Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions
Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण मुहावरे
‘मुहावरा’ से क्या तात्पर्य है? इसके सटीक प्रयोग का अर्थ सोदाहरण समझाएँ।
‘मुहावरा’ का शाब्दिक अर्थ ‘रोजमर्रा’, ‘बोलचाल’ या किसी भाषा के वाक्यों का वैसा प्रयोग जिसका चालू अर्थ कुछ होता है और इशारे का अर्थ कुछ और। उदाहरण के लिए, ‘आँख आना’ और ‘लाल खाना’ जैसे प्रयोगों को देखा जा सकता है। ‘आँख आना’ का चालू अर्थ है ‘आँख का चलकर आना’ पर आँख सफर तो करती नहीं, अत्तः इसका अर्थ है ‘आँख में दर्द और कचकन के साथ लालीवाले रोग का होना’। इसी प्रकार ‘लात’ कोई भात, रोटी वगैरह तो है नहीं कि उसे खाया जाए। इसके इशारे का अर्थ है – किसी बेसमझ आदमी द्वारा अपनी बार – बार की भूलों के लिए लातों की मार खाते रहना। यही ‘मुहावरा’ है।
किसी मुहावरे का ऐसा प्रयोग करना कि उसके इशारे का अर्थ पूरी तरह खुल जाए, वही उसका सटीक प्रयोग कहलाता है। नीचे मुहावरे के बेकार प्रयोग और सटीक प्रयोग का उदाहरण दिया गया है।
- बेकार प्रयोग – उसे देखकर वह सिर पर पैर रखकर भागा।
- सटीक प्रयोग – सिपाही को देखकर चोर सिर पर पैर रखकर भागा।
- बेकार प्रयोग – उसकी पाँचों उँगलियाँ घी में हैं।
- सटीक प्रयोग – उसे एक लाख की लॉटरी मिली। अब क्या है। उसकी पाँचों उँगलियाँ घी में हैं।
कुछ प्रमुख मुहावरे
आँख दिखाना (क्रोध करना) – तुम्हारे आँख दिखाने से मैं डरनेवाला नहीं।
आँखों में खून उतर आना (क्रोध से लहक उठना) – छोटे भाई को पिटते देखकर उसकी आँखों में खून उतर आया।
आँखों का पानी गिरना (बेशर्म होना) – गोपाल तो अपने से बड़ों से भी बेधड़क मुँहाठेठी करता है। लगता है, उसकी आँखों का पानी गिर गया है।
आँखों पर चढ़ना (किसी की शत्रुता का शिकार होना) – बहुत छोड़ा, अब तुम मेरी आँखों पर चढ़ गए हो।
आँख लड़ाना (प्रेम करना) – जिस – तिस से आँखें लड़ाना अच्छा काम नहीं।
आँखें उठाना (हानि पहुँचाने की चेष्टा करना) – मेरे रहते तुम्हारी ओर कौन आँखें उठा सकता है।
आँखें सेंकना (सुन्दर रूप देखकर तृप्त होना) – वे वहाँ घंटों खड़े रहकर आँखें सेंकते रहे।
आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)…मैं सच्चाई जानता हूँ। आँखों में धूल झोंकने की कोशिश न करें।
आँखों का तारा होना (अत्यंत प्यारा होना) – गरीब विधवा का बेटा माँ की आँखों का तारा था।
आँखें फेरना (उदासीन होना, उपेक्षा का भाव दिखाना.) – मैंने उनको प्रणाम किया तो उन्होंने
आँखें फेर ली। – आँखें चार होना (प्रेम होना) – इस सम्मेलन में ही भाग लेते समय दोनों की आँखें चार हुईं और फिर दोनों जीवनसाथी बन गए।
आँखों पर चर्बी छाना (धन का घमंड होना) – उसे किसकी परवाह है? उसकी आँखों पर तो चर्बी छाई हुई है।
आँखों का काँटा होना (बुरा लगना, खटकना) – वह लड़का अपनी सौतेली माँ की आँखों का काँटा था।
आँखें पथरा जाना (थक जाना) – तुम्हारी राह देखते – देखते मेरी आँखें पथरा गईं।
आँखें चुराना (नजरें बचाना) – मुझे देखते ही वह आँखें चुराकर चलता बना।
आस्तीन का साँप होना (कपटी मित्र होना)…मेरा उसपर बड़ा विश्वास था पर वह तो – आस्तीन का साँप निकला।।
आकाश – पाताल एक करना (पूरी छानबीन करना या बहुत परीश्रम करना) – इसका भेद जानने के लिए उन्होंने आकाश – पाताल एक कर दिया।
अपने पाँव पर खड़ा होना (स्वावलंबी होना) – अपने पाँव पर खड़े होने की कोशिश प्रत्येक विद्यार्थी को करना चाहिए।
आँचल पसारना (भीख माँगना) – माँ ने आँचल पसारकर अपने बच्चे के नौरोग होने की भीख माँगी।
आसमान सिर पर उठाना (बहुत शोर मचाना) – इन लड़कों ने तो आसमान सिर पर उठा लिया है।
आकाश के तारे तोड़ना (असंभव कार्य करना) – उत्साही मनुष्य आकाश के तारे तोड़ने से भी बाज नहीं आते।
आपे से बाहर होना (बहुत क्रोधित हो जाना) – आपे से बाहर न हों, शांत होकर कहें, क्या हुआ?
अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि का मारा जाना) – उसे क्या समझ में आएगा? उसकी अक्ल पर तो पत्थर पड़ गया है।
अक्ल का दुश्मन (बुद्धि से कोई सरोकार नहीं रखना) – आजकल उसके काम देखकर तो ऐसा ही लगता है जैसे वह अपनी अक्ल का दुश्मन हो गया हो।
अंधे की लकड़ी (लाठी) होना (एकमात्र सहारा होना) – एकलौते पुत्र की मृत्यु ने उस अंधे की लकड़ी भी छीन ली।
आँख का अंधा नाम नयनसुख (काम के विपरीत नाम) – वह माँगता है भीख पर लोग उसे कहते है धनराज।
अंग – अंग मुस्कुराना (रोम – रोम में प्रसन्नता छलकना) – लॉटरी का पहला इनाम पाकर उनका अंग – अंग मुस्कुराने लगा।
अँगूठा दिखाना (इनकार करना) – खूब धूर्त निकला वह तो। काम निकलते ही अँगूठा दिखाकर चलता बना।
अँगूठा चूमना (खुशामद करना) – किसी का अँगूठा चूमने की मेरी आदत नहीं।
आँसू पीकर रह जाना (चुपचाप रोना) – दिवंगत पुत्र की याद आते ही माँ आँसू पीकर रह गई।
आटे – दाल का भाव मालूम होना (कष्ट का अंदाजा मिलना) – बड़ा छाँटते थे वे, अब जब सर पर पड़ी है तो आटे – दाल का भाव मालूम हो जाएगा।
आसमान के तारे तोड़ना (असंभव कार्य कर डालना) – जीवन में महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति आसमान के तारे तोड़ने के लिए भी तैयार रहते हैं।
आग बबूला होना (अत्यंत क्रूद्ध होना) – अपने लड़के की बुराई सुनते ही वे आगबबूला हो गए।
आग में घी डालना (क्रोध बढ़ाना) – मेरी साइकिल तोड़ने के बाद उसने रूखे स्वर में बोलकर आग में घी डाल दिया।
आग में पानी डालना (क्रोध शांत करना), उनके मधुर वचनों ने आग में पानी डालने का काम किया।
आग उगलना (क्रोध से खरी – खोटी सुनाना) – दिन – रात तो तुम आग ही उगलते रहते हो।
आग लगाना (झगड़ा लगाना) – उसी चुगलखोर ने यह आग लगाई है।
आठ – आठ आँसू रोना (फूट – फूटकर रोना) – स्वर्गीय माँ की याद आते ही वह आठ – आठ आँसू रोने लगा।
ईंट का जबाव पत्थर से देना (जैसा को तैसा मिलना) – क्या समझ लिया है उसने मुझे? ईंट का जबाव पत्थर से दूँगा तब पता चलेगा।
ईद का चाँद होना (कभी – कभी दर्शन देना) – आजकल तो आप बिलकुल ईद का चाँद हो गए हैं।
ईंट से ईंट बजाना (विध्वंस कर डालना) – क्या समझ लिया है उसने मुझे? उसकी ईंट से ईंट बजा दूंगा।
उल्लू सीधा करना (धूर्तता के साथ अपना काम निकलना) – किसी को बेवकूफ बनाकर अपना उल्लू सीधा करना तो बड़ा बुरा काम है।
ऊँचा सुनना (कम सुनना) – जोर से बोलिए, वे जरा ऊँचा सुनते हैं।
उलटी गंगा बहाना (सर्वथा प्रतिकूल बातें करना) – तुम तो हमेशा उलटी गंगा बहाते हो।
उँगली पर नचाना (वश में रखना) – तुम्हारे जैसों को तो वह उँगलियों पर नचाता फिरता है।
कान खड़ा होना (होशियार हो जाना) – उनका रंग – ढंग देखकर हम सभी के कान खड़े हो गए।
कान काटना (बढ़कर काम करना) – इसने तो बड़े – बड़ों के कान काट लिए।
कान पकना (सुनते – सुनते तंग आ जाना) – आपकी शिकायतें सुनते – सुनते मेरे कान पक गए।
कान भरना (चुगली करना) – मेरे विरुद्ध उसने अभी से कान भरना शुरू कर दिया है।
कान में तेल डालकर सो जाना (एकदम बेखबर हो जाना) – हम सभी के लाख समझाने के बाबजूद उसने परीक्षा की जमकर तैयारी नहीं की, उलटे कान में तेल डालकर सो गया।
कान देना (ध्यान दोना) – मैंने लाख कहा, पर उन्होंने जरा भी कान न दिया।
कानों पर जूं तक न रेंगना (बार – बार कहने पर भी न सुनना) – कितनी बार कहा, पर उनके कानों पर जूं तक न रेंगी।
कान का कच्चा होना (दूसरों से शिकायत सुनकर भ्रमित हो जाना) – अरे, उनकी बात मत पूछिए। वे कान के बहुत कच्चे हैं।
कलेजा मुँह को आना (अत्यंत विस्मित एवं दुःखित होना) – उसकी हालत देखकर हम सभी का कलेजा मुँह को आने लगा।
कलेजा थामकर रह जाना (मन मसोसकर रह जाना) – बेचारे क्या करते, कलेजा थामकर रह गए।
कलेजे पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जल उठना) – सोहन की प्रशंसा सुनकर उसके कलेजे पर साँप लोटने लगा।
कलेजे. पर पत्थर रखना (बहुत मुश्किल से धैर्य धारण करना) – वह हर तरह से असहाय था, इसलिए कलेजे पर पत्थर रखकर उनका अन्याय सहता रहा।
आग में पानी डालना (क्रोध शांत करना), उनके मधुर वचनों ने आग में पानी डालने का काम किया।
आग उगलना (क्रोध से खरी – खोटी सुनाना) – दिन – रात तो तुम आग ही उगलते रहते हो।
आग लगाना (झगड़ा लगाना) – उसी चुगलखोर ने यह आग लगाई है।
आठ – आठ आँसू रोना (फूट – फूटकर रोना) – स्वर्गीय माँ की याद आते ही वह आठ – आठ आँसू रोने लगा।
ईंट का जबाव पत्थर से देना (जैसा को तैसा मिलना) – क्या समझ लिया है उसने मुझे? ईंट का जबाव पत्थर से दूँगा तब पता चलेगा।
ईद का चाँद होना (कभी – कभी दर्शन देना) – आजकल तो आप बिलकुल ईद का चाँद हो गए हैं।
ईंट से ईंट बजाना (विध्वंस कर डालना) – क्या समझ लिया है उसने मुझे? उसकी ईंट से ईंट बजा दूंगा।
उल्लू सीधा करना (धूर्तता के साथ अपना काम निकलना) – किसी को बेवकूफ बनाकर अपना उल्लू सीधा करना तो बड़ा बुरा काम है।
ऊँचा सुनना (कम सुनना) – जोर से बोलिए, वे जरा ऊँचा सुनते हैं।
उलटी गंगा बहाना (सर्वथा प्रतिकूल बातें करना) – तुम तो हमेशा उलटी गंगा बहाते हो।
उँगली पर नचाना (वश में रखना) – तुम्हारे जैसों को तो वह उँगलियों पर नचाता फिरता है। .
कान खड़ा होना (होशियार हो जाना) – उनका रंग – ढंग देखकर हम सभी के कान खड़े हो गए।
कान काटना (बढ़कर काम करना) – इसने तो बड़े – बड़ों के कान काट लिए।
कान पकना (सुनते – सुनते तंग आ जाना) – आपकी शिकायतें सुनते – सुनते मेरे कान पक गए।
कान भरना (चुगली करना)…मेरे विरुद्ध उसने अभी से कान भरना शुरू कर दिया है।
कान में तेल डालकर सो जाना (एकदम बेखबर हो जाना) – हम सभी के लाख समझाने के बाबजूद उसने परीक्षा की जमकर तैयारी नहीं की, उलटे कान में तेल डालकर सो गया।
कान देना (ध्यान दोना) – मैंने लाख कहा, पर उन्होंने जरा भी कान न दिया।
कानों पर तक न रेंगना (बार – बार कहने पर भी न सुनना) – कितनी बार कहा, पर उनके कानों पर जूं तक न रेंगी।
कान का कच्चा होना (दूसरों से शिकायत सुनकर भ्रमित हो जाना) – अरे, उनकी बात मत पूछिए। वे कान के बहुत कच्चे हैं।
कलेजा मुँह को आना (अत्यंत विस्मित एवं दुःखित होना) – उसकी हालत देखकर हम सभी का कलेजा मुँह को आने लगा।
कलेजा थामकर रह जाना (मन मसोसकर रह जाना) – बेचारे क्या करते, कलेजा थामकर रह गए।
कलेजे पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जल उठना) – सोहन की प्रशंसा सुनकर उसके कलेजे पर साँप लोटने लगा।
कलेजे पर पत्थर रखना (बहुत मुश्किल से धैर्य धारण करना) – वह हर तरह से असहाय था, इसलिए कलेजे पर पत्थर रखकर उनका अन्याय सहता रहा।
कलेजा ठंढा होना (संतोष की साँस लेना) – शत्रु की मृत्यु का समाचार सुनकर उनका कलेजा ठंढा हो गया।
कलेजा छलनी होना (कड़वी बातों से काफी कष्ट पहुँचना) – उसकी बातों से मेरा कलेजा छलनी हो गया।
कमर टूटना (निराश हो जाना) – इस घटना से तो उनकी कमर ही टूट गई है।
कुत्तों की मौत मरना (बुरी मौत मरना) – घोर गरीबी के कारण वह तड़प – तड़पकर कुत्ते की मौत मरा।
काँटा दूर होना (संकट या विघ्न का दूर होना) – उसके न रहने से आज गोपाल की राह का काँटा दूर हो गया।
काँटे बिछाना (बाधा डालना) – बेमतलब क्यों किसी की राज में काँटे बिछाते हो?
कौड़ी – कौड़ी का मुँहताज होना (बिलकुल दरिद्र होना) – अपनी करनी से वह आजकल कौड़ी – कौड़ी का मुँहताज हो गया है।
कुआँ खोदना (दूसरे को हानि पहुँचाने का प्रयत्न करना) – दूसरे की राह में कुआँ खोदने से तुम्हें क्या लाभ होगा?
कफन सिर से बाँधना (मरने को तैयार रहना) – जब सिर से कफन बाँध लिया तो किसका डर?
कब्र में पाँव लटकाए बैठना (मृत्यु के निकट होना) – मजीद मियाँ कब्र में पाँव लटकाए बैठे हैं और नई शादी की बातें कर रहे हैं।
काम तमाम करना (मार डालना) – एक ही बार में उसने चोर का काम तमाम कर डाला।
कायापलट होना (रूप – परिवर्तन होना) – स्वराज्य मिलते ही उस बंगलादेश का कायापलट हो गया।
कलम तोड़ना (रचना – कौशल की पराकाष्ठा कर देना) – प्रेमचन्द ने कहानियाँ लिखने में अपनी कलम तोड़ दी है।
कलई खुलना (पोल खुलना) – कलई खुलने के डर से वह घर छोड़कर भाग गया।
कंधा लगाना (सहारा दोना) – भारी बोझ है, तुम भी जरा कंधा लगा दो भाई।
कीचड़ उछालना (लांछित करना) – बड़ों पर कीचड़ उछालते तुम्हें शर्म नहीं आती?
कागज काला करना (व्यर्थ लिखना) – क्यों दिन – रात व्यर्थ कागज काला करते रहते हो?
किस्मत का रोना रोना (तकदीर को दोष देना) – सच्चे बहादुर अपनी किस्मत का रोना कभी नहीं रोते।
कन्नी काटना (बच निकलना) – कामचोर आदमी सदा ही कन्नी काटता रहता है।
खरी – खोटी सुनाना (जली – कटी सुनाना) – उन्होंने जब खूब खरी – खोटी सुनाई तो मकान मालिक उबल पड़ा।
खाक छानना (भटकना) – नौकरी की खोज में वह दर – दर की खाक छान रहा है।
खाक में मिलाना (तबाह करना) – इतने परिश्रम से चित्र बनाया था, उसपर रोशनाई डालकर सबकुछ खाक में मिला दिया तुमने।
खाक में मिलना (तबाह होना) – अपनी क्या कहूँ? घर के बँटवारे से तो मैं खाक में मिल गया।
खेत आना या रहना (मारा जाना) – द्वितीय महायुद्ध में लाखों सिपाही खेत रहे।
खटाई में पड़ना (ठप पड़ना) – अभी तक वह मामला खटाई में ही पड़ा है।
खून का चूंट पीकर रह जाना (भारी गुस्से को पचा जाना) – इच्छा तो हुई, सर तोड़ दें बच्चू का, पर खून का चूंट पीकर रह गया।
खून सूख जाना (बहुत डर जाना) – सामने लुटेरे को पाकर उसका खून सूख गया।
खयाली पुलाव पकाना (कोरी कल्पनाएँ करना) – कुछ करना – धरना ती साढ़े बाईस, केवल खयाली पुलाव पकाए चले जा रहे तो तुम।
खिचड़ी पकाना (मिलकर कोई योजना बनाना) – तुमलोग यहाँ क्या खिचड़ी पका रहे हो?
गुड़ गोबर होना (बनी – बनाई बात बिगड़ना) आशा थी, तुम कुछ मदद करोगे, पर तुमने तो सब गुड़ गोबर कर दिया।
गुल खिलना (कुछ नया बखेरा, खड़ा होना) – मुझे तो पहले से ही आशंका थी; देखें, अब क्या गुल खिलता है।
गाल बजाना (डींगें हाँकना) – गाल क्या बजाते हो? जो कहता हूँ उसे सुनो।
गड़े मुर्दे उखाड़ना (बीती बातें उभारना) – गड़े मुर्दे न उखाड़कर यदि आप अभी की बात ही सोचें तो अच्छा हो।
गूलर का फूल होना (बहुत दिनों तक दिखाई न पड़ना) – आजकल तो आप गूलर के फूल। हो गए हैं।
गुलछरें उड़ाना (मौज मारना) – भगवान ने जब छप्पर फाड़कर दिया है तो खूब गुलछर्रे उड़ाओगे ही।
गुदड़ी का लाल होना (निर्धन, पर गुणवान होना) – आखिर गुदड़ी के लाल कब तक छिप सकते हैं।
गुस्सा पीना (क्रोध पर काबू करना) – उसको देखते ही उनकी आँखें लाल हो गई, पर कुछ सोचकर वे अपना गुस्सा पी गए।
गिरगिट की तरह रंग बदलना (बात पर स्थिर न रहना) – वे तो हमेशा गिरगिट की तरह रंग बदलते रहते हैं।
गाँठ बाँधना (खूब याद कर लेना) – गाँठ बाँध लो कि काहिल आदमी कुछ नहीं कर सकता है।
गरदन पर छुरी फेरना (जुल्म करना) – गरीबों की गरदन पर छुरी फेरने से आखिर मिलेगा क्या। केवल गर्म आहे।
गला काटना (साफ अन्याय करना) – दो रुपये की चीज पाँच रुपये में। यह तो बस गला काटना है।
गला छूटना (छुटकारा मिलना) – बिना कुछ दिए आज पुलिस से उनका गला छूटना मुश्किल है।
गले पड़ना (न चाहने पर भी मिलना) – मैंने तो उससे बचने की बड़ी कोशिश की थी, पर वह मेरे गले पड़ ही गया।
गर्दन हिलाना (मंजूरी देना) – मोहम ने गाड़ी खरीदने के लिए गर्दन हिला कर दी।
घी के दिए जलाना (खुशियाँ मनाना) – सेठजी के यहाँ तो रोज घी के दिए जलाए जाते हैं।
घड़ों पानी पड़ना (लज्जित होना) – भरी सभा में बेटे की शिकायत सुनकर पिता के माथे पर घड़ों पानी पड़ गया।
घाट – घाट का पानी पीना (बहुत अनुभवी होना) – भला ये कभी धोखा खा सकते हैं। ये तो घाट – घाट का पानी पीकर बैठे हुए हैं।
घाव पर नमक छिड़कना (दु:खित को और दुःख पहुँचाना) – भाई ! जान – बूझकर मेरे घावों पर नमक क्यों छिड़कते हो?
घर सिर पर उठाना (बहुत हल्ला करना) – इस बच्चे ने तो सारा घर सिर पर उठा लिया है।
घर का दीया (दीया) बुझना (इकलौते पुत्र की मृत्यु होना) – गणेशजी के लड़के ने आँखें क्या मूंदी, उनके घर का दीया (दीया) बुझ गया।
चार चाँद लगाना (शोभा बढ़ाना) – राजर्षि टंडनजी की उपस्थिति ने सभा में चार चाँद लगा दिए थे।
चाँदी काटना (खूब आमदनी करना) – आजकल तो आप खूब चाँदी काट रहे हैं।
चाँदी का जूता पड़ना (भारी रिश्वत या घूस, प्रलोभन) – अरे, जब चाँदी के जूते पड़ेंगे न, तो सारा नाज – नखरा खत्म हो जाएगा।
चाँदी के जूते मारना (काम निकालने के लिए भारी रिश्वत देना) – आजकल चाँदी के जूते मारकर कौन – सा काम नहीं निकाला जा सकता है।
चाँद पर थूकना (बड़े को लांछित करने का प्रयास करना) – चाँद पर थूकने से अपना थूक अपने मुँह पर ही पड़ता है।
चींटी के पर निकलना (मौत के लक्षण दीख पड़ना) – बात सही है, मौत आने पर चींटी के भी पर निकल आते हैं।
चार दिन की चाँदनी (थोड़ी ही समय की खुशी) – बस उनकी खुशी तो सिर्फ चार दिन की चाँदनी है।
चैन की वंशी बजाना (शांत और सुखमय जीवन बिताना) – उनके यहाँ हमेशा चैन की वंशी बजती रहती है।
छट्ठी का दूध याद आना (गहरी मुसीबत में पड़ना) – अपने को वे बहुत बड़ा समझते हैं, पर इस बार उन्हें छट्ठी का दूध याद आ जाएगा।
छप्पर फाड़कर देना (अचानक काफी धन मिलना) – भई, ईश्वर देते हैं. तो छप्पर फाड़कर देते हैं। कल उसे एक लाखवाली लॉटरी का इनाम मिला।
छक्के छुड़ाना (बुरी तरह परास्त करना) – इस बार की लड़ाई में उसने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए।
छाती पर साँप लोटना (ईर्ष्याभिभूत होना) – महात्माजी का सम्मान देखकर उनके आलोचकों की छाती पर साँप लोटने लगा।
छाती पर मूंग दलना (अत्यन्त कष्ट पहुँचाना) – कभी मैंने तुम्हारी इतनी भलाई की थी और आज मेरी ही छाती पर मूंग दलते हो।
छाती पर पत्थर रखना (चुपचाप कष्ट सह लेना) – छाती पर पत्थर रखकर मैंने उसका सारा अत्याचार सह लिया था।
छू – मंतर होना (गायब हो जाना) – ‘बाम’ लगाते ही सरदर्द छू – मंतर हो गया।।
ज्यों कोल्हू का बैल होना (बराबर खटते रहना) – वह तो रोज यों खटता है ज्यों कोल्हू का बैल हो।
जली – कटी सुनाना (खूब भली – बुरी सुनाना) – क्या कसूर है मेरा? तुमने तो आते ही मुझे जली – कटी सुनाना शुरू कर दिया।
जान भारी होना (जीना कठिन होना) – इस समय तो अपनी ही जान भारी हो गई है।
जान पर खेलना (मृत्यु से बिना डरे कुछ करना) – उन्होंने अपनी जान पर खेलकर उस बच्चे को आग की लपटों से बचा लिया।
जाम के लाले पड़ना (मृत्यु – संकट में पड़ना) – डकैतों के कारण सेठजी को अपनी जान के लाले पड़ गए।
जीती मक्खी निगलना (जानते हुए भी बड़ी भूल करना) – जान – बूझकर तुम जीती मक्खी निगलना चाहते हो।
जूता मारना (अपमानित करना) – अरे ! क्या समझते हैं वे अपने को, मैं वैसे सम्मान पर जूते मारूँ।
टका – सा जबाव देना (खुले स्वर में अस्वीकार कर देना) – आज कुछ माँगने पर उसने ऐसा टका – सा जबाव दिया कि बस !
टेढ़ी अँगुली से घी निकालना (बल – प्रयोग से काम लेना) – उन्हें समझा – बुझाकर रास्ते पर लाने की मैंने पूरी कोशिश की, पर वे मानते नहीं ! टेढ़ी अँगुली से ही घी निकलता है ! क्यों?
डोरे डालना (प्रेमजाल फैलाना) – वह तो मौके की ताक में थी ही, वैसा अवसर मिलते ही डोरे डालने लगी।
डूबते को तिनके का सहारा – राम को बैंक का कर्ज क्या मिला कि समझो कि डूबते को ‘तिनके का सहारा मिल गया।
तीन तेरह होना (बरबाद होना) – जब उनके पास बहुत – कुछ था, तब था, अब तो सब तीन तेरह हो गया।
तलवार से तलवार टकराना (जोरदार मुकाबला होना) – दोनों ही बहादुर थे, भीड़े तो तलवार से तलवार टकराती मालूम पड़ी।
तीन तेरह करना (बरबाद करना) – यदि ठीक से यह काम कर सकते हो तो करो, यों सब तीन तेरह न करो।
तितर – बितर होना (छितरा जाना) – पलभर में भीड़ तितर – बितर हो गई।
तलवे सहलाना (खुशामद करना) – वह उनके तलवे सहलाता थक गया, पर वे तो सुनते ही नहीं।
तेवर दिखाना (क्रोध प्रकट करना) – देखो, शांत होकर सीधे – सीधे बातें करो। अपने ये तेवर किसी और को दिखाना।
तारे गिनना (बेकार का समय बिताना) – नींद आ ही नहीं रही थी, अत: क्या करता? बस, रातभर तारे गिनता रहा।
तिल का ताड़ करना (मामूली बात को काफी बढ़ा डालना) – मैंने बात हँसी में कही थी, पर उन्होंने तो तिल का ताड़ कर दिया।।
तीन कौड़ी का होना (बेकार हो जाना) – मैंने पहले ही कहा था, ध्यान दो; पर उसने कहाँ दिया? उसी का फल है कि आज वह तीन कौड़ी का हो गया।
तूती बोलना (धाक या प्रभाव होना) – आजकल तो चारों ओर उन्हीं की तूती बोलती है।
दाँत खट्टा करना (हैरान कर देना, बुरी तरह से हरा देना) – वीर बालक अभिमन्यु ने कौरवों के दाँत खट्टे कर दिए थे।
दाँत खट्टा होना (परेशान हो जाना) – इस बार की लड़ाई में तो दुश्मन के सैनिकों के दाँत खट्टे हो गए।।
दाँत – काटी रोटी होना (गाढ़ी दोस्ती होना) – दोनों में दाँत – काटी रोटी चलती थी, आश्चर्य है, कैसे लड़ गए?
दाँतों तले उँगली दबाना (आश्चर्य प्रकट करना) – बस, इतने ही में आप दाँतो. तले उँगली दबाने लगे?
जीती मक्खी निगलना (जानते हुए भी बड़ी भूल करना) – जान – बूझकर तुम जीती मक्खी निगलना चाहते हो।
जूता मारना (अपमानित करना) – अरे ! क्या समझते हैं वे अपने को, मैं वैसे सम्मान पर जूते मारूँ।
टका – सा जबाव देना (खुले स्वर में अस्वीकार कर देना) – आज कुछ माँगने पर उसने ऐसा टका – सा जबाव दिया कि बस !
टेढ़ी अँगुली से घी निकालना (बल – प्रयोग से काम लेना) – उन्हें समझा – बुझाकर रास्ते पर लाने की मैंने पूरी कोशिश की, पर वे मानते नहीं ! टेढ़ी अंगुली से ही घी निकलता है ! क्यों?
डोरे डालना (प्रेमजाल फैलाना) वह तो मौके की ताक में थी ही, वैसा अवसर मिलते ही डोरे डालने लगी।
डूबते को तिनके का सहारा राम को बैंक का कर्ज क्या मिला कि समझो कि डूबते को ‘तिनके का सहारा मिल गया।
तीन तेरह होना (बरबाद होना) – जब उनके पास बहुत – कुछ था, तब था, अब तो सब तीन तेरह हो गया।
तलवार से तलवार टकराना (जोरदार मुकाबला होना) – दोनों ही बहादुर थे, भीड़े तो तलवार से तलवार टकराती मालूम पड़ी।
तीन तेरह करना (बरबाद करना) – यदि ठीक से यह काम कर सकते हो तो करो, यो सब तीन तेरह न करो।
तितर – बितर होना (छितरा जाना) – पलभर में भीड़ तितर – बितर हो गई।
तलवे सहलाना (खुशामद करना) – वह उनके तलवे सहलाता थक गया, पर वे तो सुनते ही नहीं।
तेवर दिखाना (क्रोध प्रकट करना) – देखो, शांत होकर सीधे – सीधे बातें करो। अपने ये तेवर किसी और को दिखाना।
तारे गिनना (बेकार का समय बिताना) – नींद आ ही नहीं रही थी, अत: क्या करता? बस, रातभर तारे गिनता रहा।
तिल का ताड़ करना (मामूली बात को काफी बढ़ा डालना) – मैंने बात हँसी में कही थी, पर उन्होंने तो तिल का ताड़ कर दिया।
तीन कौड़ी का होना. (बेकार हो जाना)…मैंने पहले ही कहा था, ध्यान दो; पर उसने कहाँ दिया? उसी का फल है कि आज वह तीन कौड़ी का हो गया।
तूती बोलना (धाक या प्रभाव होना) – आजकल तो चारों ओर उन्हीं की तूती बोलती है।
दाँत खट्टा करना (हैरान कर देना, बुरी तरह से हरा देना) – वीर बालक अभिमन्यु ने कौरवों के दाँत खट्टे कर दिए थे।
दाँत खट्टा होना (परेशान हो जाना) – इस बार की लड़ाई में तो दुश्मन के सैनिकों के दाँत खट्टे हो गए।
दाँत – काटी रोटी होना (गाढ़ी दोस्ती होना) – दोनों में दाँत – काटी रोटी चलती थी, आश्चर्य है, कैसे लड़ गए?
दाँतों तले उँगली दबाना (आश्चर्य प्रकट करना).बस, इतने ही में आप दाँतो. तले उँगली दबाने लगे?
दम भरना (किसी की मित्रता का भरोसा करना) – वे उनकी मित्रता का बड़ा दम भरते हैं।
दम तोड़ना (मर जाना) – एक लंबी बीमारी के बाद उसने दम तोड़ दिया।
दिमाग चाटना (परेशान करना) – नये शिक्षक को वर्ग में प्रवेश करते ही छात्रों ने दिमाग चाटना शुरू कर दिया।
दाल गलना (वश चलना) – लाख कोशिश करें, यहाँ पर आपकी दाल नहीं गलेगी।
दिल फटना (भरोसा उठ जाना) – मोहन के व्यवहार से उसके मित्र का दिल फट गया।
दिल बैठना (हिम्मत हारना) – लगातार चोटें खाकर भी मेरा दिल न बैठा।
दिल दरिया होना (उदार हृदय होना) – वैभव पाकर उनका दिल दरिया हो गया था।
दिल टूटना (हिम्मत टूटना) – चुनाव में दो बार की हार से उनका दिल टूट गया।
दिन में तारे दिखाई पड़ना (आश्चर्यविमूढ़ हो जाना) – घर में सुबह तिजोरी टूटी हुई देखकर सेठजी को दिन मे ही तारे दिखाई पड़ने लगे।
दाल – भात में मूसलचन्द (बेमतलब के बीच में टपक पड़ना) – अपने काम से मतलब रखो, निरर्थक दाल – भात में मूसलचन्द बनने आ गए हो।
धूल चटाना (मुँह के बल पटकना) – गामा ने दो मिनट में सैंडो को धूल चटा दिया।
धूल चाटना (मुँह के बल पटका जाना) – एक ही मुक्के में वह धूल चाटने लगा।
धूप में बाल पकाना (बिना अनुभव के अपनी आयु बिता देना) – मैंने धूप में ये बालं नहीं पकाए हैं मोहन ! मैं भी सब समझता हूँ।
नाक काटना (इज्जत लेना) – झूठा इल्जाम लगाकर तुमने मेरी नाक काट ली।
नाक कटना (इज्जत चला जाना) – उनके बेटे ने ऐसा काम किया कि खानदान की नाक ही कट गई।
नाक रख लेना (इज्जत बचा लेना) – उन्होंने शीघ्र कर्ज चुकाकर अपनी नाक रख ली।
नाक – भौं सिकोड़ना (घृणा एवं अरुचि प्रदर्शित करना) – तुम तो बात – बात पर नाक – भौं ही सिकोड़ने लगते हो।
नाक का बाल होना (अतिशय दुलारा होना) – आजकल बाप का दुलार पाकर वह उनकी नाक का बाल हो गया है।
नाकों चने चबाना (खूब हैरान होना) – वीर सावरकर को बंदी बनाने के पीछे अंग्रेज ‘सरकार को नाकों चने चबाने पड़े।
नाक रगड़ना (दीनतापूर्वक प्रार्थना करना) – उसने सबके सामने बहुत नाक रगड़ी, पर किसी ने कुछ न सुना।
नाक में दम आना (परेशान हो जाना) – तुम्हारी शिकायतें सुनते – सुनते मेरी नाक में दम आ गया है।
नौ – दो ग्यारह होना (भाग जाना) – पुलिस के आते ही चोर नौ – दो ग्यारह हो गए।
निन्यानबे के चक्कर में पड़ना (धन जुटाने के फेर में पड़ना) – निन्यानबे के चक्कर में पड़ने पर मन की शांति कहाँ?
नाक पर गुस्सा होना (अत्यन्त क्रोधी होना) – ~मोहन को बात – बात पर नाक पर गुस्सा आ जाता है।
पानी – पानी होना (लज्जित होना) – रंगे हाथों अपनी चोरी को पकड़ाते देखकर वह पानी – पानी हो गया।
पानी उतरना (शान बिगड़ना, चमक न रहना) – बहुत घमंड था उन्हें अपनी ताकत पर। ईश्वर की लीला कि सारा पानी उतर गया।
पानी रखना (इज्जत बचाना) – शबाश ! तुम्हारी बहादुरी ने गाँववालों का पानी रख लिया।
पानी फिरना (नष्ट हो जाना) – उनके सारे मनसूबों पर पानी फिर गया।
पानी भरना (तुच्छ प्रतीत होना) – यह नकली रेशम इतना चमकदार है कि असली उसके सामने पानी भरे।
पेट काटना (जान – बूझकर कम खाना) – माँ – बाप ने अपना पेट काट – काटकर लड़के को पढ़ाया था।
पेट में चूहे कूदना (खूब भूख लगना) – पेट में चूहे कूद रहे थे, पर चूल्हा सुबह से ठंढा पड़ा था।
पीठ दिखाना (हारकर पीछे भागना) – लड़ाई में पीठ दिखाना उन बहादुर क्षत्रियों ने नहीं सीखा था।
पीठ ठोकना (हिम्मत बढ़ाना) – गुरु ने चेले की पीठ ठोकी और फूलने – फलने का आशीर्वाद दिया।
पैरों तले जमीन खिसकना (अपने को निराधार अनुभव करना) – अपने घर में डकैती का समाचार सुनकर उन्हें अपने पैरों तले जमीन खिसकती मालूम पड़ी।
पैर जमाना (अधिकार प्राप्त करना) – धीरे – धीरे शत्रुओं ने सारे मुल्क पर अपने पैर जमा लिए।
पाँचों उँगलियाँ घी में होना (खूब लाभप्रद स्थिति में होना) – गोपाल को एक लाख की लॉटरी निकली है। अब तो उसकी पाँचों उँगलियाँ घी में है।
पाँव पकड़ना (विनती करना) – जब कुछ होनेवाला ही नहीं तो किसी का पाँव पकड़ना बेकार है।
पाँव पसारना (अधिकार बढ़ाना) – पाँव उतना ही पसारना चाहिए जितने में काम चल जाए।
पैर उखाड़ना (पराजित कर भागने को मजबूर कर देना) – भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के पैर उखाड़ दिए थे।
पाँव धरती पर न टिकना (बहुत घमंडी होना) – अधिकार पाकर आज हमारे नेताओं के पाँव धरती पर टिकते ही नहीं।
पाँव धोकर पीना (खूब आदर – सत्कार करना) – वे सत्पुरुष यहाँ पधारते तो मैं उनके पाँव धोकर पीता।
पापड़ बेलना (तरह – तरह के धंधे करके अनुभव प्राप्त करना) – देखो मुझे चराने की कोशिश मत करो, मैंने भी बहुत पापड़ बेले हैं।
पगड़ी उछालना (अपमानित करना) – आखिर तुम्हें मेरी पगड़ी उछालकर क्या मिला, बोलो!
पट्टी पढ़ाना (किसी के मन को वश में कर लेना) – तुमने उस लड़के को कैसी पट्टी पढ़ा दी है कि वह किसी की कुछ सुनता ही नहीं?
पहाड़ टूट पड़ना (भारी विपत्ति आना) – उस बेचारे पर तो दु:ख का पहाड़ ही टूट पड़ा है।
पौ – बारह होना (खूब लाभ होना) – इस साल के राजगार में तो उन्हीं का पौ – बारह रहा।
पोल खोलना (छिपी असत्य बात को प्रकट करना) – गवाह ने तो उलटे उनकी सारी पोल खोल दी। अब क्या होगा?
पाकेट गरम करना (रिश्वत लेना) – क्या कहते हैं आप ! आज के नब्बे प्रतिशत ऑफिसर पॉकेट गरम करने की फिराक में रहते हैं।
फूट – फूटकर रोना (खूब विलाप करना) – बेटे की मृत्यु की दुस्संवाद सुनकर वह फूट – फूटकर रोने लगी।
फूला न समाना (बहुत प्रसन्न होना) – अनुरूप वर पाकर वह फूली नहीं समाती थी।
बात जमना (रंग जमना) – उसने अपने भरपूर कोशिश की, पर बात जमी नहीं।
बात का धनी होना (वादे का पक्का होना) – वह तो अपनी बात का पूरा धनी निकला।
बात बढ़ाना (झगड़ बढ़ाना) – उस छोटी – सी बात पर और बात बढ़ाना मुझे अच्छा न लगा।
बात बनाना (बहान’ करना) – करना – धरना तो साढ़े बाईस, पर बातें बनाना खूब आता है तुम्हें !
बाल – बाल बचना (संयोग से बचना) – आज तो मैं बाल – बाल बच गया भाई, नहीं तो मोटर के नीचे आ जाता।
बाल बाँका न होना (जरा भी हानि न होना) – ईश्वर की कृपा रही तो मेरा बाल भी बाँका नहीं होगा।
बाल की खाल निकालना (बहुत बारीकी से तर्क – वितर्क करना) – तुम तो बात – बात में बाल की खाल निकालते हो !
बाल पकना (बुढ़ापा आना, अनुभवी होना) – मैं भी सब समझता हूँ समझे ! धूप में मेरे बाल नहीं पके हैं।
बाग – बाग होना (आनंदित होना) – प्रथम श्रेणी में अपने को पास देखकर वह बाग – बाग हो गया !
बोलती बंद होना (होश गुम होना) – वकील.ने जब टेढ़े – मेढ़े प्रश्न पूछना शुरू किया तब बेचारे की बोलती बंद हो गई।
बाजार गर्म होना (तेजी से काम चलना) – जिधर देखिए उधर ही घूसखोरी का बाजार गर्म है।
बेड़ा पार लगाना (किसी संकट से उबारना) – ऐसे मौके पर केवल भगवान ही बेड़ा पार लगा सकते हैं।
बहती गंगा में हाथ धोना (औरों के साथ स्वयं भी लाभ उठाना)…जब सब लाभ उठा रहे हैं तो भी बहती गंगा में हाथ क्यों न धोऊँ?
बालू की भीत होना (क्षणभंगुर होना) – उन लोगों के साथ दोस्ती मेरे खयाल मे बालू की भीत सिद्ध होगी।
भीगी बिल्ली होना (डर से दुबका रहना) – उनके आगे तो वह एकदम से भीगी बिल्ली ही बन जाता है
भूत सवार होना (धुन या गुस्से में होना) – उससे कुछ न बोला भाई ! उसपर तो भूत सवार है आज !
मुँहदेखी करना (पक्षपात करता – सनित फैसला करने से उसे क्या मतलब जो मुँहदेखी करता हो?
मुँह की खाना (हार जाना) – इस चुनाव में उसने ऐसी मुँह की खाई है कि फिर उसका उठना मुश्किल ही है।
मुँह चुराना (लजाना) – उस समय तो तुम बहुत गरज रहे थे, अब सामने आने में मुँह क्यों चुराते हो?
मुँह ताकना (सहायता पाने की आशा करना) – चंदे की झोली लिए मैं घंटों उनका मुँह ताकता रहा, पर उन्होंने कुछ नहीं दिया।
मुँह खुलना (वाचाल होना) – आजकल बहुत मुँह खुल गया है तुम्हारा ! छोटे – बड़े का कोई विचार ही नहीं !
मुँह की लाली रखना (इज्जत कायम रखना) – पंडित नेहरू ने अपनी विमल कीर्ति से पं. मोतीलाल के मुँह की लाली रखी।
मुँह मोड़ना (विरक्त होना) – अब मुझसे कुछ न पूछो ! मैंने इन झगड़ों से अब मुँह मोड़ लिया है।
मुँह काला होना (अपमानित होना) – किसने कहा था यह सब करने को ! मुँह काला हो गया तो सफाई देने चले हो !
मुँह खोलना (बढ़कर बोलना) – जहाँ चाहा वहीं मुंह खोल दिया। यह अच्छी आदत नहीं है तुम्हारी।
मुँह खुलवाना (बोलने को बाध्य करना) – देखो, मुझे छेड़ों नहीं, बेकार मुँह खुलवाना चाह रहे हो !
मुँह फुलाना (नाराज होना) – आखिर क्या बात हुई जो तुमने मुँह फुला लिया?
मुँह छिपाना (शरमाना) – बेचारा जब से फेल हुआ है, सबसे मुँह छिपाए फिरता है।
मुँह में घी – शक्कर होना (मंगलमय कामनाएँ) – बड़ी खुशी की खबर सुनाई, आपके मुँह में घी – शक्कर हो।
मुँह मारना (खाना) – गाय ने खेत में मुँह मारी ही थी किसान आ पहुँचा।
मुँह उतरना (लज्जित होना) – असल कारण सुनते ही उनका मुँह उतर गया था।
मुँह दिखाना (प्रत्यक्ष होना) – उस दिन के बाद से उसने आज तक मुँह नहीं दिखाया।
मुँह मीठा करना (प्रसन्न होकर कोई मीठी चीज खिलाना) – दिल खोलकर मदद करो भाई ! सफल हुआ तो मुँह मीठा कर दूंगा।
मुट्ठी गरम करना (रिश्वत लेना या देना) – शायद ही कोई अफसर आजकल ऐसा होता होगा जो अपनी मुट्ठी नहीं गरम करता हो !
मैदान मारना (बाजी जीत लेना) – आज के खेल में तो आपने मैदान मार लिया।
माथापच्ची करना (खूब सोचना – विचारना) – यह बात इतनी साफ है कि माथापच्ची करना बेकार ही होगा।
मिट्टी पलीद करना (इज्जत बिगाड़ना) – आशा थी, कुछ मदद करोगे, पर तुमने तो मेरी मिट्टी पलीद कर दी।
माथा पकड़ना (लाचार होकर बैठं रहना) – चारों तरफ उलटी परिस्थितियाँ देखकर वे माथा पकड़कर बैठ गए !
मन रखना (बात रखना) – उनका मन रखना भी जरूरी था, नहीं तो मुझे क्या पड़ी थी?
मन मिलना (एक राय वाला होना) – हर बात पर सभी का मन सभी से नहीं मिलता है।
रंग जमना (प्रभाव पड़ना) – आज तो उनका सबपर खूब रंग जम गया।
रंग चढ़ना (नया परिवर्तन आना) – आज तो उनपर एक नया ही रंग चढ़ा था।
रंग बदलना (विचार बदलना) – जमाने का रंग क्षण – क्षण बदलता रहता है भाई !
रंग उतरना (उदास होना) – यह सुनते ही उनके चेहरे का रंग उतर गया।
राई का पहाड़ करना (छोटी – सी बात को बड़ी बनाकर कहना) – बतक्कड़ तो वह है ही, अक्सर राई को पहाड़ कर देता है।
रंगे हाथों पकड़ना (अपराध करते समय ही पकड़ना) – वह चोरी करने निकला था पर रँगे हाथों पकड़ा गया।
रात आँखों में कटना (नींद न आना) – चिंता के मारे सारी रात आँखों में ही कट गई।
लोहे के चने चबाना (अत्यंत कठिन काम के पाले पड़ना) लड़ाई में उससे जीतना लोहे के चने चबाना है।
लोहा लेना (संघर्ष करना) – उनसे लोहा लेने के लिए मैं तैयार हूँ।
लोहा मानना (अधीनता स्वीकार करना) – पांडित्य के क्षेत्र में उनका लोहा कौन नहीं मानता !
लाल – पीला होना (क्रोधित होना) – इस जरा – सी बात पर लाल – पीले क्यों होने लगे आप?
लंबी – चौड़ी हाँकना (डींग मारना) – बड़ी लंबी – चौड़ी हाँकते थे पहले, अब कुछ कर दिखाएँ तो जानें !
लात मारना (तुच्छता प्रदर्शित करना) – घर की शांति बनाए रखने के लिए उसने धन को लात मार दी।
विष उगलना (जली – कटी सुनाना) – तुम तो बात – बात पर विष ही उगलते रहते हो।
सब्जबाग दिखाना (झूठा प्रलोभन दोना) – उसने ऐसा सब्जबाग दिखाया कि सभी व्यापारी चकमे में आ गए।
सोने में सुहागा या सुगंध होना (गुण में गुण का संयोग होना) – उनके बलिष्ठ शरीर में पहला पांडित्य सोने में सुगंध का काम करता है।
सिक्का जमाना (प्रभुत्व जमाना) – धीरे – धीरे अँगरेजों ने सारे मुल्क पर अपना सिक्का जमा लिया।
सिर उठाना (विरोध के लिए खड़ा होना) – वे उनके विरुद्ध सिर उठाकर क्या कर लेंगे?
सिर झुकना (लज्जित होना) – अपनी काली करतूतों का पर्दाफाश होते ही उनका सिर झुक गया।
सिर झुकाना (महानता स्वीकार करना) – विद्वानों के आगे सिर झुकाना ही चाहिए।
सिर चकराना (किंकर्तव्यविमूढ़ होना) – उनकी बातें सुनकर मेरा सिर चकराने लंगा।
सिर धुनना (पछताना) – जब सब कुछ लुट ही गया तो अब सिर धुनकर क्या होगा?
सिर पीटना (शोक करना) – अपने भाई के गंगा में डूबने का समाचार सुनते ही वे सिर पीटने लगे।
सिर खपाना (बहुत सोचना – विचारना) – भाई, मैंने बहुत सिर खपाया पर मुझे कोई उपाय न सूझा।
सिर खुजलाना (बहाना सोचना) – बहुत जानने का दावा करते थे तुम, अब जवाब मांगने पर सिर क्यों खुजलाने लगे?
सिर पर खून सवार होना (जान लेने को उन्मतं होना) – उनके सिर पर खून सवार था, तभी तो उन्होंने बन्दुक निकाला था।
सिर पर सवार होना (बुरी तरह से पीछे पड़ना) – मैंने तुम्हें थोड़ी शह. क्या दी कि तुम मेरे सिर पर सवार हो गए।
सिर से कफन बाँधना (मरने को तैयार होना) जब सिर से कफन बाँध ही लिया तो फिर किसका डर?
सिर पर मौत नाचना (मृत्यु का समीप होना) – उनके सिर पर मौत नाच रही थी तभी तो वे ऐसी बीमार हालत में भी नहाने गए।
सिर पर पैर रखकर भागना (जान लेकर भागना) – शेर का नाम सुनते ही वे सिर पर पैर रखकर भागे।
सिर पर आसमान उठाना (खूब हंगामा करना) – तुमने तो जरा – सी बात पर आसमान सिर पर उठा लिया।
सिर नीचा होना (कलंकित होना) – उस ओछे काम से उनका सिर नीचा हो गया।
सिर ऊँचा होना (यश बढ़ना) – बेटे के सुयश से बाप का भी सिर ऊँचा हो गया।
शिकार होना (फँस जाना) – मैं खुद उस संक्रामक रोग का शिकार होते – होते बचा।
श्रीगणेश करना (शुभारंभ करना) – आज ही इस काम का श्रीगणेश किया गया है।
शेखी बघारना (बड़ी – बड़ी बातें करना) – करना – धरना कुछ नहीं, जब देखो सिर्फ शेखी बघारते रहते हो।
हवा में महल बनाना (खयाली पुलाव पकाना) – केवल हवा में महल बनाने से काम नहीं चलता, बहुत – कुछ करना भी पड़ता है।
हाथ पर सरसों जमाना (असंभवप्राय काम को संभव करना) – तुम तो पलभर में हाथ पर सरसों जमाना चाहते हो।
हक्का – बक्का रह जाना (अचंभे में आ जाना) – संदूक – सहित नौकर को भागा हुआ सुनकर वे हक्का – बक्का रह गए।
हथियार डाल देना (हार मान लेना) – महीनों घेरा डालने के बावजूद उनके दुश्मनों ने हथियार नहीं डाले।
हँसी में उड़ाना (ध्यान न देना) – देखिए, मामला जरा गंभीर है, इसे यों ही हँसी में न उड़ाइए.।
हँसी उड़ाना (मजाक उड़ाना) – बड़ों की हँसी उड़ाते हुए उन्हें शर्म आना चाहिए।
होश उड़ाना (सुध – बुध भूल जाना) – डकैतों का आना सुनते ही सबके होश उड़ गए।
होश ठिकाने कर देना (अकड़ भुला देना) – क्या समझा है उसने? एक ही झापड़ में उसके होश ठिकाने कर दूंगा !
होश सँभालना (भले – बुरे का ज्ञान होना) – ~होश सँभालते ही वह खुद सही रास्ते पर चला आएगा।
हथेली पर दही (या दूब) जमाना (असंभवप्राय काम को संभव करना) – जो संभव हो वही करो। तुम तो हमेशा हथेली पर दही (या दूब) जमाना चाहते हो।
हाथ कंगन को आरसी क्या (प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण की जरूरत नहीं) – हाथ कंगन को आरसी क्या? अब परीक्षा फल प्रकाशित ही होगा।
हवा लगाना (संगति का प्रभाव पड़ना) – नए जमाने की हवा इसे भी लग गई है। तभी इतना शौकीन बना फिरता है।
हवा बाँधना (खूब बढ़ा – चढ़ाकर प्रचार करना) – उसने ऐसी हवा बाँधी कि सब उसके चकमे मे आ गए।
हवा का रुख देखना (परिस्थिति के अनुकूल होना) – यदि आप चैन से जीना चाहते हैं तो अपने चारों ओर की हवा का रुख देखकर ही काम करें।
हवा से बातें करना (बहुत तेज भागना) – मार लगते ही घोड़ा हवा से बातें करने लगा। हाथ मलना (पछताना) होशियार को कभी हाथ नहीं मलना पड़ता है।
हामी भरना (स्वीकार कर लेना) – बिना सोचे – समझे तुम्हें इस काम के लिए हामी भरना ही नहीं चाहिए था।
हाथ लगना (मिलना, प्राप्त होना) – सुबह एक कीमती चीज मेरे हाथ लगी।
हाथ मारना (फायदा उठाना) – मौका पाकर उसने भी वहाँ खूब हाथ मारा।
हाथ धो लेना (गँवा देना) रेल में आज मैंने अपने मनी – बैग से हाथ धो लिया।
हाथ साफ करना (खूब खाना, मारना, बेईमानी करना) – मैंने अपने मित्रों के साथ आज रसगुल्लों पर खूब हाथ साफ किया।
हाथ काटना (रोजी – रोटी छीन लेना) – हल – बैल छीनकर जमींदार ने उस किसान के मानो हाथ ही काट दिए।
हाथ कटवा लेना (अपना आधार गँवा देना) – ऐसा कर आपने अपने हाथ खुद ही कटवा लिए।
हाथ खींचना (सहायता बंद करना) – मैंने इस मामले से अपना हाथ खींच लिया है।
हाथ पकड़ना (सहारा देना, पाणिग्रहण करना) – जब उसका हाथ पकड़ा है तो उसे निभाना ही परम धर्म है।
हाथों के तोते उड़ जाना (होश गुम होना) – मुकदमे मैं अपनी हार सुनकर महंथजी के हाथों के तोते उड़ गए।
हाथ गरम करना (रिश्वत लेना) – मौका आने पर अपना हाथ गरम करने से आज कौन ऑफिसर चूकता है?
हाथ पर हाथ धरकर बैठना (काहिल होकर बैठना) – परीक्षा में फर्स्ट डिवीजन आप पाना चाहते हैं तो मेहनत कीजिए हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से काम न चलेगा।
हाथोंहाथ बिक जाना (ग्राहकों द्वारा तुरंत ले लेना) – उनके माल के बाजार में आने की देर थी कि सारा माल हाथोंहाथ बिक गया।
हाथ उठाना (मारने को उद्यत होना) – अबला पर हाथ उठाते तुम्हें शर्म आना चाहिए।