Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 20 झाँसी की रानी Text Book Questions and Answers, Summary.
BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 20 झाँसी की रानी
Bihar Board Class 8 Hindi झाँसी की रानी Text Book Questions and Answers
प्रश्न – अभ्यास
पाठ से
प्रश्न 1
“बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी” उपर्युक्त पंक्ति
में भारत को “बूढा” कहा गया है, क्योंकि
(क) भारत गुलाम था।
(ख) भारत में एकता नहीं थी।
(ग) भारत का इतिहास प्राचीन है।
(घ) भारत की दशा शिथिल और जर्जर हो चुकी थी।
उत्तर:
(घ) भारत की दशा शिथिल और जर्जर हो चुकी थी।
प्रश्न 2.
लक्ष्मीबाई का बचपन किस प्रकार के खेलों में बीता?
उत्तर:
लक्ष्मीबाई का बचपन प्रायः शिकार खेलने में, नकली युद्ध करने में, व्यूह रचने में, व्यूह तोड़ने में, सेना को घेरना, सेना से घिर जाने पर उससे निकलना, दुर्ग तोड़ना आदि प्रिय खेलों को खेला करती थी।
प्रश्न 3.
“हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में” उपर्युक्त पंक्ति में “चीरता” और “वैभव” का संकेत किस-किस की ओर है।
उत्तर:
वीरता का संकेत वीर शिरोमणि लक्ष्मीबाई की ओर तथा “वैभव” का संकेत झाँसी के महाराज की ओर है। पाठ से आगे
प्रश्न 4.
इस कविता के आधार पर कालपी-युद्ध का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
झाँसी के मैदान में विजय प्राप्त कर रानी लक्ष्मीबाई कालपी के मैदान में युद्ध करने चल पड़ी । झाँसी से सौ मील दूर होने के कारण उनका घोड़ा थक चुका था। वह घोड़ा गिरकर मर गया। अब रानी लक्ष्मीबाई ने नया घोड़ा लेकर युद्ध आरम्भ कर दिया इस युद्ध में भी अंग्रेजों को हार की मुँह देखनी पड़ी।
प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी।
उत्तर:
भारतीय लोग आजादी को भूल चुके थे। लक्ष्मीबाई ने भारतीयों को आजादी प्राप्त करने के लिए उन्मुख करवाई । सब जगह आजादी प्राप्ति की चेतना जाग उठी। ।
(ख) “हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता की नारी थी।”
उत्तर:
हम भारतीय परतंत्रता की मार से मृतवत हो चुके थे। ऐसे समय में लक्ष्मीबाई भारतीयों को स्वतंत्र करने के लिए स्वतंत्रता की नारी (दुर्गा) बनकर हमारे सामने आ गई और हम स्वतंत्रता प्राप्ति की ओर अग्रसर हुए।
प्रश्न 6.
इस कविता से लक्ष्मीबाई से संबंधित कुछ पंक्तियाँ चुनकर उनके आधार पर रानी की वीरता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
झाँसी के मैदान में जब लैफ्टिनेंट बॉकर अपनी सेना लेकर पहुंचा। रानी तलवार से युद्ध करने लगी। बहुत देर तक दोनों में द्वन्द्व युद्ध हुआ। अन्तत: वॉकर घायल होकर युद्ध के मैदान से भाग निकला। अब झाँसी पर लक्ष्मीबाई का अधिकार हो गया। फिर कालपी की ओर लक्ष्मीबाई बढ़ गई जहाँ अंग्रेजों ने अपना शासन स्थापित कर रखा था। कालपी झाँसी से सौ मील दूर होने के कारण रानी लक्ष्मीबाई का घोड़ा थककर गिर गया और मर गया । यमुना के किनारे कालपी के मैदान में पुनः अंग्रेजों की हार हुई।
कालपी पर विजय के बाद रानी ने ग्वालियर पर अधिकार कर लिया। जहाँ अंग्रेजों का मित्र सिन्धिया ने अंग्रेज के डर से राजधानी छोड़कर भाग खड़ा हुआ। – जनरल स्मिथ ने अपनी सेना के साथ रानी से युद्ध करना आरम्भ किया तो स्मिथ की भी हार हुई। इसके बाद ह्यरोज ने अपनी सेना लेकर रानी को घेर लिया । रानी ने वीरतापूर्वक लड़कर ह्यूरोज की सेना को काटते-मारते आगे बढ़ गई। एक नाला आगे आ पड़ी जिसको घोडा पार नहीं कर रूक गया । पीछे से यूरोज ने अपनी सेना के साथ आकर रानी पर वार करने लगा । रानी लड़ते-लड़ते वीर गति को प्राप्त कर गई।
गतिविधि
प्रश्न 1.
प्रथम भारतीय स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख वीरों की चित्रावली बनाकर प्रत्येक चित्र के साथ उसका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
प्रथम भारतीय स्वाधीनता-संग्राम के क्या कारण थे ? अध्यापक से ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
पाठ में आए पात्रों के बीच हुए संवाद को अपनी भाष में लिखिए तथा अभिनय कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
झाँसी की रानी Summary in Hindi
कविता का सारांश सन् 1857 में स्वाधीनता संग्राम की रूपरेखा देख ब्रिटिश सरकार घबड़ा गई । भारतीय राजवंशों ने भी इस संग्राम में अपना क्रोध प्रदर्शन किया। मानो पुनः बूढ़े भारत में फिर से नई जवानी आ गई हो । लोगों में आजादी पाने की ललक जगी। लोग अंग्रेज सरकार को भगाने का निर्णय कर लिया था।
लक्ष्मीबाई झाँसी की रानी थी। वह कानपुर के नाना साहब की बहन थी। उसे बरछी, ढाल, कृपाण और तलवारबाजी का बड़ा शौक था तथा शिवाजी के वीर गाथाओं को प्रायः गाती रहती थी। ।
लक्ष्मीबाई मानो दुर्गा की अवतार थी। मराठे भी उसके तलवारबाजी से चकित थे। नकली युद्ध, व्यूह की रचना, उसको तोड़ना, सेना को घेरना, दुर्ग तोड़ना इत्यादि खेल को ही वह प्रायः खेलती थी। शिकार से उसे बड़ा प्रेम
था। – लक्ष्मीबाई का विवाह वीरता वैभवयुक्त झाँसी के महाराजा के साथ हुआ । लेकिन अल्प समय में राजा साहब निःसंतान मर गये।
अंग्रेज ने अपने हड़प-नीति का प्रयोग कर झाँसी में अपनी फौज भेजकर अंग्रेजी झंडा फहरा दिया । दिल्ली, लखनऊ, उदयपुर, तंजौर, सतारा, कर्नाटक, सिन्ध, पंजाब बंगाल, मद्रास आदि सम्पूर्ण भारत में क्रांति की आग जलने लगी।
लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी हुकूमत का विरोध किया। अंग्रेज ने लक्ष्मीबाई को दबाने के लिए लेफ्टिनेंट बॉकर को भेजा । लेकिन बॉकर को मैदान छोड़कर भागना पड़ा।
रानी झाँसी को पुनः अपने अधिकार में लेने के बाद कालपी की ओर बढ़ी, जो झाँसी से सौ मील दूर है। लक्ष्मीबाई का घोड़ा थक चुका था, वह मर भी गया। यमुना नदी के किनारे कालपी में अंग्रेजी सेना को फिर हार खानी पड़ी। अब लक्ष्मीबाई कालपी को अंग्रेजी से मुक्त कराकर ग्वालियर की ओर बढ़ चली।
ग्वालियर से भी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को मार भगाया । अंग्रेजों से मित्रता रखनेवाले सिन्धिया ने भी लक्ष्मीबाई के डर से राजधानी छोड़ भागा ।
सब जगह लक्ष्मीबाई की विजय से घबड़ाकर अंग्रेज जेनरल स्मिथ ने अपनी सेना के साथ आ धमका । युद्ध में स्मिथ भी हार गया । इस युद्ध में लक्ष्मीबाई की सहेली काना और मुंदरा ने भी अपना युद्ध कौशल दिखाई थी।
स्मिथ के हार के बाद यूरोज अपनी सेना लेकर रानी को घेर लिया। भयंकर युद्ध हुआ। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी सेना को तहस-नहस करते यद्ध क्षेत्र से निकल गई थी। आगे नाला पार करने के दौरान लक्ष्मीबाई का नया घोड़ा अकड़कर अड़ गया । इतने में ही रानी पर बहुत सैनिकों ने वार करना प्रारम्भ कर दिया । रानी घायल होकर गिर गई और वीरंगति को प्राप्त हो गई। उस समय उनकी उम्र मात्र 23 वर्ष की थी।
स्वतंत्रता संग्राम का पथ प्रशस्त करनेवाली प्रथम नायिका लक्ष्मीबाई का गुनगान आज भी बुंदेलखण्ड के वासी बड़े चाव से गाते हैं।