Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण परिभाशत एवं तकनीक शब्द

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण परिभाशत एवं तकनीक शब्द

 Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण परिभाशत एवं तकनीक शब्द

1. शब्द और अर्थ में सम्बन्ध एक या एक से अधिक अक्षरों के सार्थक योग को ‘शब्द’ कहते हैं; जैसे-आ, न, कर, पैसा, घण्टी, रोना, प्रेम आदि। शब्द के दो प्रकार हैं-सार्थक और निरर्थक। भाषा में जिन शब्दों का अर्थ स्पष्ट है अथवा कोश में जिनका अर्थ दिया गया है, वे शब्द सार्थक होते हैं। किन्तु, जिन शब्दों के अर्थ अपनी भाषा में नहीं होते, वे निरर्थक कहलाते हैं; जैसे-रोटी-वोटी, आमने-सामने, चाय-वाय-यहाँ ‘रोटी’, ‘सामने’ और ‘चाय’ शब्द सार्थक हैं और ‘वोटी’, ‘आमने’, ‘वाय’ निरर्थक हैं, जिनका कोशीय अर्थ नहीं है। व्याकरण में सार्थक शब्दों का ही अध्ययन किया जाता है।

शब्द और अर्थ का अटूट सम्बन्ध है। अर्थ के अभाव में भाषा का कोई महत्त्व नहीं है। पर, दोनों की अपनी-अपनी महत्ता है। शब्द अमूर्त अर्थ का मूर्त रूप है; यदि शब्द शरीर है तो अर्थ उसकी आत्मा। जिस प्रकार शरीर की सहायता से ही आत्मा की अभिव्यक्ति होती है, उसी प्रकार शब्द के द्वारा ही अर्थ प्रकट होता है। अर्थ का बोध बहिरिन्द्रयों और अन्तनिन्द्रियों द्वारा होता है। शब्दों का अर्थबोध इन्हीं दो प्रकार की इन्द्रियों से होता है। प्रश्न यह है कि किसी शब्द से किसी अर्थ का सम्बन्ध कैसे जोड़ा जाता है।

‘गाय’ कहने पर पशुविशेष का ही बोध क्यों होता है, पेड़ या मकान का क्यों नहीं? पानी कहने पर ‘पहाड़’ का बोध क्यों नहीं होता? यह संकेत-ग्रहण, अर्थात् अनुभव से होता है। इसके अतिरिक्त, बिम्बों के द्वारा भी अर्थ का बोध होता है। जन्म के बाद मनुष्य की चेतना का ज्यों-ज्यों विकास होता है, त्यों-त्यों वातावरण की वस्तुओं का परिचय होता जाता है। प्रत्येक वस्तु का मन-मस्तिष्क पर बिम्ब (चित्र) अंकित हो जाता है। मन पर बिम्ब का प्रभाव दीर्घकाल तक बना रहता है। वर्षों बाद हम बिम्ब को याद कर सकते हैं। प्रियजन के दूर रहने पर स्मरण करते ही उसकी मूर्ति आँखों के सामने आ खड़ी होती है।

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इसे ही बिम्ब-निर्माण कहते हैं। बिम्ब निर्माण के साथ ध्वनियाँ भी शब्दार्थ की प्रतीति में सहायक होती है। जैसे-जैसे वस्तु का बिम्ब मन पर अंकित होता जाता है, वैसे-वैसे उसका वाचक शब्द (प्रत्यक्ष या मूर्त रूप) भी संस्कार में अंकित होता जाता है। किसी चौपाए पशु को देखने और उसके साथ बार-बार ‘गाय’ शब्द सुनने से मन में संस्कार इस प्रकार जम जाता है कि इस शब्द के ध्वनि-समूह को सुनते ही जन्तु-विशेष (गाय) का अर्थबोध आप ही हो जाता है। वस्तु और शब्द का यह गहरा सम्बन्ध ही बिम्ब का निर्माण करता है।

अर्थबोध के आठ साधन माने गये हैं-

  • व्यवहार,
  • आप्त वाक्य,
  • उपमान,
  • प्रकरण,
  • विवृति (व्याख्या),
  • प्रसिद्ध पद,
  • व्याकरण और
  • कोश।

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अर्थविज्ञान (Semantics) में उपर्युक्त सभी साधनों का विस्तार से विवेचन हुआ है। यहाँ हम अन्तिम दो साधनों (व्याकरण और कोश) पर ही विचार करेंगे।