Bihar Board Class 6 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 1 Chapter 11 सरजू भैया Text Book Questions and Answers and Summary.
BSEB Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 11 सरजू भैया
Bihar Board Class 6 Hindi सरजू भैया Text Book Questions and Answers
प्रश्न-अभ्यास
पाठ से –
प्रश्न 1.
सरजू भैया को जिन्दादिल क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
सरजू भैया को जिन्दादिल इसलिए कहा गया क्योंकि वे दुबले-पतले गरीब होते हुए भी मिलनसार, मजाकिया, हँसोड़, दयालु तथा परोपकार करने में सदैव तत्पर रहते थे।
प्रश्न 2.
लेन-देन के व्यवसाय में सरजू भैया क्यों सफल नहीं हो सकते थे?
उत्तर:
लेन-देन के व्यवसाय में सरजू भैया इसलिए सफल नहीं हो सकते थे क्योंकि उनमें तना करुणा-दया था कि रुपया लेने वाला जब उनके सामने आँसू बहाने लगता तो दयावश उससे मूलधन भी नहीं माँगते थे। अतः ऐसा व्यक्ति लेन-देन के व्यवसाय में कभी सफल नहीं होता।
प्रश्न 3.
चतुर, फुर्तीले और काम-काजू आदमी होते हुए भी सरजू भैया सुखी-संपन्न क्यों नहीं रह सके?
उत्तर:
सरजू भैया चतुर, फुर्तीले और काम-काजू आदमी होते हुए भी सुखी संपन्न नहीं रह सके क्योंकि सरजू भैया की दूसरे के काम से ही फुर्सत नहीं मिलती थी। किसी के घर में कोई बीमार पड़ा तो वैद्य या डॉक्टर बुलाने का काम सरजू भैया करते, किसी को बाजार से सौदा लोना है-सरजू भैया लाते, किसी को किसी सम्बन्धी का खोज-खबर लेनी है, सरजू भैया को भेजा जाता था।
किसी को कोर्ट का काम है, सरजू भैया तैयार रहते । अर्थात् गाँव भर के लोगों का बोझ सिर पर लेकर अपना खेत-घर को मटियामेट कर दिया। भला ऐसा लोग कैसे सुखी-सम्पन्न होगा जिनका जीवन परोपकार में ही बीतता हो।
प्रश्न 4.
सरजू भैया ने सादे कागज पर अंगूठे का निशान क्यों बनाया ?
उत्तर:
सरजू भैया सूदखोर महाजन के कहने पर सादे कागज पर अंगूठे का निशान इसलिए बना दिया क्योंकि वे रुपया गाँठ में बाँध चुके थे वे महाजन के व्यवहार से आश्चर्यचकित थे। जो महाजन कभी सरजू भैया से रुपया लेता आज जब सरजू भैया को रुपये की जरूरत पड़ी तो महाजन ने अंगूठे का निशान लगाने को कहा। सीधे-सादे सरजू भैया निशान लगा दिये ।
प्रश्न 5.
अपनी शादी की बात सुनकर सरजू भैया ठठाकर क्यों हँस पड़े ? सही उत्तर में (✓) चिह्न लगाइए।
(क) यह समझकर कि लोग उनसे हँसी कर रहे हैं ?
(ख) सरजू भैया स्वयं हँसी कर रहे थे।
(ग) दूसरी शादी की संभावना पर वह बहुत प्रसन्न हो उठे थे।
(घ) वह हँस कर बात टालना चाहते थे।
उत्तर:
(घ) वह हँस कर बात टालना चाहते थे।
पाठ से आगे –
प्रश्न 1.
‘काजी जी दुबले क्यों ? शहर के अन्देशे से’ यह कहावत सरजू भैया पर कहाँ तक चरितार्थ होती थी?
उत्तर:
सरजू भैया के पास इतनी सम्पत्ति अवश्य थी जितनी से वे अपने परिवार एवं अतिथि सत्कार भी बड़े मजे में कर सकते थे। इसके बाद भी उनके शरीर की हड्डियाँ ढाँचा जैसी दिखती थीं। न खाने की चिंता न अपने काम की। भर दिन परोपकार में व्यस्त । परोपकार में व्यस्त होने के कारण ही अपना शरीर तो सुखा । साथ-साथ अपनी सम्पत्ति की भी खूब हानि दिया । इसलिए “काजी जी दुबले क्यों ? शहर के अन्देशे से” यह कहावत उन पर चरितार्थ की।
प्रश्न 2.
आप जोंक, खटमल और चीलर में सबसे खतरनाक किसे मानते हैं और क्यों?
उत्तर:
हमारे विचार से चीलर, जोंक और खटमल से अधिक खतरनाक होता है। तीनों हमारा खून पीते हैं लेकिन चीलर हमारे शरीर के खून को इतने धीरे से चूसता है कि हमें पता भी नहीं चलता। वह हमारे शरीर में ही सटकर हमारा खून पीता है तथा वह हमारे खून के अपने रंग में शीघ्र बदल देता है।
प्रश्न 3.
सरजू भैया के दिनचर्या से आप कहाँ तक सहमत हैं ? ।
उत्तर:
सरजू भैया के दिनचर्या से हम बिल्कुल सहमत नहीं हैं। उनका कोई दिनचर्या ही नहीं। दिन-रात जो दूसरे के काम-काज में वयस्त रहकर स्वयं को सुखा ले तथा अपनी सम्पत्ति को भी हानि पहुँचा दें। ऐसे व्यक्ति की दिनचर्या से कभी भी कोई व्यक्ति सहमत नहीं हो सकता है।
प्रश्न 4.
“सरजू भैया के सेवा-सदन का दरवाजा हमेशा खुला रहता है।” इस आशय का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
सरजू भैया के सेवा-सदन का दरवाजा हमेशा खुला रहने का आशय है कि जब भी चाहे दिन हो या रात, सर्दी हो या बरसात अथवा चिता पिलाती धूप जिसने जो भी कहा करने को तुरन्त तैयार, गाँव वालों के लिए डॉक्टर बुलाना, बाजार से किसी का सामान लाना, किसी व्यक्ति का दूसरे गाँव से समाचार लाना सब काम बिना खाये-पिये, सदैव करते रहते थे अर्थात् ‘दूसरों की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते थे।
व्याकरण –
प्रश्न 1.
यदि आपको वाक्य में प्रयुक्त विशेषणों को पहचानने में कठिनाई होती है तो याद रखिए :
कैसा, कैसी, कितने, किसका, कहाँ का, कब का आदि प्रश्नों से जो उत्तर मिलते हैं, वे विशेषण होते हैं। जैसे –
बेर कैसा है ? – पक्का, खट्टा, मीठा, बड़ा, छोटा इत्यादि ।
लीची कैसी है ? – बड़ी, मीठी, रसीली इत्यादि।
उसने कितने आम खाए ? – एक, दो, दस, बीस इत्यादि ।
तुमने कितना दूध लिया ? – एक ग्लास, आधा लीटर इत्यादि ।
यह घोड़ा किसका है ? – राम का, मेरा, तुम्हारा इत्यादि ।
यह खिलौना कहाँ का है? – चीन का (चीनी), जापान का (जापानी) इत्यादि।
यह मंदिर कब का बना है ? – राजा मान सिंह के समय का, मुगल-युग का इत्यादि ।
उपर्युक्त नियमों को ध्यान में रखकर सरजू भैया नामक पाठ से दस विशेषण चुनिए ।
उत्तर:
छोटा-सा आँगन, सौभाग्यशाली मालिक, प्रथम संतान, बड़े भाई, छोटा भाई, दुबले आदमी, बड़ी-बड़ी बाँहें, नाक खड़ी, भौंहे सघन, मनहूस आदमी।
प्रश्न 2.
सरजू भैया के सुधुवापन के कारण ठगे जाने की कहानी उत्तम पुरुष में लिखिए।
उत्तर:
मान लिया कि मैं लेखक हूँ अब उत्तम पुरुष में सरजू भैया के । सुधुवापन के कारण ठगे जाने की कहानी लिखी जा सकती है। मैं एक बार किसी जरूरत में सरजू भैया से कुछ रुपये लिए। मेरा काम बन गया। रुपये खर्च हो गये। लेकिन अभी तक मैंने सरजू भैया का पैसा वापस नहीं किया। क्योंकि मैंने समझा सरजू भैया को जब जरूरत होगी मुझसे माँग लेंगे। लेकिन उन्होंने न कभी माँगा न मैंने कभी उनका रुपया लौटाने का प्रयास ही किया। जबकि वे दूसरे से सूद पर रुपये लेते हैं। लेकिन हमसे कभी नहीं माँगा। मुझसे ही नहीं गाँव के किसी व्यक्ति से पैसा माँगना उनके नियम के खिलाफ लगता था जिसके कारण उनके पिताजी के समय में चलता हुआ लेन-देन बंद हो गया।
सरजू भैया Summary in Hindi
पाठ का सार-संक्षेप
रामवृक्ष बेनीपुरी के घर के बगल में रहने वाले सरजू भैया बड़े ही नेक दिल, मिलनसार, मजाकिया, दयालु और हँसोड़ स्वभाव के व्यक्ति थे। कहानीकार उन्हें भैया कहते थे।
सरजू भैया एक सम्पन्न किसान तथा सुद पर रुपये का लेन-देन करने .. वाले पिता के पुत्र थे। साँवला स्वरूप बड़ी-बड़ी टाँगे, बड़ी-बड़ी बाँहें दुबले-पतले गाल पचके, धोती-कुर्ता और गमछा धारण किए सरजू भैया किसी भिखमंगे की तरह नजर आते थे। लेकिन वे जिन्दा दिल व्यक्ति थे। जिन्दा – दिल इसलिए कहा कि वे सदैव हँसते रहते थे। गाँव के किसी भी व्यक्ति की सेवा में तत्पर रहते थे। किसी को किसी चीज में नहीं कभी नहीं करते थे।
पिताजी के समय उनका अच्छी खेती-बारी, पैसे का काम लेन-देन भी अच्छा चल रहा था मकान भी सुन्दर था लेकिन पिता के मृत्यु के बाद प्रकृति ने भी उनके हालत बिगाड़ने में खूब सहायक बना । भूकम्प में घर टूट गया। बाढ़ और सुखाड़ से खेती नष्ट हो गई। जिसके यहाँ भी सूद पर पैसा दिया या सामने आकर रो देता तो मूलधन भी त्याग कर देते। स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती गई। अब तो सरजू भैया को ही महाजन के पास सूद पर पैसा लेने के लिए जाना पड़ता है।
एक महाजन ने तो सरजू भैया का सीधापन का लाभ उठाकर सादे कागज पर अंगूठे का निशान ही लगवा लिया और अब सरजू भैया पर मुकदमा करने की बात भी करता है। सरजू भैया से लेखक ने भी कुछ रुपये लिए थे लेकिन लौटाया नहीं। क्योंकि सरजू भैया को जरूरत होगी तो माँग लेंगे, यह सोचकर लेखक अभी तक उनको रुपये नहीं लौटा सके।
सरजू भैया की पाँच लड़कियाँ मात्र थीं। जब पत्नी मर गई तो लेखक की मौसी ने सलाह दी कि-सरजू बउआ, शादी कर ले तो वंश चल जायेगा। उसी दिन लेखक की पत्नी रानी सरजू भैया से झगड़ने लगी, आपको शादी करना होगा, क्यों नहीं कीजिएगा। सरजू भैया ने जवाब में कहा, मैं शादी करूँ जिससे शर्मा जी (लेखक) को नई भौजाई से दिन-रात चुहल करने में मजा मिलेगा। यह कहकर सरजू भैया ठहाका मार कर हँस पड़े। रानी कुछ देर के लिए संकोच में पड़ गई। बाद में लेखक दोनों को देख चुपचाप मुस्कुराते रहे।