Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 सिपाही की माँ

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Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 सिपाही की माँ

सिपाही की माँ वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

Sipahi Ki Maa Kahani Ka Saransh Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 1.
मोहन राकेश का जन्म कब हुआ था?
(क) 8 जनवरी, 1925 ई.
(ख) 7 फरवरी, 1920 ई.
(ग) 7 मार्च, 1921 ई.
(घ) 2 जनवरी, 1922 ई.
उत्तर-
(क)

Sipahi Ki Maa Question Answer Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 2.
‘आखिरी चट्टान तक’ किसके द्वारा लिखित यात्रा वृत्तांत है?
(क) मोहन राकेश
(ख) अनूपलाल मंडल
(ग) देवराज
(घ) दिनकर
उत्तर-
(क)

Sipahi Ki Maa Summary Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 3.
मानक क्या करता है?
(क) सेना के सिपाही है
(ख) खिलाड़ी है
(ग) शिक्षक है
(घ) पहलवान है
उत्तर-
(क)

Sipahi Ki Man Ka Saransh Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 4.
‘विशनी किस एकांकी की पात्रा है?
(क) लहरों के राजहंस
(ख) आधे-अधूरे
(ग) सिपाही की माँ
(घ) पैर तले की जमीन
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 5.
मैं इसे अभी मार दूंगा। अभी इसकी बोटी-बोटी अलग कर दूंगा, किसने कहा?
(क) मानक ने
(ख) सिपाही ने
(ग) विशनी ने
(घ) दीनू ने
उत्तर-
(क)

प्रश्न 6.
नहीं मानक, तू इसे नहीं मारेगा? यह भी हमारी तरह गरीब आदमी है। किसने कहा?
(क) विशनी ने
(ख) मानक ने
(ग) कुन्ती ने
(घ) दीनू ने
उत्तर-
(क)

प्रश्न 7.
ब्रम्मा की दूरी चौधरी ने कितना बताया था?
(क) कई सौ कोस दूर
(ख) सौ कोस
(ग) दो सौ कोस
(घ) पचास कोस
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
मोहन राकेश का जन्म स्थान जंडीवाली गली, अमृतसर ……. में है।
उत्तर-
पंजाब

प्रश्न 2.
मोहन राकेश का बचपन का नाम …………… गुगलानी था।
उत्तर-
मदन मोहन

प्रश्न 3.
मोहन राकेश की माता का नाम ……….. था।
उत्तर-
बच्चन कौर

प्रश्न 4.
करमचंद गुगलानी जी का साहित्यिक सांस्कृतिक …………… से जुड़ाव था।
उत्तर-
संस्थाओं

प्रश्न 5.
मोहन राकेश ने एम. ए. (संस्कृत) ………….. से किया था।
उत्तर-
लाहौर

प्रश्न 6.
मोहन राकेश का जन्म …………… को हुआ था।
उत्तर-
8 जनवरी, 1925 ई.

प्रश्न 7.
मोहन राकेश के अंधेरे बंद कमरे (1961 ई.), न आने वाला कल (1970 ई.), अंतराल (1972 ई.) आदि सभी …….. हैं।
उत्तर-
उपन्यास

सिपाही की माँ अति लघु उत्तरीय प्रश्न।

प्रश्न 1.
मानक की माँ का क्या नाम है?
उत्तर-
विशनी।

प्रश्न 2.
‘सिपाही की माँ’ एकांकी के एकांकीकार हैं :
उत्तर-
मोहन राकेश।

प्रश्न 3.
मोहन राकेश की एकांकी का शीर्षक है :
उत्तर-
सिपाही की माँ।

प्रश्न 4.
‘अषाढ़ का एक दिन’ किसकी रचना है?
उत्तर-
मोहन राकेश की।

प्रश्न 5.
विशनी मानक को लड़ाई में क्यों भेजती है?
उत्तर-
पैसा कमाने के उद्देश्य से।

प्रश्न 6.
मानक किस युद्ध में सिपाही बनकर लड़ने गया था?
उत्तर-
द्वितीय विश्वयुद्ध में।।

प्रश्न 7.
मोहन राकेश ने हिन्दी में एम. ए. कहाँ से किया?
उत्तर-
ओरियंटल कॉलेज, जालंधर से

प्रश्न 8.
मोहन राकेश किस पत्रिका के सम्पादक रहे?
उत्तर-
सारिका।

सिपाही की माँ पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
बिशनी और मुन्नी को किसकी प्रतीक्षा है, वे डाकिए की राह क्यों देखती है?
उत्तर-
बिशनी और मुन्नी को अपने घर के इकलौते बेटे मानक की प्रतीक्षा है। वे उसकी चिट्ठी आने के इंतजार में डाकिए की राह देखती है।

प्रश्न 2.
बिशनी मानक को लड़ाई में क्यों भेजती है?
उत्तर-
बिशनी के घर की हालत बहुत खराब है। उसे अपनी बेटी का ब्याह भी करना है। इसलिए वह मानक को लड़ाई में भेजती है।

प्रश्न 3.
सप्रसंग व्याख्या करें
(क) यह भी हमारी तरह गरीब आदमी है।
(ख) वर-घर देखकर ही क्या करना है, कुंती? मानक आए तो कुछ हो भी। तुझे पता ही है, आजकल लोगों के हाथ कितने बढ़े हुए हैं।
(ग) नहीं, फौजी वहाँ लड़ने के लिए हैं, वे नहीं भाग सकते। जो फौज छोड़कर भागता है, उसे गोली मार दी जाती है।
उत्तर-
(क) प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी साहित्य के प्रमुख कथाकर एवं नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित उनके एकांकी ‘सिपाही की माँ’ से अवतरित है। यहाँ एक माँ अपने बेटे को गलत कार्य करने से रोक रही है।

व्याख्या-
मानक को मारने के लिए उसके पीछे एक सिपाही आता है। वह मानक को हर हाल में मारना चाहता है। लेकिन तभी मानक खड़ा हो जाता है और उसी को मारने लगता है। यह देखकर उसकी माँ उसे रोकती हुई कहती है कि तू इसे नहीं मारेगा ! यह भी हमारी तरह गरीब है। अर्थात् युद्ध में जो सिपाही लड़ते और मरते हैं। उनका युद्ध से कोई लेना-देना नहीं होता है। वे तो अपनी छोटी-छोटी मजबूरियों के कारण युद्ध में शामिल होते हैं जिसके बदले में उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ती है।

(ख) प्रसंग-पूर्ववत्।
बिशनी से मिलने उसकी पड़ोसन कुन्ती आती है और वह मुन्नी के लिए रिश्ता ढूँढने की बात कहती है। तब बिशनी उसे अपनी मजबूरी बताती है।

व्याख्या-
बिशनी कुंती से कहती है कि वर देखकर कोई लाभ नहीं है क्योंकि हमारे पास रुपए तो है नहीं जो विवाह किया जा सके। इसलिए जब मानक आएगा तभी कुछ हो सकता है। वैसे भी आजकल शादी-ब्याह में बहुत अधिक खर्चे होते हैं। अर्थात् बिशनी स्पष्ट कहती है कि उसके पास रुपए-पैसे बिल्कुल भी नहीं हैं इसलिए जब उसका बेटा आएगा तभी शादी के बारे में कुछ सोचा जा सकता है।

(ग) प्रसंग-पूर्ववत्।
यहाँ बर्मा से आई लड़कियाँ फौज के नियमों के बारे में बता रही हैं।

व्याख्या-
जब मुन्नी बर्मा से आई लड़कियों से पूछती है कि फौजी युद्ध से भागकर नहीं आ सकते तब उनमें से एक लड़की कहती है कि फौजी वहाँ लड़ने के लिए गए हैं। वे वहाँ से भाग नहीं सकते हैं। अगर कोई भागने की कोशिश भी करता है तो उसे गोली मार दी जाती है।

प्रश्न 4.
‘भैया मेरे लिए जो कड़े लाएँगे, वे तारों और बंतो के कड़ों से भी अच्छे होंगे न’ मुन्नी के इस कथन को ध्यान में रखते हुए उसका परिचय आप अपने शब्दों में दीजिए।
उत्तर-
मुन्नी ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी को एक प्रमुख पात्र है। मुन्नी सिपाही मानक की बहन और बिशनी की पुत्री है। उसकी उम्र इस लायक हो गई है कि शादी की जा सके। वह एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखती है। उसके सारे सपने उसके भाई सिपाही मानक के साथ जुड़े हुए हैं। वह गाँव की लड़कियों को कड़े पहने देखकर अपने माँ से कहती माँ भैया मेरे लिए जो कड़े लायेंगे वे तारों और बंतों के कड़ों से भी अच्छे होंगे ना। मुन्नी अपने भाई से बेइंतहा प्रेम करती है। अपने भाई के लड़ाई में जाने के बाद मानक की चिट्ठी का इंतजार बड़ी बेसब्री से करती है। वह स्वभाव से भोली, निश्छल एवं साहसी है। क्योंकि उसके सारे सपने अरमान उसके भाई मानक के साथ जुड़े हुए हैं और वही पूरा करने वाला भी है।

प्रश्न 5.
बिशनी मानक की माँ है, पर उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढ़ा जा सकता है। कैसे?
उत्तर-
बिशनी मोहन राकेश द्वारा लिखित ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी की प्रमुख पात्र है। एकांकी के दूसरे भाग में बिशनी स्वप्न में जो घटना घटती है उसमें जो संवाद होता है उस संवाद से उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढ़ा जा सकता है। जब सिपाही मानक को खदेड़ते हुए विशनी के पास ले जाता है तो मानक की गले से लिपट जाता है और सिपाही के पूछने पर कि इसकी तू क्या लगती है विशनी का जवाब आता है-मैं इसकी माँ हूँ। मैं तुझे इसे मारने नहीं दूँगी। तब सिपाही का जवाब आता है यह हजारों का दुश्मन है वे उसको खोज रहे हैं तब बिशनी कहती है-तू भी तो आदमी है तेरा भी घर-वार होगा।

तेरी भी माँ होगी। तू माँ के दिल को नहीं समझता। मैं अपने बच्चे को अच्छी तरह से जानती हूँ। साथ ही जब मानक पलटकर सिपाही पर बन्दूक तान देता है तब बिशनी मानक को यह कहती है कि बेटा। तू इसे नहीं मारेगा। तुझे तेरी माँ की सौगन्ध तू इसे नहीं मारेगा इन संवादों से पता चलता है कि बिशनी मानक को जितना बचाना चाहती है उतना ही उस सिपाही को भी जो उसके बेटे को मारने के लिए खदेड़ रहा था। उसका दिल दोनों के लिए एक है। अत: उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढ़ा जा सकता है।

प्रश्न 6.
एकांकी और नाटक में क्या अन्तर है? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर-
एकांकी और नाटक में निम्नलिखित अंतर है

  1. एकांकी में एक ही अंक होते हैं और उस एक अंक में एक से अधिक दृश्य होते हैं जबकि नाटक में एक से अधिक अंक या एक्ट होते हैं और प्रत्येक अंक कई दृश्यों में विभाजित होकर . प्रस्तुत होता है।
  2. एकांकी नाटक में एकल कथा होती है अर्थात् वहाँ केवल आधिकारिक कथा प्रासंगिक नहीं। साथ ही नाटक में आधिकारिक कथा आकार की दृष्टि से छोटी होती है तथा कोई एक लक्ष्य लेकर चलती है।
  3. एकांकी और नाटक में क्रिया व्यापार की सत्ता प्रधान होती है। इसे संघर्ष या द्वन्द्व कहा. जाता है। यही कथा और पात्र को लक्ष्य तक पहुँचाता है। एकांकी में यह क्रिया व्यापार सीधी रेखा में चलता है लेकिन नाटक में प्रायः टेढ़ी-सीधी रेखा चलती है। नाटक में इतर प्रसंगों के लिये अवसर होता है लेकिन एकांकी में भटकने की गुंजाइश नहीं होती है।
  4. एकांकी में यथासाध्य जरूरी स्थितियों को ही कहने की चेष्टा की जाती है जबकि नाटक में देशकाल और वातावरण को थोड़े विस्तार से चित्रित करने का अवसर होता है।
  5. भारतीय दृष्टि से नाटक में कथा को नियोजित संघटित करने के लिए अर्थ, प्रकृति, कार्यावस्था और नाट्य सन्धि का विधान किया गया है लेकिन एकांकी में इनकी आवश्यकता नहीं पड़ती है।

प्रश्न 7.
आपके विचार में इस एकांकी का सबसे सशक्त पात्र कौन है और क्यों?
उत्तर-
मेरे विचार से ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी का सबसे सशक्त पात्र बिशनी है। सम्पूर्ण एकांकी में बिशनी धूरी का कार्य करती है जिसके चारों तरफ एकांकी के सभी पात्र घूमते हुए नजर आते हैं। उसे सम्पूर्ण एकांकी का केन्द्र बिन्दुः भी कहा जा सकता है।

बिशनी एक माँ है। माँ के सारे गुण एवं लक्षण उसमें वर्तमान हैं। इकलौते सिपाही बेटे को वह फौज में भेजने में जरा भी संकोच नहीं करती है। साथ ही पुत्र के प्रति ममता सहन ही परिलक्षित होती है मानक के पत्र की प्रतीक्षा पर भी वह पुत्र की कुशलता के प्रति चिन्तित है।

बिशनी एक अविवाहित पुत्री की माँ है। पुत्री के विवाह की चिन्ता ही उसके सारे दुखों का कारण है। यह सहज और स्वाभाविक है। वह एक भारतीय एवं ग्रामीण नारी की प्रतिमूर्ति है। भला एक भारतीय नारी को अपनी जवान पुत्री की चिन्ता क्यों न हो। पुत्री को अपना भार नहीं समझती। बार-बार प्रत्येक अवसर पर वह उसके माथे को चूम लेती है। वह उसे एक वरदान के रूप में मानती है।

बिशनी माँओं में माँ है। वह एक सामान्य माँ नहीं है। अपने पुत्र की चिन्ता उसे है। साथ ही दूसरे के पुत्र का भी उतना ही ख्याल रखती है। वह हर हाल में दुश्मन सिपाही की अपने पुत्र से रक्षा करने का सशक्त प्रयास करती है। किसी भी हाल में वह मानक को उसे मारने नहीं देती। धक्के खाकर भी वह बार-बार और जोरदार विरोध करती है। बिशनी में एक सहज ग्रामीण नारी के गुण भी कभी-कभी दिखाई पड़ते हैं। गाँव के चौधरी के प्रति उसका विचार सामान्य नारी के समान है। वह चौधरी की किसी बात पर भरोसा नहीं करती लेकिन उसमें कोई कपट दिखाई नहीं पड़ता वह निष्कपट है। वह एक अच्छी माँ, अच्छी पड़ोसन और अच्छी अभिभावक है। एक अच्छी नारी के सभी अच्छे गुण उसमें वर्तमान हैं। अत: बिशनी इस एकांकी की सबसे सशक्त पात्र हैं।

प्रश्न 8.
दोनों लड़कियाँ कौन हैं?।
उत्तर-
‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी में दो लड़कियों के नाम से दो पात्र हैं। एक को पहली लड़की व दूसरी को दूसरी लड़की के रूप में संबोधित किया गया है। दोनों लड़कियाँ बर्मा की रंगून नगर की है। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जब जापानी व हिन्दुस्तानी सेना बर्मा में युद्ध कर रही थी तब वहाँ भयंकर रक्तपात हुआ था। लाखों बर्मा निवासी घर-द्वार छोड़कर भारत की सीमा में घुस आये थे। उन्हीं में से दो लड़कियों ने अपने परिवार के ग्यारह सदस्यों के साथ दुर्गम एवं बीहड़ जंगलों एवं दलदलों को पार करते हुए भारत में प्रवेश किया था। उन्हीं दोनों लड़कियों की भेंट इस एकांकी की मुख्य पात्र बिशनी से हो जाती है एवं खाने के लिए अन्न की माँग करती है। बिशनी इन्हें भर कटोरा चावल देती है।

प्रश्न 9.
कुन्ती का परिचय आप किस तरह देंगे?
उत्तर-
कुन्ती “सिपाही की माँ” शीर्षक एकांकी में एक प्रमुख पात्र है। यह एक अच्छी पड़ोसन के रूप में रंगमंच पर प्रस्तुत हुई है। यद्यपि कुन्ती की भूमिका थोड़े समय के लिये है। तब भी उसे थोड़े में आँका नहीं जा सकता। वह बिशनी की पुत्री मुन्नी के विवाह के लिये चिन्नित है। वह स्वयं मुन्नी के लिये वर-घर खोजने को भी तैयार है। वह बिशनी को सांत्वना भी देती है। बिशनी के पुत्र मानक के बर्मा की सकुशल लौटने की बात भी वह करती है। बिशनी के प्रति उसकी सहानुभूति उसके शब्दों में स्पष्ट दिखाई पड़ती है। वह कहती है तू इस तरह दिल क्यों हल्का कर रही है। कुन्ती बर्मा के लड़कियों के प्रति थोड़ा कठोर दिखाई देती है। उनके हाव-भाव एवं पहनावे तथा भिक्षाटन पर थोड़ा क्रुद्ध भी हो जाती है। उनका इस तरह से भिक्षा माँगना कतई अच्छा नहीं लगता है। यह कहती भी है-‘हाय रे राम ! ये लड़कियाँ कि….!.

प्रश्न 10.
मानक और सिपाही एक दूसरे को क्यों मारना चाहते हैं?
उत्तर-
मानक वर्मा की लड़ाई में भारत की ओर से अंग्रेजों के साथ लड़ने गया था। और दूसरी ओर के पक्ष जापानी थे। सेना एक दूसरे का दुश्मन है। क्योंकि वे अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। मानक और सिपाही अपने को एक दूसरे का दुश्मन समझते हैं इसलिए वे एक-दूसरे को मारना चाहते हैं।

प्रश्न 11.
मानक स्वयं को वहशी और जानवर से भी बढ़कर क्यों कहता है?
उत्तर-
‘सिपाही की माँ” शीर्षक एकांकी में मानक एक फौजी है। वह बर्मा में हिन्दुस्तानी फौज की ओर से जापानी सेना से युद्ध कर रहा है। मानक और दुश्मन सिपाही एक-दूसरे को घायल करते हैं। मानक भागता हुआ अपनी माँ के पास आता है। दुश्मन सिपाही उसका पीछा करते हुए वहाँ पहुँच जाता है। मानक की माँ मानक को बचाना चाहती है। इस पर दुश्मन सिपाही मानक को वहशी और जानवर कहकर पुकारते हैं। मानक का पौरुष जग उठता है तो घायल अवस्था में भी वह खड़ा होकर सिपाही को मारने का प्रयास करता है और क्रोध की स्थिति में वह स्वयं को वहशी और जानवर से भी बढ़कर कहता है। मानक का ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं है। समय और परिस्थिति के अनुसार उसका कहना यथार्थ है? दर्शकों की नजर में मानक की उक्ति प्रभावकारी एवं आकर्षक है।

प्रश्न 12.
मुन्नी के विवाह की चिन्ता न होती तो मानक लड़ाई पर न जाता, वह चिन्ता भी किसी लड़ाई से कम नहीं है? क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपना पक्ष दें
उत्तर-
हम इस कथन से पूर्णतः सहमत हैं कि चिन्ता भी किसी लड़ाई से कम नहीं है। उसके भीतर एक लड़ाई चलती रहती है अर्थात् वह मानसिक रूप से बेचैन रहता है। जिस प्रकार युद्ध में घात-प्रतिघात का दौर चलता है उसी प्रकार उसके मन में भी ऐसी ही स्थिति बनी रहती है। बिशनी और मानक को मुन्नी के विवाह की चिन्ता है, इसीलिए मानक लड़ाई पर गया है। यह चिन्ता भी किसी लड़ाई के समान ही है क्योंकि इस कारण उन्हें बहुत से प्रयास करने पड़ते हैं। युद्ध के समान ही जब तक यह चिन्ता समाप्त नहीं हो जाती तब तक इससे पीड़ित लोग परेशान ही रहते हैं।

प्रश्न 13.
सिपाही के घर की स्थिति मानक के घर से भिन्न नहीं है, कैसे। स्पष्ट करें।
उत्तर-
“सिपाही की माँ” शीर्षक एकांकी में सिपाही एवं मानक दो ऐसे पात्र हैं जिनके घर की स्थिति एक-दूसरे से भिन्न नहीं है। मानक के घर में माँ और कुँआरी बहन मुन्नी है। मानक की माँ मानक का समाचार पाने की चिन्ता में सदा परेशान रहती है। मानक की माँ एक साधारण निम्न मध्यवर्गीय महिला है। मानक की बहन मुन्नी अपने भाई के आने की प्रतीक्षा बेसब्री से करती है। घर में गरीबी है। मुन्नी का विवाह मानक की आय पर ही निर्भर है। घर की स्थिति ऐसी है कि अगर युद्ध में मानक को कुछ हो गया तो उसकी माँ एवं छोटी बहन मुन्नी का इस धरती पर रहने का कोई अर्थ नहीं। घर का सारा दारोमदार मानक पर निर्भर है। वर्मा में युद्ध चल रहा है, यह जानकर मानक की माँ की स्थिति बहुत ही बुरी हो जाती है। सपने में वह बहुत बुरी घटना को देखती है।

दूसरे सिपाही के घर की स्थिति भी मानक के घर की स्थिति में समान है। सिपाही की माँ बर्मा में युद्ध का समाचार सुनकर पागल हो गई है। पत्नी सिपाही के मरने पर फाँसी लगाकर जान देने की घोषणा पहले ही कर चुकी है। उसके पेट में छ: माह का बच्चा भी है। दोनों घरों की समान स्थिति का संकेत मानक की माँ स्वयं उस समय देती है जब मानक सिपाही को जान से मारने पर आमादा है। मानक की माँ कहती है-“यह भी हमारी तरह गरीब आदमी है।”

प्रश्न 14.
पठित एकांकी में दिए गए रंग-निर्देशों की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
पठित एकांकी में दिए गए रंग-निर्देशों में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ हैं

  • रंगमंचयिता-एकांकी में दिए गए अधिकांश रंग-निर्देश रंगमंच पर इसकी प्रस्तुति की दृष्टि में बहुत ही महत्वपूर्ण है।
  • अभिनव में सहायक-ये रंग-निर्देश अभिनय में भी सहायक है। कई स्थानों पर तो अभिनय की स्थितियों का भी वर्णन है।
  • सरल तथा सहज-अधिकांश रंग-निर्देश सरल तथा सहज है जिन्हें आसानी से अपनाया जा सकता है।
  • चित्रात्मकता-ये रंग-निर्देश चित्रात्मकता से पूर्ण है। इन्हें पढ़ते समय समस्त दृश्य आँखों के समक्ष आ जाते हैं।
  • कथ्य विस्तार में सहायक-कई स्थानों पर रंग-निर्देशों के सहारे कथ्य को आगे बताया गया है।
  • पात्रों का चरित्र-चित्रण-कुछ रंग-निर्देश ऐसे भी हैं जिनके द्वारा लेखक ने पात्रों की चरित्रगत विशेषताओं को उजागर किया है।।

प्रश्न 15.
“सिपाही की माँ’ की संवाद योजना की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
‘सिपाही की माँ’ एकांकी की संवाद योजना की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • सरल तथा सहज-एकांकी की संवाद योजना अत्यन्त सरल तथा सहज हैं जिन्हें पाठक या श्रोता सहजता से समझ लेता है।
  • संक्षिप्तता-संक्षिप्तता इस एकांकी की संवाद योजना की प्रमुख विशेषता अधिकांश संवाद कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों के हैं।
  • भावपूर्ण-एकांकी के अधिकांश संवाद भावपूर्ण है।
  • कथानक को आगे बढ़ाने में सहायक-एकांकी के अधिकतर संवाद कथानक को निश्चित प्रवाह के साथ आगे बढ़ाने में सहायक हैं।
  • रोचकता-एकांकी में प्रयुक्त संवाद रोचकता से भरपूर हैं जिससे कथानक में बोझिल या दुरुहता नहीं आई है।
  • पात्रानुकूल-संवाद पूर्णतः पात्रानुकूल है जिससे पात्रों की मनःस्थिति तथा चरित्र के समझने में कोई कठिनाई नहीं होती है। कुछ संवाद तो पात्रों की क्रियाओं को भी व्यक्त करते हैं।

सिपाही की माँ भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध लिखें झाग, पिलसन, शायत, ब्रम्मा, चरित्तर, विदवान, समुंदर, मुलक, फिकर
उत्तर-
Sipahi Ki Maa Kahani Ka Saransh Bihar Board Class 12th Hindi

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों में संज्ञा, सर्वनाम एवं विशेषण पद चुनें
(क) मानक कहता था कि जहाज इत्ता बड़ा होता है कि हमारे जैसे चार गाँव एक जहाज में आ जाएँ।
(ख) वे सारा शहर ढूँढ़ आए हैं, पर कहीं दस गज मलमल नहीं मिलती।
(ग) हमने रास्ते में सैकड़ों सिपाहियों की गली-सड़ी लाशें देखी थीं।
(घ) यह तो मरता हुआ कबूतर भी आँखों से नहीं देख सकता।
(ङ) जब तक मैं सामने हूँ इसकी आँखों का रंग नहीं बदलेगा।
उत्तर-
Sipahi Ki Maa Question Answer Bihar Board Class 12th Hindi

प्रश्न 3.
“मैया आप छुट्टी लेकर आ रहे हो’ यहाँ ‘आप’ कौन-सा सर्वनाम है?
उत्तर-
यहाँ ‘आप’ अन्य पुरुष सर्वनाम है।

प्रश्न 4.
‘दिल हलका करना’ का क्या अर्थ है?
उत्तर-
‘दिल हलका करना’ का अर्थ है-सांत्वना देना या तसल्ली देना।

प्रश्न 5.
अर्थ की दृष्टि से निम्नलिखित वाक्यों की प्रकृति बताएँ
(क) क्या पता है ये ब्रम्मा से आई है या कहाँ से आई है?
(ख) दिनों का कोई हिसाब नहीं है, माँजी।
(ग) उसके कड़ों के मोती तारों की तरह चमकते हैं।
(घ) तू ऐसा क्यों हो रहा है, बेटे?
उत्तर-
(क) प्रश्नवाचक वाक्य
(ख) संदेहवाचक वाक्य
(ग) विधानवाचक वाक्य
(घ) प्रश्नवाचक वाक्य

प्रश्न 6.
रेखांकित अंश किस पदबंध के उदाहरण हैं?
(क) यह दिल का बहत भोला है।
(ख) यह तो मरता हुआ कबूतर भी नहीं देख सकता।
(ग) क्यों री, डाक वाली गाड़ी ही थी?
(घ) हमारे घर की हालत बहुत खराब है।
(ङ) तू इसकी आँखों का रंग नहीं पहचानती।
उत्तर-
(क) विशेष्य पदबंध
(ख) संज्ञा पदबंध
(ग) संज्ञा पदबंध
(घ) सर्वनाम पदबंध
(ङ) संज्ञा पदबंध।

सिपाही की माँ लेखक परिचय मोहन राकेश (1925-1972)

जीवन-परिचय-
बीसवीं सदी के उत्तरवर्ती युग के प्रमुख कथाकार एवं नाटककार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, सन् 1925 को जड़वाली गली, अमृतसर, पंजाब में हुआ। इनका बचपन का नाम मदन मोहन गुगलानी था। इनकी माता का नाम बच्चन कौर एंव पिता का नाम करमचन्द गुगलानी था। इनके पिता पेशे से वकील थे लेकिन साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे। राकेश जी ने लाहौर से संस्कृत में एम.ए. किया और फिर ओरिएंटल कॉलेज, जालंधर से हिन्दी में एम.ए. किया। इसके बाद इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया और ‘सारिका’ के कार्यालय में भी नौकरी की। सन् 1947 के आसपास इन्हें एलफिस्टन कॉलेज, मुम्बई में हिन्दी के अतिरिक्त भाषा प्राध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया। ये कुछ समय तक डी. ए.वी कॉलेज, जालंधर में प्रवक्ता भी रहे। सन् 1960 में इन्हें पुनः दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया। वहीं सन् 1962 में ये ‘सारिका’ के संपादक बन गए। इसके बाद इन्होंने स्वतन्त्र लेखन करना शुरू किया और इसी दौरान 3 दिसम्बर, सन् 1972 के दिन इनका निधन हो गया।

रचनाएँ-मोहन राकेश की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं

कहानी संग्रह-इंसान के खंडहर (1950), नए बादल (1957), जानवर और जानवर (1958), एक और जिन्दगी (1961), फौलाद का आकाश (1972), वारिस (1972)।

उपन्यास-अँधेरे बंद कमरे (1961), न आनेवाला कल (1970), अंतराल (1972)। नाटक-आषाढ़ का एक दिन (1958), लहरों के राजहंस (1963), आधे-अधूरे (1969)।

साहित्यिक विशेषताएँ-मोहन राकेश ‘नई कहानी’ आन्दोलन के प्रमुख हस्ताक्षर थे। ये बीसवीं सदी के उत्तरवर्ती युग के प्रमुख कथाकार एवं नाटककार थे। इन्होंने कई श्रेष्ठ कहानियाँ तथा उपन्यास लिखे। नाटक के क्षेत्र में तो ये विशिष्ट प्रतिभा माने जाते हैं। हिन्दी के आधुनिक रंगमंच को नई दिशा देने में इनका प्रमुख योगदान था। इसलिए ये आधुनिक हिन्दी नाटक और रंगमंच की युगांतकारी प्रतिभा के रूप में सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध हो चुके हैं। इनके नाटकों की परिकल्पना अत्यन्त ठोस, जटिल तथा नवीन है। इनसे प्रेरणा प्राप्त करके अनेक साहित्यकारों ने साहित्य सृजन किया।

भाषा-शिल्प की विशेषताएँ-मोहन राकेश का अद्भुत भाषा शिल्प उनके साहित्य को प्रमुख विशेषता है। इनकी भाषा में सरलता तथा सहजता के साथ-साथ भावानुकूलता, . प्रसंगानुकूलता, प्रवाहमयता तथा चित्रात्मकता जैसे गुण भी विद्यमान है।

सिपाही की माँ पाठ के सारांश।

‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी मोहन राकेश द्वारा लिखित “अंडे के छिलके तथा अन्य एकांकी” से ली गई है।

चिट्ठी का इंतजार-गाँव का एक साधारण घर है जिसमें बिशनी नाम की महिला अपनी चौदह वर्ष की लड़की मुन्नी के साथ रहती है। उनके घर का इकलौता बेटा लड़ाई के लिए बर्मा गया हुआ है और वह दिन-रात उसकी चिट्ठी का इंतजार करती रहती है। गाँव में डाक की गाड़ी आती है तो मुन्नी अपनी चिट्ठी लेने जाती है पर चिट्ठी नहीं आती है जिससे वो कुछ उदास हो जाती है। उसकी माँ भी चिट्ठी न आने से बहुत दुखी है। लेकिन वह माँ को बार-बार यही समझाती है कि जल्दी ही चिट्ठी आएगी। फिर वे दोनों बर्मा की दूरी को लेकर बातचीत करती है। इसी बीच मुन्नी यह कह देती है कि कहीं चिट्ठी लाने वाला जहाज डूब गया हो जिस कारण उसकी माँ उसे डाँटती है।

मुन्नी की शादी की चर्चा-तभी वहाँ पड़ोस में रहने वाली कुंती आ जाती है। पहले वह वर्मा की लड़ाई के विषय में बातचीत करती है और फिर मुन्नी की शादी के बारे में पूछती है। साथ ही वह मुन्नी की शादी जल्द-से-जल्द करने को कहती है। फिर वह कहती है कि तुम्हारा लड़का जो युद्ध में गया है वह पता नहीं कब तक आएगा, क्योंकि लड़ाई का कोई पता नहीं है कि वह कब तक चलती रहे।

बर्मा से दो लड़कियों का आगमन-उसी समय वहाँ दीनू कुम्हार आता है और बताता है कि दो जवान लड़कियाँ अजीब से कपड़े पहने घर-घर जाकर आटा-दाल माँग रही है। यह बताकर दीनू वहाँ से चला जाता है। इतने में वे लड़कियाँ वहाँ आ जाती है और दाल-चावल माँगती है। जब विशनी और कुंती उनके बारे में पूछती है तो वे बताती है कि मैं बर्मा से आई हुँ। वहाँ भीषण लड़ाई चल रही है जिस कारण हमारा घर-बार छिन गया है, मैं बड़ी ही मुश्किल से जंगल के रास्ते अपनी जान बचाकर आई हुँ।

जब मुन्नी उनसे.फौजियों के बारे में पूछती है तो वे बताती है कि जो फौज छोड़कर भागता हैं, उसे गोली मार दी जाती है। फिर वे बर्मा की नाटकीय स्थिति का वर्णन करती है जिसे सुनकर बिशनी काँप उठती है। उसे अपने बेटे की चिन्ता सताने लगती है तथा कुंती और मुन्नी उसे ढाँढ़स बंधाती है। मुन्नी कहती है कि मेरा दिल कहता है कि भैया आप ही आएँगे। जिसे सुनकर बिशनी कुछ हिम्मत जुटाकर बोलती है तेरा दिल ठीक कहता है बेटी ! चिट्ठी न आई तो वह आप ही आएगा।

माँ-बेटी की बातचीत-रात के समय माँ-बेटी आपस में बातचीत करती है। मुन्नी अपर्न माँ से कहती है कि मेरी कुछ सहेलियों के कड़े बहुत ही सुन्दर हैं जिन्हें वह सारे गाँव में दिखाती हैं। तब बिशनी उसे प्यार भरे स्वर में कहती है कि तेरा भाई तेरे लिए उनसे भी अच्छे कड़े लाएगा।

स्वप्न की स्थिति : इसके बाद दोनों सो जाती हैं। स्वप्न में बिशनी को मानक (उसका बेटा) दिखाई देता है। वह उससे बातचीत करती है। वह बुरी तरह घायल है और बताता है कि दुश्मन उसके पीछे लगा है। बिशनी उसे लेटने को कहती है पर वह पानी माँगता है। तभी वहाँ एक सिपाही आता है और वह उसे मरा हुआ बताता है। यह सुनकर बिशनी सहम जाती है लेकिन तभी मानक कहता है कि मैं मरा नहीं हूँ। वह सिपाही मानक को मारने की बात कहता है। लेकिन बिशनी कहती है कि मैं इसकी माँ हूँ और इसे मारने नहीं दूंगी। सिपाही मानक को वहशी तथा खूनी बताता है।

लेकिन बिशनी उसकी बात को नकार देती है। वह कहती है कि यह बुरी तरह घायल है और इसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। इसलिए तू इसे मारने का विचार त्याग दे। जवाब में सिपाही कहता है कि अगर मैं इसे नहीं मारूँगा तो यह मुझे मार देगा। बिशनी उसे विश्वास दिलाती है कि यह तुझे नहीं मारेगा। तभी मानक उठ खड़ा होता है और उस सिपाही को मारने की बात कहता है। बिशनी उसे समझाती है लेकिन वह नहीं मानता है और उसकी बोटी-बोटी करने की बात कहता है।

स्वज भंग-यह सुनकर बिशनी चिल्लाकर उठ बैठती है। वह जोर-जोर से मानक ! मोनक ! कहती है। उसकी आवाज सुनकर मुन्नी वहाँ आती है। माँ की स्थिति देखकर वह कहती है कि तुम रोज भैया के सपने देखती हो, जबकि मैंने तुमसे कहा था कि भैया जल्दी आ जाएँगे। फिर वह अपनी माँ के गले लग जाती है। बिशनी उसका माथा चूमकर उसे सोने को कहती है और मन-ही-मन कुछ गुनगुनाने लगती है।