्णन करें।
उत्तर:
महासागरों की गहराई तथा उच्चावच में काफी विभिन्नता है जिसे उच्चतादर्शी वक्र से दिखाया जाता है। बनावट तथा गहराई के अनुसार सागरीय तल को चार भागों में बाँटा जाता है
1. महाद्वीपीय मग्न तट (Continental Shelf) – महाद्वीपों के चारों ओर सागरीय तट का वह भाग जो 150 से 200 मीटर तक गहरा होता है, महाद्वीपीय चबूतरा कहलाता है। वास्तव में यह महाद्वीप का जलमग्न भाग होता है। महाद्वीपीय निमग्न तट का सबसे अधिक विस्तार अन्ध महासागर है। इसकी औसत चौड़ाई 70 किमी तथा गहराई 72 फैदम होती है। आर्कटिक सागर के तट पर इसकर विस्तार 1000 किमी से भी अधिक है। पर्वत श्रेणियों वाले तटों पर संकरे महाद्वीपीय मग्न तट पाए जाते हैं। समुद्र तल के ऊपर उठने से या स्थल भाग के नीचे घुस जाने से निमग्न तट की रचना होती है। ये शेल्फ मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

2. महाद्वीपीय ढाल – महाद्वीपीय निमग्न तट के बाहर का ढाल जो महासागर की ओर तीव्र गति से नीचे उतरता है, महाद्वीपीय ढाल कहलाता है। इसकी गहराई 3600 मीटर तक है। इसका सबसे अधिक विस्तार अंध महासागर में 12.4% क्षेत्र पर है। यह ढाल वास्तव में गहरे समुद्रों तथा महाद्वीपों के स्तर को पृथक् करती है। जहाँ महाद्वीपीय ढाल का अंत होता है वहाँ मन्द ढाल को महाद्वीपीय उत्थान कहते हैं।
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3. महासागरीय मैदान – महाद्वीपीय ढाल के पश्चात् समुद्र में चौड़े तथा समतल क्षेत्र को महासागरीय मैदान कहते हैं। इसकी औसत गहराई 3000 से 6000 मीटर तक है। इसे नितल मैदान भी कहते हैं । इन मैदानों पर कई भू-आकृतियाँ पाई जाती है; जैसे-समुद्री उद्रेरव द्वीप, समुद्री टीले, निमग्न द्वीप आदि। इन मैदानों पर स्थलज तथा उथले जल से उत्पन्न तलछट पाए जाते हैं। नितल मैदान पर जलमग्न कटक पाए जाते हैं, जो महासागरों के मध्य क्षेत्र में हैं। इन कटकों की लम्बाई 75000 किमी. है। ये मन्द ढाल वाले चौड़े पठार के समान हैं।

4. महासागरीय गर्त – ये समुद्र तल पर गहरे खड्डे होते हैं। इनका विस्तार बहुत कम होता है जबकि लम्बे, गहरे तथा संकरे खड्ड को खाई कहते हैं। इनकी औसत गहराई 5500 मीटर है। संसार में सबसे अधिक गहरा गर्त प्रशांत महासागर में है जिसकी गहराई 11022 मीटर है। यह गर्त द्वीपीय चापों के सहारे मिलता है। ये भूकम्पीय तथा ज्वालामुखी क्षेत्रों से संबंधित हैं।

5. अन्य विशेष आकृतियाँ – महासागरों में उच्चावच में विविधता के कारण कई भू-आकृतियाँ जैसे द्वीप, उद्रेव, अटोल, समुद्री कैनियन भी पाई जाती है।